- जीएलए में एनएचआरडीएन मथुरा चैप्टर के वार्षिक सम्मेलन में लघु एवं मध्य उद्योग के विस्तार और अवसरों पर हुई चर्चा
दैनिक उजाला, मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के प्रबंधन संकाय द्वारा एनएचआरडीएन मथुरा चैप्टर के बैनर तले एक दिवसीय वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। ‘लघु एवं मध्यम उद्योग की सफलता और रणनीति‘ विषय पर आयोजित काॅन्क्लेव में उद्योग जगत के दिग्गजों ने उद्योग स्थापित करने से लेकर उनके विस्तार पर छात्रों के साथ चर्चा की।
सम्मेलन का शुभारंभ सत्र आमंत्रित अतिथियों व विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कियया। शुभारंभ सत्र के मुख्य अतिथि एनएचआरडीएन के नेशनल प्रेसीडेंट जेके समूह के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी प्रेम सिंह ने कहा कि जीएलए विश्वविद्यालय का स्माॅल एंड मीडियम इंडस्ट्री सक्सेस स्ट्रेटजीस पर चर्चा का यह बड़ा प्रयास उद्योगों के लिए काफी कारगर साबित होगा। क्योंकि स्माॅल इंडस्ट्रीज एक ऐसा सेक्टर है, जो कि आज की युवा पीढ़ी को रोजगार के अवसर तो देगा ही, बल्कि उद्यमिता के अवसर भी प्रदान करता है। भविष्य में ऐसे ही अवसर प्रयोगात्मक तौर पर भुनाने की आवश्यकता भी है।
उन्होंने कहा कि आज के समय में देष का 35 प्रतिशत शेयर स्माॅल इंडस्ट्रीज का है, जो कि देश की जीडीपी के ग्रोथ में बहुत बड़ा योगदान है। इसके अलावा जो भी इंडस्ट्री में एक्सपोर्ट होता है उसका 50 प्रतिशत शेयर इंडस्ट्री द्वारा बनाए हुए प्रोडक्ट का है। इसलिए हम इस मध्यम इंडस्ट्री को भी नजर अंदाज नहीं कर सकते। इसका कारण है कि बड़ी संख्या में जो देश का युवा है, उसके लिए स्माॅल इंडस्ट्रीज देश के विकास में बहुत अधिक कारगर है। भारत सरकार ने भी स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, बिल्ड इन इंडिया, मिनिस्ट्री ऑफ़ स्माॅल इंडस्ट्री, स्किल डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में काफी कदम बढ़ाए हैं। जिसका सीधा फायदा छात्रों के रोजगार और उद्यमिता से लेकर स्माॅल इंडस्ट्रीज को मिल रहा है। उन्होंने युवा पीढ़ी से आवाह्न करते हुए कहा कि प्रत्येक छात्र उद्यमिता के रास्ते के साथ ही बेहतर जाॅब तैयार करने वाले रास्ते चुनें न कि सिर्फ जाॅब खोजने का रास्ता।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डावर फुटवियर इंडस्ट्रीज के चेयरमैन पूरन डाबर ने कहा कि आज का समय छात्र को रोजगार से जोड़ने के अलावा उसको उद्यमशील बनाने के साथ-साथ जाॅब तैयार करने वाले नेटवर्क से जोड़ना है। क्योंकि जो अवसर भारत में है वह किसी और देश में नहीं। आज जरूरत है छोटे कार्यों को बडे रूप में दिखाने की और बंद बड़े कार्यों को संचालन में लाने की। इस बात पर भी उन्होंने जोर देते हुए कहा कि छात्र के लिए कोई भी कार्य छोटा नहीं है। छोटा है तो, सिर्फ उसका सोचना। इसलिए छात्र का परिवार जिस कार्य को कर रहा है उसी में मेहनत और लगन से कार्य कर उसे आगे बढ़ाने के प्रयास में जुट जाये न कि अपने चलते हुए कार्य को छोड़कर जाॅब पाने की फिराक में इधर-उधर निकले। शिक्षा पाकर उसी शिक्षा को अपने कामों के साथ जोड़ें। क्योंकि शिक्षा डिग्री का साधन नहीं है, बल्कि यह एक बड़े रोल अदा करने का साधन है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सरकारी रोजगार कम हो रहे हैं। साथ ही नई-नई टेक्नोलाॅजी से रोजगार में भी कमी आयी है। इसलिए रोजगार के सही अर्थ को समझना ही बेहतर शिक्षा का प्रारूप है।
