• ताइवान, चीन, टर्की के शोधार्थियों के साथ मिलकर जीएलए के शोधार्थियों ने किया शोध

दैनिक उजाला, मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के भौतिक विज्ञान विभाग के शोधार्थियों ने न्यूट्रिनो-नाभिकीय प्रकीर्णन सीमा के निर्धारण पर विश्वस्तरीय शोध कार्य किया है। यह शोध अमेरिका के जर्नल फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हुआ है।

‘न्यूट्रिनो-नाभिकीय प्रकीर्णन सीमा के निर्धारण‘ के विषय पर किया गया शोध आगामी समय में ब्रह्मांड के रहस्यों को आसानी से समझने में मदद करेगा। जीएलए विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के शिक्षक और छात्रों द्वारा किया गया शोध ताइवान, चीन, टर्की के शोधार्थियों के साथ मिलकर किया गया। अन्य देशों के साथ मिलकर किये गए शोध को विश्वस्तर पर प्रकाशित होने में आसानी रही और शोध उच्च स्तर पर लिखा गया।

डा. मनोज कुमार सिंह, विवेक कुमार, शुवादीप कर्माकर,

जीएलए भौतिकीय विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर रिसर्च डा. मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यह शोधपत्र कुओ-शेंग रिएक्टर न्यूट्रिनो प्रयोगशाला में इलेक्ट्रोकूल्ड पी-टाइप पॉइंट-कॉन्टेक्ट जर्मेनियम डिटेक्टर के साथ न्यूट्रिनो नाभिक प्रत्यास्थ प्रकीर्णन की खोज में दुनिया की सबसे अच्छी सीमाओं में से एक की रिपोर्ट करता है। यह परिणाम निश्चित रूप से मानक मॉडल और उससे आगे के सटीक परीक्षण के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करेगा। इसके अलावा, 150 ईवी सीमा पर अगली पीढ़ी की तकनीक के साथ, इस प्रयास ने इस प्रक्रिया के आसन्न अनुकूल अवलोकन का मार्ग प्रशस्त किया।

उन्होंने बताया कि इस शोध को विश्वस्तर पर प्रकाशित होने में जीएलए के छात्र शुवादीप कर्माकर तथा विवेक कुमार ने अपना विशेष योगदान दिया। दोनों ही छात्रों ने जीएलए के प्रोफेसर एवं एकेडमिकया सिनिका, ताइवान में आईओपी विभाग के प्रो. एचटी वांग के दिशा-निर्देशन में यह सफलता हासिल की।

क्या बोले विश्वविद्यालय के पदाधिकारी

डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने बताया कि विश्वस्तर पर किया गया शोध कार्य एकेडमिया सिनिका, ताइवान के साथ एमओयू के अन्तर्गत शोध कार्य संपन्न हुआ है।

विभागाध्यक्ष प्रो. अनुज विजय ने कहा कि भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर आधुनिक शोध कर रहे हैं। चाहे वह ब्रह्मांड को लेकर हो या फिर आकाशगंगा के विशाल संग्रह के बारे में हो। हर क्षेत्र में प्रोफेसर बेहतर शोध कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही छात्रों को ऐसे शोध के करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हाल ही में यूपीसीएसटी से ब्लैक होल की गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग विकसित करने तथा अन्य उद्देश्यों के चलते परियोजना पर कार्य करने का अवसर भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसरों को मिला।

अंतरराष्ट्रीय संबंध और शैक्षणिक सहयोग कार्यालय के डीन प्रो. दिलीप कुमार शर्मा ने बताया कि एमओयू के तहत भौतिकीय विभाग के दो छात्र अभी भी ताइवान के एकेडमिया सिनिका में शोध पर कार्य कर रहे हैं। कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता तथा कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए शिक्षक और छात्रों को आगे भी ऐसे शोध करने के लिए प्रेरित किया।

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