नई दिल्ली : बिहार की नीतीश और तेजस्वी सरकार ने 2 अक्टूबर को राज्य में जातिगत जनगणना के आंकड़े को जारी कर दिया। सरकार की तरफ से जारी किए गए रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है। इसमें 81.99% हिन्दू, और मुस्लिम 17.70 फीसदी बताया गया है। वहीं, .31 में अन्य धर्म और किसी धर्म को नहीं मानने वाले शामिल हैं।

सरकार द्वारा दिए गए इन आंकड़ों में सबसे बड़ी आबादी EBC यानी अत्यंत पिछड़ा वर्ग की पाई है, जो 36 फीसदी हैं। दूसरे नंबर पर ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग की संख्या है, जो 27 फीसदी हैं। इस तरह राज्य में कुल पिछड़े 63 फीसदी हैं। बिहार में पेश किया गया आंकड़ा केंद्र की सत्ता पर राज कर रही भाजपा के लिए सिर दर्द बनता जा रहा है। आइए जानते है कैसे विपक्ष ने जातीय जनगणना के बहाने सरकार को घेर लिया है।

बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट बिहार सरकार बहुत सोच समझ कर 2 अक्टूबर को जारी किया है। राजनीतिक पंडितों का मानना हैं कि बिहार द्वारा जारी किए गए आंकड़े का पूरे देश में असर पड़ना तय है। क्योंकि साल के अंत में देश के 5 राज्यों, मिजोरम, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में कांग्रेस जहां विपक्षी दलों के सुर में सुर मिलाकर पूरे देश भर में जातीय जनगणना कराने की मांग कर रही है।

वहीं, भाजपा ऐसा कोई भी बयान देने से बच रही हैै। भाजपा के जातीय जनगणना न कराने की बात को विपक्षी दल आसानी से उसे पिछड़ा विरोधी आराम से घोषित कर सकती हैं और इसका लाभ वह आने वाले विधानसभा चुनाव में उठाने की पूरी कोशिश करेगी।

जातीय जनगणना का मुद्दा भाजपा के लिए ऐसा निवाला बन गया है जो न तो उसे पार्टी उगल पा रही है न निगल पा रही है। इसके पीछे कारण है कि पार्टी ने बिहार विधानसभा में जब इस मुद्दे को लेकर वोटिंग हो रही थी तो इसके पक्ष में वोट किया था। लेकिन वहीं, अन्य राज्यों खासकर उन राज्यों में जहां वह सरकार में है वहां ऐसी कोई भी जनगणना नहीं कराने की बात कर रही हैं।

ऐसे में एक तरफ जहां विपक्ष उस पर जातीय जनगणना कराने का दबाव बना रहा है। वहीं, पार्टी अपने हिंदुत्व के मुद्दे से पीछे नहीं हटना चााहती। क्योंकि उसे भी पता है कि अगर पार्टी विपक्ष की इस मांग को मान लेती है तो इसका उसके वोटरों को एक गलत संदेश जाएगा।

विपक्ष के बाद उसके सहयोगी कर रहे मांग

ऐसा पहली बार नहीं है, जब विपक्ष केंद्र सरकार से जातीय जनगणना की मांग कर रही है। इससे पहले यूपी में सपा और बसपा, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में कांग्रेस, दिल्ली में आप और बंगाल में TMC ने जातिगत जनगणना की मांग की। बता दें कि 2021 में बिहार के सभी दलों के प्रतिनिधि प्रधानमंत्री से अपनी मांग को लेकर मिले भी थे।

लेकिन उस वक्त सरकार ने उनकी मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। वहीं, बिहार में अब जातीय जनगणना की रिपोर्ट सामने आने के बाद भाजपा की सहयोगी पार्टियां, अपना दल (एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेताओं ने जातीय जनगणना की मांग उठाई है।

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