- किसानों ने करीब 150 बीघा खेती के लिए सुगम रास्ता की मांग क्या कर दी सिंचाई विभाग के अधिकारी लीपापोती में जुटे
- बलदेव खडैरा मौजा के किसानों का है मामला
- किसानों स्थाई तथा अस्थाई एक छोटे पैदल चलने वाले पुल की मांग की, अधिशासी अभियंता ने कई बार गलत आख्या लगाई, उच्चाधिकारियों ने पीठ थपथपाई
दैनिक उजाला, बलदेव/मथुरा : भगवान श्रीकृष्ण के बडे़ भाई बलदाऊ जिन्हें ब्रज के राजा कृषक भज बलराम भी कहा जाता है। जिनका तीर्थ स्थल बलदेव है। यहां के किसान ब्रज के राजा का नाम लेकर खेतों की बुवाई करते हैं, जिससे हर कार्य सुगम हो। यहां के किसानों के लिए अब सिंचाई विभाग के अधिकारी उनकी मांग को इस प्रकार ठुकरा रहे हैं जैसे कोई बहुत बड़ी मांग रख दी हो और वह संभव न हो।
बलदेव स्थित खडैरा मौजा के 70 से 80 किसानों की मांग यह है कि बलदेव रजवाहा के किनारे उनके करीब 150 बीघा खेती को सुगमता से करने के लिए कोई बेहतर रास्ता नहीं है, जिससे किसान अपने खेतों पर फसल की रखवाली करने के लिए किसी सुगम रास्ते से जा सकें। इसके लिए ही बीते माह से किसानों ने निचली मांट ब्रांच गंग नहर के अधिशासी अभियंता से एक स्थाई तथा अस्थाई पुल की मांग की थी, लेकिन अधिशासी अभियंता ने न तो कोई निरीक्षण किया और न ही किसानों से कोई वार्तालाप करना उचित समझा।
किसानों मांग पर पुल दूरी का हवाला देकर आख्या प्रेषित कर दी। सबसे बड़ी बात यह रही कि जो आख्या दूरी का हवाला देकर अधिशासी अभियंता ने प्रेषित वह बिल्कुल मायने नहीं रखती। क्योंकि जिन पुल की दूरी का हवाला दिया वहां एक दो पुलों के पास ही मात्र करीब 300 मी0 की दूरी पर ही एक पुल नरहौली जुन्नारदार के सामने बना हुआ है, जो कि एक कॉलौनी को जोड़ता है। इस पर अधिशासी अभियंता और उच्चाधिकारी बिल्कुल मौन हैं। किसानों की समस्या पर दूरी का हवाला देकर उच्चाधिकारियों ने भी आख्या को स्वीकार कर किसानों की मांग ठुकरा दिया यानि चलता कर दिया।
रात भर डर के साये में पहुंचते हैं किसान
खेतों में रबी की फसल है। आवारा पशुओं का आतंक है। नील गायों का झुंड रातभर तो है कि दिन में भी खेतों की फसल को बर्बाद करने में जुटा है। किसानों के लिए बेहतर रास्ता तक नहीं है। किसान ब्रजेश बौहरे कहते हैं कि स्थाई ही न हो लेकिन एक अस्थाई पुल बन जाय जिससे किसान समय से खेतों पर सुरक्षित पहुंच सकेंगे। इसके लिए किसानों ने खंभे भी लाकर रख दिए हैं, लेकिन अधिकारी किसानों की मांग ठुकराने में जुटे हुए हैं।
एक बार सिर पर बोझ पर रखकर चलकर देखें अधिकारी
जिस रजवाहा की पटरी को साफ कराने की आख्या लगाकर किसानों की मांग को सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने ठुकराया है। उस पर किसान नटवर लाल पांडेय कहते हैं कि एक बार इतनी दूर खेतों से पुल तक जिस प्रकार पटरी साफ कराई उससे होकर कोई अधिकारी सिर पर बोझ रखकर निकल जाय तो हम किसान पुल की मांग छोड़ देंगे। हाल बेहाल है पटरी का। जगह-जगह उबड़ खाबड़ पड़ी हुई है। बावजूद इसके मुख्य अभियंता और प्रमुख अभियंता ने अधिशासी अभियंता की आख्या को आगे बढ़ाकर शिकायत को निस्तारित करने को प्रेषित कर दिया। यह किसानों के लिए दुखभरा है।