ग्वालियर : शहर में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) ने दस्तक दे दी है। सागर ताल के पास सरकारी मल्टी में रहने वाली 15 वर्षीय किशोरी को जेई की पुष्टि हुई है। यह ग्वालियर में इस बीमारी का पहला मामला है। किशोरी को तेज बुखार, सिर दर्द और उल्टी की समस्या से पीड़ित होने पर न्यू जेएएच में भर्ती कराया गया था।

डॉक्टरों ने जांच के बाद जेई की पुष्टि की। फिलहाल मरीज की हालत में सुधार है, लेकिन पूरे क्षेत्र में अलर्ट जारी किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है।

किशोरी को तेज बुखार और उल्टी की शिकायत होने पर नजदीकी डॉक्टर से इलाज कराया, लेकिन हालत सुधरने की बजाय उसके हाथों ने काम करना बंद कर दिया और वह कोमा में चली गई। डॉ. विजय गर्ग ने बताया कि किशोरी को गंभीर स्थिति में न्यू जेएएच लाया गया था। सैंपल की जांच के बाद जेई की पुष्टि हुई। समय पर इलाज मिलने से मरीज कोमा से बाहर आ चुकी है और अब उसकी हालत स्थिर है।

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जापानी इंसेफेलाइटिस क्या है, ये कैसे फैलता है?

– जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (जेई) गंभीर वायरल जूनोटिक रोग है। यह वायरस मच्छरों से इंसानों तक पहुंचता है। प्रवासी पक्षी और सुअर इसके वाहक होते हैं।

जापानी इंसेफेलाइटिस के लक्षण क्या हैं?

बुखार, सिरदर्द, थकान और उल्टी इसके मुख्य लक्षण हैं। यह बीमारी मस्तिष्क की सूजन, कोमा और लकवा तक बढ़ सकती है। कुछ मामलों में कोमा और लकवा भी हो सकता है।

संक्रमण का पता कितने दिन में चलता है?

– संक्रमित मच्छर के काटने के बाद लक्षण दिखने में 5 से 15 दिन का समय लगता है।

संक्रमण से बचने के लिए क्या करें?

– टीकाकरण प्रभावी उपाय है। मच्छरों से बचाव के लिए सावधानी बरतें और लक्षण पर डॉक्टर से संपर्क करें। नोटः सीएमएचओ डॉ. सचिन श्रीवास्तव ने बताया

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