दैनिक उजाला, मथुरा : मथुरा के वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज ने रात में निकलने वाली अपनी पद यात्रा का रूट, समय और तरीका बदल दिया है। प्रेमानंद महाराज अपनी कार से केलि कुंज आश्रम पहुंचे। पहले रात करीब 2 बजे निकलते थे अब तड़के 4 बजे निकलते हैं।
प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए खड़े भक्तों ने उनकी कार निकलने के बाद सड़क पर झुककर प्रणाम किया। दो दिन पहले आश्रम की ओर से रात की पदयात्रा अनिश्चित काल के लिए बंद करने की सूचना दी गई थी।
इससे भक्त मायूस हो गए थे। आश्रम प्रबंधन ने पदयात्रा स्थगित करने के पीछे महाराज का स्वास्थ्य सही न होने और बढ़ती भीड़ का हवाला दिया था। हालांकि, 4 दिन पहले सोसाइटी की महिलाओं ने प्रेमानंद महाराज के रात्रि दर्शन को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। इसकी प्रशासन से शिकायत की थी।
सोसायटी की महिलाओं का कहना था कि रात को सड़क पर भक्त जमा हो जाते हैं। वह ढोल-नगाड़े बजाते हैं। इससे उनका परिवार डिस्टर्ब होता है।
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प्रेमानंद महाराज पहले रात 2 बजे आश्रम जाते थे, अब वह सुबह 4 बजे ऑडी कार से आश्रम के लिए रवाना हुए।

प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए भक्त कतार में खड़े रहे।

सुरक्षाकर्मी और आश्रम के लोग कार के साथ चल रहे हैं।

प्रेमानंद महाराज की कार निकलने के बाद भक्तों ने सड़क पर झुककर प्रणाम किया।
प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी में रहते हैं। वह कार में बैठकर प्रेम मंदिर के सामने से रमण रेती पुलिस चौकी होते हुए केली कुंज आश्रम पहुंचे। इस रूट से केली कुंज आश्रम की दूरी करीब आधा किलोमीटर बढ़ गई।
पहले वह रात 2 बजे सोसाइटी से रमणरेती स्थित आश्रम हित राधा केली कुंज के लिए निकलते थे। 2 किमी की यह दूरी वह पैदल चलकर पूरी करते थे। इस दौरान हजारों अनुयायी उनके दर्शन के लिए सड़क के दोनों तरफ खड़े रहते थे।
रात में जब संत प्रेमानंद महाराज आश्रम के लिए निकलते थे, तब उनके अनुयायी रास्ते भर फूलों से रंगोली बनाते थे। निवास से लेकर आश्रम तक का रास्ता फूलों से पट जाता था। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं हर कोई एक झलक पाने को उनका इंतजार करता थ। जगह-जगह उनकी आरती उतारी जाती थी।
विरोध हुआ तो अनिश्चितकाल के लिए बंद की पैदल यात्रा
प्रेमानंद महाराज के निवास स्थान से आश्रम जाने वाले रास्ते में पड़ने वाली NRI ग्रीन सोसाइटी की महिलाओं ने यात्रा को लेकर विरोध किया था। महिलाओं का कहना था- जब महाराज जी निकलते हैं, तब तेज आवाज में ढोल बजते हैं। कभी-कभी आतिशबाजी भी की जाती है। इससे नींद पूरी नहीं हो पा रही। बच्चे देरी से उठते हैं। इस वजह से उन्हें स्कूल जाने में लेट हो जाता है। विरोध के दौरान महिलाओं ने हाथ में तख्तियां ले रखी थीं। जिस पर स्लोगन लिखा था- यह कौन सी भक्ति और दर्शन है। यह तो शक्ति का प्रदर्शन है।
इसके बाद संत प्रेमानंद महाराज के आश्रम ने पैदल यात्रा को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का ऐलान किया। कहा था- महाराज जी के स्वास्थ और बढ़ती हुई भीड़ को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

प्रेमानंद महाराज के आश्रम की ओर से पैदल यात्रा बंद करने का यह नोटिस 6 फरवरी को जारी किया गया था।