• बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दो साल बाद दिखे

उमरिया : उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में विलुप्त प्राय वाइल्ड डॉग (सोन कुत्ता) का झुंड पतौर परिक्षेत्र की पनपथा बीट में नजर आया है। दावा है कि जंगल में सफाईकर्मी की तरह काम करने वाले 4 सोन कुत्ते इससे पहले 2023 में झुंड में दिखे थे। करीब 8 महीने पहले मानपुर के जंगल में इनके बच्चे भी देखे गए थे।

टाइगर रिजर्व के रेंजर अर्पित मैराल का दावा है कि ये दो साल बाद टाइगर रिजर्व में दिखे हैं। ये कभी–कभार नजर आते हैं। ये एक जगह नहीं रुकते, बल्कि हमेशा घूमते रहते हैं। प्रबंधन के मुताबिक इनकी संख्या 20 से ज्यादा हो सकती है।

बीटीआर प्रबंधन ने इसकी जानकारी भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) को भी दे दी है। वजह है कि झुंड में शिकार करने वाले ये वाइल्ड डॉग्स बाघ तक का शिकार कर लेते हैं। इन्हें बाघों का बच्चा चोर भी कहा जाता है।

टाइगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा कहते हैं कि खास बात है कि ये अपने शिकार का मरने का इंतजार नहीं करते। हमले के बाद जैसे ही शिकार घायल होकर गिरता है, इनका झुंड उसे चारों तरफ से खाना शुरू कर देता है। यानी ये जिंदा जानवर ही खा जाते हैं।

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ये हमेशा झुंड में ही शिकार करते हैं। इनकी विशेषता है कि ये सामान्य कुत्ते की तरह भौंकने की बजाए सीटी की तरह आवाज निकालते हैं। ये जंगलों में सफाईकर्मी की तरह काम करते हैं।QuoteImage

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दो अलग-अलग झुंड में 20 से ज्यादा सोन कुत्ते दिखाई दिए हैं।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दो अलग-अलग झुंड में 20 से ज्यादा सोन कुत्ते दिखाई दिए हैं।

अपने से चार गुना बड़े जीव का शिकार कर सकते हैं

पीके वर्मा के अनुसार, सोन कुत्ते दुर्लभ वन्य प्राणी हैं। ये दो से ढाई फीट ऊंचे और तीन फीट तक लंबे हो सकते हैं। बेहद खतरनाक मांसाहारी जंगली कुत्ते की प्रजाति है, जिसे अंग्रेजी में ढोले (Dhole) कहते हैं।

इसका साइंटिफिक नाम Cuon alpinus होता है। इसे एशियाई जंगली कुत्ता, भारतीय जंगली कुत्ता और सीटी कुत्ता के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोग इसे लाल कुत्ता भी कहते हैं। कुछ लोग इसे लाल लोमड़ी समझने की गलती भी कर बैठते हैं।

इनकी विशेषता है कि ये हमेशा झुंड में रहते हैं। सामूहिक शिकार करते हैं। ये अपने से चार से पांच गुना बड़े आकार और वजन के जानवरों को भी आसानी से शिकार बना लेते हैं। लगातार घूमते रहने की प्रवृत्ति के कारण इन्हें गिनना और पहचानना मुश्किल होता है। वन विभाग इनकी सुरक्षा के लिए विशेष निगरानी कर रहा है। ईको सिस्टम में इन दुर्लभ जीवों की अहम भूमिका है।

झुंड में शिकार करने के कारण यह खतरनाक माने जाते हैं।

झुंड में शिकार करने के कारण यह खतरनाक माने जाते हैं।

सोन कुत्तों के डर से बाघ भी बदल लेते हैं ठिकाना वर्मा के मुताबिक वाइल्ड डॉग्स को दूर से ही बाघिन के शावकों की गंध आ जाती है। ये शावकों को भी खा जाते हैं। इसके चलते बाघों के लिए सोन कुत्तों को खतरा माना जाता है। सोन कुत्ते जिस जंगल में रहते हैं, आसपास के क्षेत्र में बाघ अपना ठिकाना बदल देते हैं।

सोन कुत्ते अगर झुंड में हैं, उन्हें बाघ दिख जाए, तो उसे भी शिकार बना लेते हैं। वर्मा बताते हैं कि सोन कुत्तों के झुंड से बाघ हार जाता है। यही वजह है सोन कुत्तों का झुंड छोटे से लेकर बड़े वन्य प्राणियों पर हमला कर देते हैं। ये लोग शिकार पर झुंड में टूट पड़ते हैं।

वर्मा कहते हैं कि झुंड में रहने वाले सोन कुत्तों का भी पूरी तरह से सामाजिक सिस्टम होता है। झुंड में ही ये जंगली जानवरों का शिकार करते हैं।

जीपीएस के जरिए भी इनकी ट्रैकिंग संभव नहीं

टाइगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा का कहना है कि गर्मी के चलते बाघ, पानी और आग की निगरानी की जाती है। इसी दौरान ये दिखाई दिए हें। जीपीएस के जरिए भी इनकी ट्रैकिंग संभव नहीं है, क्योंकि ये घने जंगलों में अंदर तक चले जाते हैं। जहां आज 20 से ज्यादा कुत्ते दिखाई दिए हैं, वहां पहले इनकी संख्या चार से ज्यादा थी। यह जंगल में ज्यादा दूर तक चले जाते हैं।

कैमरे, प्रत्यक्ष देखने और पगमार्क के आधार पर इनकी गणना होती है। इसी साल फरवरी में फेज 4 की गणना में पता चला था कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दो झुंड में लगभग 20 से अधिक सोन कुत्ते हैं। इनकी बढ़ती संख्या बांधवगढ़ का अच्छा वातावरण है।

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