- BJP के लिए क्यों मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा यह दांव
नई दिल्ली : समान नागरिक संहिता (UCC) भाजपा का बड़ा एजेंडा है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इसे लागू करने की पहल तेज हो गई है। लॉ कमीशन ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर नई कंसल्टेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। लॉ कमीशन ने धार्मिक संगठनों और आम लोगों से समान नागरिक संहिता पर राय मांगी है। राजनीति के जानकारी इस कदम को भाजपा (BJP) को बड़ा मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं। जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले समान नागरिक संहिता को लागू कर भाजपा अपने बड़े एजेंडे को पूरा करते हुए अपने कोर वोटरों का विश्वास पार्टी पर और मजबूत करेगी। समान नागरिक संहिता पर शुरू हुई यह कवायद क्या है, इसे भाजपा का मास्टरस्ट्रोक क्यों कहा जा रहा है, पार्टी को इससे क्या फायदा मिलेगा।
बुधवार 14 जून को लॉ कमीशन ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर नई कंसल्टेशन प्रक्रिया शुरू की। इसके तहत कमीशन ने सार्नजनिक और धार्मिक संगठनों से राय मांगी है। लॉ कमीशन की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि जो लोग समान नागरिक संहिता में रुचि रखते हैं वे अपनी राय दे सकते हैं।
आयोग ने विचार प्रस्तुत करने के लिए 30 दिन का समय दिया है। कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले 22वें लॉ कमीशन ने इच्छुक लोगों से 30 दिन में अपने विचार अपने वेबसाइट या ईमेल पर देने के लिए कहा है।
इससे पहले 21वें लॉ कमीशन ने भी समान नागरिक संहिता पर अध्ययन किया था। लेकिन तब आयोग ने इस पर और चर्चा की जरूरत बताई थी। इस बात को 3 साल से अधिक समय बीत चुका है। अब नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है देश में हर नागरिक के लिए एक समान कानून। अभी भारत में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं। लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर धर्म के लिए एक जैसा कानून हो जाएगा। हिंदू हो, मुसलमान, सिख या ईसाई सबके लिए शादी, तलाक,पैृतक संपत्ति जैसे मसलों पर एक तरह का कानून लागू हो जाएगा।
यूसीसी पर देश में हमेशा से विरोध भी होता रहा है। विरोधियों का यही कहना रहा है कि ये सभी धर्मों पर हिंदू कानून को लागू करने जैसा है। मुस्लिम समाज इस कानून के खिलाफ मुखर हो कर आवाज उठाता रहा है। मुस्लिम समाज के नुमाइंदों का कहना है कि हिंदूत्ववादी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए भाजपा समान नागरिक संहिता बनाना चाहती है।
कई लोग इसे धर्मनिरपेक्षता से जोड़कर भी देखते हैं। संविधान के अनुसार भारत को धर्मनिरपेक्ष देश है। लेकिन बीते कुछ सालों में भारत में हिंदुत्ववादी परंपराओं को बढ़ावा मिला है। आरोप है कि सरकार जानबूझकर ऐसी परंपराओं को बढ़ावा दे रही है।
कांग्रेस ने पत्र जारी कर कहा- विफलताओं को छिपाने के लिए पुराने पैंतरे पर सरकार
समान नागरिक संहिता पर शुरू हुई ताजा पहल पर कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक पत्र जारी करते हुए कहा कि सरकार ने अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए पुराना पैंतरा आजमाया है। उन्होंने कहा कि याद रखना चाहिए कि राष्ट्र के हित भाजपा की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से अलग हैं।