इससे पहले शुभारंभ सत्र की शुरुआत में एनएचआरडीएन मथुरा चैप्टर के अध्यक्ष व जीएलए विश्वविद्यालय के सीईओ नीरज अग्रवाल ने एनएचआरडीएन मथुरा चैप्टर की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए इंडस्ट्री-एकेडेमिया पार्टनरशिप को लेकर जीएलए विश्वविद्यालय के प्रयासों की जानकारी दी। एनएचआरडीएन मथुरा चैप्टर के उपाध्यक्ष एवं प्रबंधन संकाय निदेशक प्रो. अनुराग सिंह ने स्वागत उद्बोधन के दौरान आमंत्रित अतिथियों को एनएचआरडीएन मथुरा चैप्टर की वार्षिक प्रगति की जानकारी दी एवं उद्यमिता की प्रासंगिकता को उदाहरणों संग समझाते हुए आयोजन की विषय-वस्तु से सभी को रूबरू कराया। सत्र के दौरान एषिया कोचिंग नेटवर्क के चेयरमैन वीपी सिंह ने प्रष्नोत्तरी श्रंखला के माध्यम से आमंत्रित अतिथियों व उपस्थित श्रोताओं के मध्य संवाद स्थापित किया। शुभारंभ सत्र के अंत में एनएचआरडीएन मथुरा चैप्टर के सचिव प्रो. सोमेश धमीजा द्वारा सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।
तत्पश्चात “वैश्वीकरण बनाम स्थानीयकरण‘‘ स्थानीय उद्योगों के लिए संतुलन अधिनियम” व “स्थानीय उद्योगों के लिए कार्यबल विकास और कौशल संवर्धन” विषय आधारित दो सत्रों का आयोजन किया गया। सत्र की अध्यक्षता एलेंकस एचआर सोल्यूशन्स के संस्थापक व सीईओ देबाशीष दास तथा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के क्रियान्वयन से जुड़े नीरव निमेश अग्रवाल द्वारा की गयी, जिसमें यूवी ओवरसीज की एमडी रेणुका डंग, एमएसएमई में सहायक निदेशक सतीश यादव, मैक्स सेफ्टी के सीईओ ऋतिक, इंडोफिल इंडस्ट्रीज के अरुण कुमार राय, एक्सिस बैंक के गौरव अग्रवाल, गणेश फूड्स के अश्वनी बत्रा, एलएलएमजी बेवरेजेस (कोक) के एजीएम अंशुल शर्मा इत्यादि ने अपने अनुभव और सोच को सभी के साथ साझा किया। लघु एवं मध्यम उद्योगों व स्टार्टअप्स के विकास में मदद हेतु वैश्वीकरण और स्थानीयकरण के बीच संतुलन के महत्त्व और संतुलन को बनाने हेतु आवश्यक तत्वों पर विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की गयी। साथ ही स्थानीय लघु व मध्यम उद्योगों हेतु कामगारों के कौशल विकास की आवश्यकता व संबंधित तत्वों पर भी चर्चा की गयी। इस सन्दर्भ में स्थापित उद्योगों, सरकारों, शिक्षण संस्थानों व कौशल विकास केन्द्रों की भूमिका पर भी विस्तार से चर्चा की गयी।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि मेगामेक्स सर्विसेस के सीएमडी राजेश कुमार सिंह ने आयोजन की विषय-वस्तु को प्रासंगिक व महवपूर्ण बताते हुए आयोजन की सराहना की तथा कहा कि छोटे और मध्यम उद्योग उन संगठनों को प्रतिनिधित करते हैं, जो नये और नवाचारी विचारों का परिचय करते एवं कराते हैं। ये उद्योग न केवल रोजगार के स्रोत हैं, बल्कि वे हमारी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करते हैं।
प्रबंधन संकाय विभागाध्यक्ष प्रो. उत्कल खंडेलवाल ने आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिन्ह् प्रदान करते हुए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जीएलए विश्वविद्यालय केवल अपने विद्यार्थियों ही नहीं अपितु समाज के विभिन्न तबकों के विकास हेतु भी प्रतिबद्ध है और उसके लिए निकट भविष्य में भी कई कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
कॉन्क्लेव का संचालन विद्यार्थी दिवांशी लवानियां, धीरज, आंचल दीक्षित ने किया। इस अवसर पर सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं सहित छात्र-छात्राओं का सहयोग सराहनीय रहा।
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