• जीएलए के रसायन विज्ञान विभाग को मिला बड़ा प्रोजेक्ट
  • डीएसटी के 30 लाख के प्रोजेक्ट पर कार्य कर छात्रों में वैज्ञानिक सोच विकसित करेगा जीएलए

दैनिक उजाला, मथुरा : विज्ञान और मानव का आदिकाल से संबंध रहा है। जब से पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है, तब से नित नए अन्वेषण और अनुसंधान हो रहे हैं। वैज्ञानिक सोच ही राष्ट्र के विकास का आधार होती है। ऐसी सोच को छात्रों में विकसित करना एक विज्ञान शिक्षक का मूल कर्तव्य है। इसी कर्तव्य पर अडिग रहते हुए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के रसायन विभाग के प्रोफेसर ने राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (डीएसटी) द्वारा जारी एक प्रोजेक्ट को धरातल से लेकर छात्रों के मस्तिष्क तक पहुंचाने की ठानी है।

विदित रहे कि बीते दिनों भारत सरकार के राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (डीएसटी) द्वारा जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के रसायन विज्ञान विभाग को छात्र-छात्राओं में वैज्ञानिक विशेषज्ञता और सिद्धांतों के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से एक बड़ा प्रोजेक्ट सौंपा है। इस प्रोजेक्ट धरातल से लेकर छात्र-छात्राओं के मस्तिष्क तक पहुंचाने के लिए जीएलए ने रसायन विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अविनाश पांडेय को यह जिम्मेदारी सौंपी है।

भारत सरकार के विज्ञान विभाग की इस जिम्मेदारी पर खरा उतरने के लिए प्रोफेसर ने सर्वप्रथम विज्ञान से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताओं और कार्यक्रम आयोजित कराने की सूची तैयार की है। आयोजित होने वाले इन टेक्निकल कार्यक्रम में करीब एक हजार से अधिक छात्रों को शामिल करने पर विचार बनाया गया है। इसके बाद टेक्निकल कार्यक्रम में बेहतर प्रेजेंटेशन देने वाले करीब 100 छात्रों को अलग से चुना जायेगा, जो कि विज्ञान से संबंधित नए अन्वेषण और अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाएंगे। इन 100 छात्र-छात्राओं के लिए आईआईटी, एनआईटी, एमएनआईटी के प्रोफेसरों तथा अन्य टेक्निकल रिसोर्स पर्सन के माध्यम से अलग से ट्रेनिंग प्रोग्राम चलेगा।

प्रोफेसर अविनाश पांडेय ने बताया कि जीएलए का रसायन विभाग छात्रों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देगा और तर्कसंगत निर्णय लेने की क्षमता का विकास करेगा। यह एक वैज्ञानिक तरीके से वैज्ञानिक ज्ञान के प्रसार के द्वारा सामाजिक उत्थान की ओर समर्पित परियोजना है। इस परियोजना के माध्यम से छात्रों को सूचना का विवेचन करना, साक्षात्कार प्रमाण का मूल्यांकन करना और वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित निर्णय लेना सिखाया जायेगा। परियोजना में भाग लेने वाले छात्र वैज्ञानिक विशेषज्ञता और सिद्धांतों के बारे में गहरी समझ प्राप्त करेंगे, जो एक और अधिक वैज्ञानिक जीवन जीने वाले समाज के निर्माण में अपना योगदान करेगा।

विभागाध्यक्ष प्रो. दीपक कुमार दास ने बताया कि परियोजना से संबंधित वैज्ञानिक कार्य में मजबूत नैतिक मूल्य विकसित किया जायेगा, जिससे छात्र अपने पेशेवर भूमिकाओं में नैतिक निर्णय लेने के लिए अधिक सशक्त हो सकेंगे। वैज्ञानिक दिशा को प्रोत्साहित करने से नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है। भाग लेने वाले छात्र संशोधन करने और जटिल समस्याओं को समाधान करने के लिए दक्ष होंगे, जिससे उनके उद्योगों में नवाचार हो सकेगा। यह परियोजना उन छात्रों के लिए भी उपयोगी होगी जो मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाए है। उन्हें भी इस परियोजना के माध्यम से लाभ पहुंचाया जायेगा। इस प्रोजेक्ट पर कार्य करने के लिए 30 लाख की राशि जारी हुई है।

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