• भारत की समृद्ध बौद्धिक विरासत को संरक्षित कर बढ़ावा देने में जोर देगा जीएलए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इंडियन नॉलेज सिस्टम

दैनिक उजाला, मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में भारतीय ज्ञान प्रणाली उत्कृष्टता केंद्र (आईकेएस) का शुभारंभ हुआ। केन्द्र का उद्देश्य पारंपरिक भारतीय ज्ञान को समकालीन शिक्षा के साथ आयुर्वेद, योग, गणित, दर्शन और साहित्य विषयों में भारत की समृद्ध बौद्धिक विरासत को संरक्षित कर बढ़ावा देना है।

केन्द्र का शुभारंभ मुख्य अतिथि भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के सदस्य-सचिव प्रो. सच्चिदानंद मिश्रा, जीएलए के कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, कुलसचिव अशोक कुमार सिंह, मुख्य वक्ता के रूप में दर्शन विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष और अमेरिकन फिलॉसफी प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के एडजंक्ट सदस्य प्रो. बालगणपति देवराकोंडा, सेंटर फॉर इंडिक स्टडीज, इंडस विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. डा. रितेंद्र राम शर्मा, जीएलए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इंडियन नॉलेज सिस्टम के संयोजक डा. अभिनव तिवारी तथा पुस्तकालयाध्यक्ष डा. राजेश कुमार ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया।

शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के सदस्य-सचिव प्रो. सच्चिदानंद मिश्रा ने अपने बारे में छात्र-छात्राओं को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी वास्तव में नए विकास की सदी है। जब भारतीय ज्ञान प्रणाली शुरू की गई तो कई लोगों को संदेह हुआ। भारतीय ज्ञान प्रणाली क्यों शुरू की जा रही है? भारतीय ज्ञान प्रणाली का उद्देश्य क्या है? वास्तव में जब हम भारतीय ज्ञान प्रणाली शुरू कर रहे हैं तो इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है और साथ ही एक ठोस ज्ञान, एक गहरी समझ भी होती है। क्योंकि भारतीय ज्ञान प्रणाली को समझे बिना, अगर हम भारत का विकास करने की कोशिश करते हैं तो वह विकास वास्तव में विकास नहीं होगा। यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय भारतीय ज्ञान प्रणाली को हर क्षेत्र तक पहुंचाने में जुगत में जुट गया है।

उन्होंने आधुनिक ज्ञान प्रणाली और भारतीय ज्ञान प्रणाली के बीच के वास्तविक अंतर पर बात करते हुए कहा कि हमें ध्यान में रखना होगा कि 100 साल या कुछ और समय के बाद हमारे बच्चों और पोते-पोतियों के लिए क्या बचेगा। हम देख रहे हैं कि नदियां लुप्त हो रही हैं। यमुना और गंगा की स्थिति भी देख सकते हैं। ऐसे बहुत सारे मुद्दे हैं जिनका हम आज-कल सामना कर रहे हैं। ये मुद्दे क्यों हैं? जब हम भारतीय ज्ञान प्रणाली को ध्यान में रखते हैं तो यह हमें कुछ नई अंतर्दृष्टि, कुछ नए विश्व दृष्टिकोण और जीवन के कुछ नए तरीके प्रदान कर सकती है। यदि इसका पालन किया जाता है तो यह विकसित हो सकती है, यह उन सभी अंतरालों को पूरा कर सकती है जो आधुनिक ज्ञान प्रणालियों में उपलब्ध हैं। भारतीय ज्ञान प्रणालियों में 64 कलाएं और 22 उपकलाएं भी हैं। इसलिए इन कलाओं और उपकलाओं का अध्ययन करने की आवश्यकता है। अंत में उन्होंने कहा कि जीएलए विश्वविद्यालय में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इंडियन नॉलेज सिस्टम भारत की ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य करेगा, जिसका सीधा फायदा विद्यार्थियों को मिलेगा।

मुख्य वक्ता के रूप में दर्शन विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष और अमेरिकन फिलॉसफी प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के एडजंक्ट सदस्य प्रो. बालगणपति देवराकोंडा ने भी भारतीय ज्ञान प्रणाली पर अपने विचार व्यक्त किए।

कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा आधुनिकता की कसोटी पर खरी उतरती है। जितनी भी हमारी परंपरायें हैं उन सब का कोई न कोई वैज्ञानिक आधार है और सभी पर्यावरण के अनुकूल हैं। इसलिए हमारी वर्तमान पीढ़ी को आधुनिक युग में भारतीय ज्ञान परंपरा का वाहक होना ही होगा। उन्होंने बताया कि जीएलए के कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल की प्रेरणा से निरंतर विश्वविद्यालय सफलता के पथ पर अग्रसर है। उन्हीं की दूरदर्शी सोच से यह केन्द्र भारतीय ज्ञान प्रणाली उत्कृष्टता का केन्द्र बनकर उभरेगा। अंत में उन्होंने भारतीय ज्ञान प्रणाली उत्कृष्टता केंद्र समन्वयक डा. अभिनव तिवारी के विशेष सहयोग एवं कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए धन्यवाद दिया।

कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने कहा कि अत्यन्त हर्ष हो रहा है कि जीएलए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम (भारतीय ज्ञान प्रणाली उत्कृष्टता केंद्र) के शुभारंभ पर हम सभी भारतीय ज्ञान परम्परा के समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाने हेतु एकत्रित हुए हैं। वाकई हमारा देश ज्ञान और विद्या की भूमि है। हमारी भारतीय ज्ञान परम्परा विशाल है, जो दर्शन, आध्यत्मिक कला, संस्कृति साहित्य, विज्ञान गणित सहित आदि क्षेत्रों में फैली हुई है।

अंत में जीएलए विश्वविद्यालय पुस्तकालयाध्यक्ष डा. राजेश कुमार भारद्वाज ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया और सभी अतिथियों, वक्ताआें, अयोजक एवं सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पुस्तकालय स्टाफ का योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभाग की रिषिता पंडित ने किया।

जीएलए और इंडस विश्वविद्यालय के साथ हुआ करार

जीएलए और इंडस विश्वविद्यालय के साथ हुआ करार!

इस अवसर पर इंडस विश्वविद्यालय के साथ एमओयू साइन हुआ। इस दौरान सेंटर फॉर इंडिक स्टडीज के निदेशक डॉ. रितेंद्र राम शर्मा एवं जीएलए के कुलसचिव अशोक कुमार सिंह के एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद प्रभावी हुआ। यह एमओयू उद्घाटन समारोह का एक महत्वपूर्ण पहलु रहा। इस दौरान डा. रितेंद्र राम शर्मा ने कहा कि इस सहयोगात्मक कदम का उद्देश्य भारत की ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त जीएलए विश्वविद्यालय में स्थापित यह नवीन केंद्र प्राचीन ज्ञान को आधुनिक पाठ्यक्रम में एकीकृत करके छात्रों को समग्र और सीखने के अवसर प्रदान करने के लिए संकल्पित है।

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