जयपुर : जयपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने कहा- संघ किसी को नष्ट करने के लिए नहीं बना है। भारतवर्ष में हमारी पहचान हिन्दू है। हिन्दू शब्द सबको एक करने वाला है।
हमारा राष्ट्र संस्कृति के आधार पर एक है, न कि राज्य के आधार पर। भागवत ने कहा- संघ को प्रत्यक्ष अनुभव किए बिना संघ के बारे में राय मत बनाइए। संघ से जुड़ने के लिए शाखा में आइए, जो आपको अनुकूल लगे वह काम आप कर सकते हैं।
संघ पूरे समाज को ही संगठित करना चाहता है। पूरा समाज संघ बन जाए, यानी प्रमाणिकता से निस्वार्थ बुद्धि से सब लोग देश के लिए जिएं।
भागवत गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के मौके पर कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित ‘उद्यमी संवाद: नए क्षितिज की ओर’ कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

संघ प्रमुख ने कहा कि सहकार, कृषि और उद्योग हमारे विकास के आधार स्तंभ हैं।
भारत को विश्वगुरु बनाना एक व्यक्ति के वश में नहीं
सरसंघचालक ने कहा कि संघ के 100 साल की यात्रा पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम कोई सेलिब्रेशन नहीं है, बल्कि आगे के चरण की दृष्टि से अपने कार्य की वृद्धि का विचार करने के लिए ये कार्यक्रम किए जा रहे हैं।
भागवत ने कहा कि राष्ट्र को परम वैभव संपन्न और विश्वगुरु बनाना किसी एक व्यक्ति के वश में नहीं है। नेता, नारा, नीति, पार्टी, सरकार, विचार, महापुरुष, अवतार और संघ जैसे संगठन इसमें सहायक हो सकते हैं, परन्तु मूल कारण नहीं बन सकते।
यह सबका काम है और इसके लिए सबको साथ लेकर चलना होगा।
मंदिर,पानी,श्मशान सबके लिए खुले होने चाहिए
सरसंघचालक ने संघ कार्य के आगामी चरण के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि सारा समाज देश हित में जिए, यह संघ का आगे का काम है।
समाज की सृजन शक्ति जागृत हो, सामाजिक समरसता का वातावरण बने और मंदिर, पानी, श्मशान सबके लिए खुले होने चाहिए।परिवार के सभी सदस्य सप्ताह में कम से कम एक बार एकत्र हों, अपना भोजन, भजन, अपनी भाषा और अपनी परंपरा के अनुसार करें।
पानी बचाने, पेड़ लगाने और प्लास्टिक हटाने जैसे पर्यावरण संरक्षण के कार्यों के लिए भी हमें आगे आना चाहिए। ‘स्व’ का बोध और स्वदेशी का भाव सबके मन में जागृत हो, देश स्वनिर्भर बने।
नागरिक कर्तव्य और नागरिक अनुशासन के प्रति हम सजग बनें और नियम, कानून, संविधान का पालन करें। उन्होंने कहा कि सारा समाज देश हित में जिए।
सारा समाज एक बनकर अपना-अपना काम अपनी-अपनी पद्धति से करे ताकि हम सभी एक दूसरे के बाधक नहीं, बल्कि पूरक बनें।

