दैनिक उजाला, एजुकेशन डेस्क : NEET PG परीक्षा एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह आदेश दिया। छात्रों ने 2 शिफ्ट में परीक्षा के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि 2 शिफ्ट में एग्जाम से क्वेश्चन पेपर के डिफिकल्टी लेवल में फर्क होता है, जो फेयर इवैल्युएशन नहीं है। परीक्षा में हासिल किए गए नंबर्स में भी फर्क आ जाता है।
NEET PG एग्जाम 15 जून को होना है जिसके लिए एडमिट कार्ड 2 जून को जारी होंगे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले की जल्द सुनवाई की है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नॉर्मलाइजेशन एक्सेप्शनल केसेज के लिए
बेंच ने कहा- ये तर्क माना नहीं जा सकता कि एग्जाम कराने के लिए NBE (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन) को पर्याप्त सेंटर नहीं मिले। 2 शिफ्ट में एग्जाम कराना फेयर नहीं है। दो पेपर्स का डिफिकल्टी लेवल कभी एक जैसा नहीं हो सकता। नॉर्मलाइजेशन का इस्तेमाल एक्सेप्शनल केसेज में होना चाहिए, न कि रूटीन परीक्षाओं में।
इस साल का एग्जाम 15 जून को होना है। अभी भी एग्जामिनेशन बॉडी तय करने और सेंटर्स चुनने के लिए 2 सप्ताह से ज्यादा का समय बाकी है। इसके बावजूद अगर और समय की जरूरत होती है तो आवेदन कर सकते हैं।
22 मई को कोर्ट ने जारी किए थे ट्रांसपेरेंसी के निर्देश
एग्जाम में ट्रांसपेरेंसी की मांग वाली याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई को सुनवाई की थी। इस सुनवाई में सभी प्राइवेट और डीम्ड मेडिकल यूनिवर्सिटीज को अपनी फीस डिटेल्स जारी करने का निर्देश दिया था।
नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ कोर्ट गए स्टूडेंट्स
NEET PG 2024 परीक्षा के एस्पिरेंट्स ने सितंबर 2024 में परीक्षा में पारदर्शिता के लिए याचिकाएं दायर की थीं। स्टूडेंट्स की मांग थी कि परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी NBEMS एग्जाम के क्वेश्चन पेपर और स्टूडेंट्स की आंसर भी जारी करे। इससे कैंडिडेट्स को अपने रिजल्ट का सही आकलन करने और बेहतर तैयारी करने में मदद होगी।
स्टूडेंट्स की दूसरी मांग थी कि एग्जाम एक ही शिफ्ट में हो। दो शिफ्ट में एग्जाम होने से रिजल्ट नॉर्मलाइजेशन के बाद जारी होता है जो कि फेयर नहीं है।
आखिर क्या है नॉर्मलाइजेशन
कई बार जब किसी एग्जाम के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या ज्यादा हो जाती है तो एग्जाम कई शिफ्टों में आयोजित कराया जाता है। कई बार एग्जाम कई दिन तक चलता है।
ऐसे में हर शिफ्ट में क्वेश्चन पेपर का अलग सेट स्टूडेंट्स को दिया जाता है। ऐसे में किसी स्टूडेंट को मुश्किल और किसी स्टूडेंट को आसान क्वेश्चन पेपर मिलता है। यहां सवाल उठता है कि आसान और मुश्किल कैसे तय किया जाता है।