वाराणसी : बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल में डिजिटल व्यवस्थाओं की कमी का आरोप पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री के बेटे और शिवगंगा सीट से कांग्रेस सांसद कार्ति चिदबंरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत भी की है। उन्होंने कहा है कि यहां पर सेंटर फॉर क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन (सीसीआई) लैब में डिजिटल सुविधाओं की तत्काल मुहैया कराने की जरूरत है।

मरीजों के इलाज में नाहक ही देरी होती है, जबकि बगल के महामना कैंसर संस्थान में ये दाेनों ही सुविधाएं मिल रहीं हैं। वहीं ट्रॉमा सेंटर में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है। इसके साथ ही ये भी कहा है कि यहां पर कई बार ऑनलाइन पेमेंट तक की व्यवस्था नहीं मिल पाती। कार्ति चिदंबरम ने दक्षिण भारत के पर्यटकों की व्यवस्था को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी।

BHU का CCI लैब।

BHU का CCI लैब।

मरीजों का रिपोर्ट नहीं जाता सीधे डाक्टरों के पास

कार्ति चिदबंरम ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि बनारस के निवासी और फाइन आर्ट्स के क्षेत्र में कार्यरत गौरव तिवारी ने केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली के तहत शिकायत की थी। लेकिन वहां भी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता है। वहीं शिकायतकर्ता गौरव तिवारी ने कहा कि लैब के काउंटर पर न तो कार्ड पेमेंट होता है कई क्यू आर कोड मांगों तो काउंटर से कैश की मांग की जाती है। साथ ही मरीजों की रिपोर्ट की डिजिटल कॉपी सीधे डॉक्टर की ओपीडी तक नहीं पहुंच पाती।

पहले थी ऐसी व्यवस्था

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि बीएचयू की सीसीआई लैब में डिजिटलाइजेशन की तत्काल जरूरत है। इसे सुनिश्चित कराया जाए। बीएचयू अस्पताल के जिम्मेदार लंबे समय से इस समस्या का समाधान नहीं दे सके हैं। इसलिए, अब मुझे इस मामले में आपका हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। चिट्ठी में लिखा गया है कि पहले अस्पताल में एमआईएस प्रणाली के तहत जांचों के रिजल्ट को ऑनलाइन देखा जा सकता था। इससे लैब के संचालन में काफी सुधार भी हुआ। लेकिन अब ये सिस्टम नहीं है।

सांसद कार्ति चिदबंरम ने लिखा है पत्र।

सांसद कार्ति चिदबंरम ने लिखा है पत्र।

त्वरित कार्रवाई का हो निर्देश

कांग्रेस सांसद चिदंबरम ने पीएम मोदी से कहा, मेरा आपसे आग्रह है कि आपके कार्यालय से संबंधित अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करने और सीसीआई लैब में आवश्यक डिजिटल व्यवस्था को स्थापित करने का निर्देश दें। इससे न केवल रोगियों का बेहतर केयर होगा, बल्कि अस्पताल के कर्मचारियों और रोगियों के परिवारों पर अनावश्यक समय और धन का बोझ भी कम होगा।

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