नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) को फटकार लगाते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के दो मामलों में अरेस्ट को कैंसिल कर दिया। जस्टिस ए एस बोपन्ना और संजय कुमार की बेंच ने कहा कि जांच एजेंसी को पूरी निष्पक्षता के साथ काम करना चाहिए और बदला लेने की प्रवृत्ति रखने से बचना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने ये बात मंगलवार को गुरुग्राम के एक रियल्टी ग्रुप M3M के डायरेक्टर्स की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। कोर्ट ने कहा कि उम्मीद की जाती है कि ED का हर एक्शन पारदर्शी, ईमानदार और कार्रवाई के सबसे ऊंचे और पुराने स्तर के मुताबिक होगा। हालांकि इस केस में तथ्य बताते हैं कि एजेंसी अपनी जिम्मेदारी निभाने और अपनी शक्ति का सही इस्तेमाल करने में नाकाम रही है।
कोर्ट के आदेश की कॉपी बुधवार को जारी की गई। इसके मुताबिक, कोर्ट ने टिप्पणी की कि बसंत और पंकज बंसल को 14 जून को पूछताछ के लिए ED दफ्तर बुलाया गया था, जबकि ED की तरफ से रजिस्टर किए गए किसी और केस में दोनों को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया।
बसंत और पंकज बंसल ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके अपने अरेस्ट को चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दोनों ने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर को सुनवाई पूरी करके आदेश सुरक्षित रख लिया।
न्यायाधीशों ने कहा, “ईडी से अपने आचरण में प्रतिशोधी होने की उम्मीद नहीं की जाती है।” उन्होंने कहा कि पूछे गए सवालों का जवाब देने में आरोपियों की विफलता प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त आधार नहीं हो सकती है। ED को यह विश्वास करने के लिए विशेष रूप से कारण ढूंढना होगा कि आरोपी धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अपराध के दोषी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “समन के जवाब में केवल असहयोग करना किसी को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।”