• लोकतंत्र शान्ति पूर्वक की जाने वाली क्रांति है: अरुण त्रिपाठी
  • लोकतांत्रिक मूल्य और मीडिया विषय पर गोष्ठी सम्पन्न

मथुरा : असहमति और प्रतिरोध का अधिकार लोकतन्त्र की आदर्श और बुनियादी शर्त है, लेकिन उन्माद की पत्रकारिता ने सरोकारों की पत्रकारिता को हाशिये पर धकेल दिया है। अब लोकतांत्रिक चेतना का स्पष्ट अभाव देखने को मिल रहा है,जबकि लोकतंत्र के बीज भी भारत में थे और उन्हें नष्ट करने की आकांक्षाएं व महत्वाकांक्षाएं भी।

यह विचार रविवार की शाम गोविन्द नगर स्थित एक स्थानीय होटल मे जन सांस्कृतिक मंच और जनवादी लेखक संघ के संयुक्त तत्वावधान में ‘लोकतांत्रिक मूल्य और मीडिया’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार अमर उजाला के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री ने व्यक्त किए। अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा कि आजकल मीडिया अर्द्ध सत्य की भूमिका में है इसलिए चाहकर भी बहुत कुछ छुपाया जा रहा है।

वर्धा विश्वविद्यालय तथा माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल में प्रोफेसर रहे, लेखक और वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार त्रिपाठी ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहा कि हमारी नैतिक शक्ति ही हमारी लोकतांत्रिक ताकत है। लोकतंत्र को बचाने के लिए लोकतांत्रिक चेतना का होना जरूरी है। लोकतंत्र शान्ति पूर्वक की जाने वाली क्रांति है क्योंकि लोकतंत्र अपने फैसले जनमत के आधार पर लेता है। लोकतंत्र की सबसे बडी खूबसूरती यह है कि इसमें कोई किसी का दुश्मन नहीं होता। अभिव्यक्ति के नाम पर आज मीडिया की स्थिति बहुत ही दयनीय है। शासन में बैठे जिम्मेदार लोगों से आज मीडिया सवाल नहीं करता, इसलिए मीडिया की भूमिका जन मानस को अपनानी होगी, उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों की चर्चा करते हुए कहा कि स्वतंत्रता, समता और न्याय लोकतंत्र के सबसे बड़े मूल्य हैं। बिना विपक्ष के लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती।

इससे पूर्व मंच के अध्यक्ष मुरारीलाल अग्रवाल और मंच के पूर्व सचिव संजय भटनागर ने दोनों वक्ताओं का परिचय दिया। मंच के वरिष्ठ सदस्य डॉ. आरके चतुर्वेदी और उपेन्द्रनाथ चतुर्वेदी ने पटुका भेंट और माल्यार्पण कर स्वागत किया।

इस मौके पर प्रमुख रूप से मौजूद लोगों में शिवदत्त चतुर्वेदी, दीपक गोयल, डॉ. अशोक बंसल, अलीगढ़ से आए वरिष्ठ पत्रकार विनय ओसवाल, जगवीर सिंह, किसान नेता दिगम्बर सिंह, रवि प्रकाश भारद्वाज, पत्रकार विवेक दत्त मथुरिया, कैलाश वर्मा, प्रीति अग्रवाल, बबिता सारस्वत, अनिता अग्रवाल, प्रो रूमी, प्रो शीला राजभर, प्रो ज्योतेश चौहान, प्रो अंजना, लता चौहान, प्रियंका खण्डेलवाल, अटल चतुर्वेदी, एडवोकेट गौरव अग्रवाल, मुनीश भार्गव, एडवोकेट राकेश भार्गव विजय आर्य, भगवान दास आदि उपस्थित रहे।

गोष्ठी की अध्यक्षता उद्योगपति व समाजसेवी पवन चतुर्वेदी ने की तथा धन्यवाद ज्ञापन जलेस के अध्यक्ष टिकेन्द्र सिंह शाद ने और संचालन डॉ. धर्मराज ने किया।

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