दैनिक उजाला डेस्क : आज के समय में AI एक ऐसी चीज है जिसने लोगों के बीच फायदा और नुकसान की बहस छेड़ दी है। कई लोगों का मानना है कि तकनीक विशेषकर AI के नुकसान ज्यादा हैं। हालांकि, अभी जो किस्सा हम यहां बताने जा रहे हैं उसने कुछ और ही तस्वीर पेश की है। अब तक आपने शिक्षक के स्थान पर रोबोट का प्रयोग सुना होगा। लेकिन यहां मंज़र कुछ और ही है। यहां एक छात्र की जगह रोबोट ने ले ली।

दरअसल, ये मामला साउथ-वेस्ट लंदन का बताया जा रहा है, जहां एक बीमार बच्चे की जगह ‘एवी हावर्ड’ नाम के रोबोट ने ली है। 12 साल के हावर्ड कैंसर से पीड़ित हैं। अपनी बीमारी के कारण वे स्कूल नहीं जा सकते हैं। हालांकि, अब उनकी जगह रोबोट स्कूल जा रहा है और क्लास ज्वॉइन कर रहा है। इस तरह हावर्ड की पढ़ाई भी नहीं रुक रही है और वे बिना स्कूल जाए भी क्लास कर पा रहे हैं।

हावर्ड बीते दिसंबर से आर्म कैंसर से जूझ रहे हैं। इस साल जनवरी महीने में उनकी कीमोथेरेपी हुई थी। ऐसे में वो स्कूल जाने के कंडीशन में नहीं हैं, जिससे उनका 50 परसेंट अटेंडेंस कम हो गया था। साथ ही उनकी पढ़ाई को काफी नुकसान हो रहा था। हावर्ड ट्विकेनहैम के एक स्कूल में पढ़ते हैं।

रोबोट के आने से हावर्ड की जिंदगी काफी बदल गई है। अब दर्द और संघर्षों के बीच उनके पास एक रोबोट है, जिसने स्कूल न जाने की परेशानी से कम-से-कम छूटकारा दिला दिया है। एवी हावर्ड नाम का ये रोबोट बच्चे का अच्छा दोस्त भी बन गया है। ये ऑडियो-विजुअल रोबोट एक इंटरेक्टिव अवतार है। इसके मदद से हावर्ड घर या अस्पताल से क्लासेज अटेंड करते हैं। इस रोबोट के माध्यम से हावर्ड अपनी बात कह सकते हैं और साथ ही शिक्षकों की बात सुन सकते हैं। हावर्ड क्लास की हर एक्टिविटी को अपनी आंखों से देख पाते हैं। जी हां, रोबोट में लगे इन-बिल्ट कैमरे की मदद से हावर्ड क्लास में हो रही हर एक्टिविटी को देखता है। शिक्षकों और छात्रों को भी रोबोट ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वो हावर्ड को सीखने व पढ़ने में मदद कर सकें।

रोबोट दिलाने में चैरिटी ने की मदद

एक रिपोर्ट के अनुसार, हावर्ड इस रोबोट को पाकर काफी खुश हैं क्योंकि वे अपनी पढा़ई पूरी कर पा रहे हैं। चार्टवेल चिल्ड्रन्स कैंसर ट्रस्ट ने हावर्ड को ये रोबोट उपलब्ध कराया है। ये एक चैरिटी मोमेंटम है जो गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों की हर संभव मदद करता है। इन्हें उम्मीद है कि रोबोट तकनीक से कई बच्चों की मदद की जा सकती है। मोमेंटम की फैमिली सपोर्ट मैनेजर एम्मा सियरल का कहना है कि वे पता लगाते हैं कि किसी बच्चे और उसके परिवार को सबसे ज्यादा किस चीज की जरूरत है और फिर वो उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं। हावर्ड के केस में ये शिक्षा थी।

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