• जीएलए मैकेनिकल के प्रोफेसर ने किया आधुनिक जैक और एयर टैंक पर कार्य, हुआ पेटेंट ग्रांट

मथुरा : तकनीकी युग में ऑटोमोबाइल सेक्टर में हो रहे आये दिन परिवर्तनों को मद्देनजर रखते हुए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के मैकेनिकल विभाग के प्रोफेसर और टेक्निकल मैनेजर ने एक अनुकूलित (आप्टीमाइजड) इनविल्ट न्यूमेटिक जैक को जन्म दिया है। इस जैक के माध्यम से कम समय में आसानी से रास्ते में चार पहिया गाड़ी के टायरों को आसानी से बदला और पंचर जोड़ा जा सकता है।

अक्सर देखा जाता है कि चार पहिया वाहन से एक लंबी यात्रा के दौरान रास्ते में ट्यूबलैस टायर पंचर होने पर व्यक्ति परेशान रहते हैं। इसके लिए वह मैकेनिक की तलाश करते हैं, लेकिन दूर-दूर तक कोई मैकेनिक नजर नहीं आता और टायर को खोलने और बदलने में घंटों लग जाते हैं। इसी समय की बचत और कम मेहनत पर रिसर्च करते हुए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के टेक्निकल मैनेजर रितेश दीक्षित और प्रोफेसर डाॅ. मनोज अग्रवाल ने एक अनुकूलित (आप्टीमाइजड) इनविल्ट न्यूमेटिक जैक तैयार किया है। इसके साथ ही एयर कम्प्रेषर तथा गाड़ी में पीछे रखे जाने वाले एयर (हवा) टैंक पर कार्य किया है, जिससे कि टायर में हवा भी बगैर मेहनत के आसानी भरी जा सके।

GLA Campus

प्रोफेसर डाॅ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि आधुनिक जैक को चार पहियों के पास फिट कर दिया जायेगा, जो कि गाड़ी में अंदर लगे 4 स्विच से जुडे़ होंगे। यह जैक स्विच से कार्य करेंगे यानि जिस टायर के स्विच को दबाएंगे वह टायर लिफ्ट हो जाएगा। टायर लिफ्ट होने के बाद न्यूमैटिक गन जो कि एयर टैंक से जुड़ी होगी के द्वारा टायर के नट बोल्टों को खोलने का कार्य करेगी। टायर खुलने के बाद अगर स्टेपनी है, तो बदल सकते हैं। स्टेपनी न होने की स्थिति में एयर टैंक द्वारा हवा भरकर ट्यूबलैस टायर के पंचर को चैक कर उसे आसानी जोड़कर उसी टायर को गाड़ी में लगाकर यात्रा सफल बना सकते हैं।
टेक्निकल मैनेजर रितेश दीक्षित कहते हैं कि गाड़ियों में एयर कंप्रेसर और एयर टैंक गाड़ियों में होना जरूरी है, जिससे कि टायरों में हवा कम होने अथवा पंचर होने पर एयर टैंक में स्टोरेज हवा का प्रयोग कर सकें। उन्होंने बताया कि एयर कंप्रेसर को इंजन के पास फिट किया जायेगा और एयर टैंक को गाड़ी के पीछे डिग्गी में फिट किया जायेगा। अब तक देखा जाता है कि हाथों से ही जैक और टायर के नट बोल्ट को खोला जाता है, जिसमें काफी देर के साथ-साथ मेहनत भी होती है।

विभागाध्यक्ष प्रो. पियूष सिंघल ने बताया कि अधिकतर देखा जाता है कि टायर पन्चर होने पर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और यह मुश्किल तब और भी बढ़ जाती है जब पास में कोई रिपेयरिंग की दुकान उपलब्ध न हो। विभाग के प्रोफेसर इस तकनीक के ग्रांट होने पर अब इस तरह की कोई समस्या का सामना नहीं करना पडे़गा।

डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने बताया कि यह आधुनिक तकनीक बहुत कारगार है खास तौर से जब गाड़ी को कोई महिला या बुजुर्ग लोग चला रहे हों। यह पेटेंट अब ग्रांट हो चुका है। लिहाजा इस तकनीक को बाजार में लाने का प्रयास किया जायेगा, जिससे हर वर्ग का व्यक्ति इसका फायदा उठा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *