चंडीगढ़ : हरियाणा के नए पुलिस महानिदेशक (DGP) ओपी सिंह ने पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को तीसरी चिट्ठी जारी की है। इस चिट्ठी में उन्होंने ‘क्राउड’ (भीड़) और ‘मॉब’ (उपद्रवी भीड़) के बीच का अंतर स्पष्ट किया है। डीजीपी की इस चिट्ठी का उद्देश्य पुलिसकर्मियों को भीड़ और उपद्रवी भीड़ के बीच अंतर समझाना और उन्हें कानून व्यवस्था बनाए रखने के दौरान उचित कार्रवाई करने के लिए मार्गदर्शन करना है। इस चिट्ठी में हबीबी जालिब का शेर भी लिखा है।
डीजीपी ने विधि-व्यवस्था के संचालन में लगे पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को लिखा है कि भारत में बहु-पार्टी लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था है। स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान के माध्यम से चुने गए प्रतिनिधि सत्ता पक्ष और विपक्ष के रूप में जनता की जरूरतों और दिक्कतों को विभिन्न माध्यमों से प्रकट करते हैं।
इन्हीं के आधार पर नीतियां बनती हैं और सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से जिले में तैनात अधिकारी इन नीतियों को लागू करते हैं। उन्होंने जोर दिया कि इन सभी कार्यों का उद्देश्य हमेशा जन-कल्याण होता है।
DGP ने अपनी चिट्ठी में क्या लिखा…

लाठी-डंडों की भाषा अंग्रेजों की थी
डीजीपी ने चिट्ठी में लिखा है कि मैं चाहूंगा कि आप समझें कि अहिंसक धरना, प्रदर्शन, जुलूस, रोष मार्च इत्यादि प्रजातंत्र की व्यवस्था हैं। लाठी-डंडा अंग्रेजों की भाषा थी। निरंकुश तंत्र था। शोषण में जुटे थे। लोगों के समूह को ख़तरनाक समझते थे। सबक़ सिखाने के लिए जलियांवाला बाग कांड तक कर गए।
युवा-बहुल स्वतंत्र भारत में बात-बात पर बल-प्रयोग कोई बुद्धि की बात नहीं है। ये हमारे नागरिक हैं। इन्हें नियम के अनुसार चलने के प्रेरित-प्रशिक्षित करना हमारा ही काम है।
क्राउड होस्टिंग करें पुलिस अधिकारी
डीजीपी ने अपनी तीसरी चिट्ठी में लिखा है कि अच्छा होगा कि आप खेल-कूद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से नियमित ‘क्राउड-होस्टिंग’ करें। इससे आप युवाओं से जुड़ेंगे, उन्हें सही रास्ते चलने के लिए प्रेरित कर पायेंगे। इससे आपको भीड़ के संरचना और स्वभाव के बारे में भी फर्स्ट-हैंड पता चलता रहेगा। समाज में सकारात्मक प्रभाव रखने वाले लोगों से गठजोड़ बनेगा। व्यवस्था सुचारू रखने में सहायता मिलेगी।
असामाजिक तत्वों की पहचान जरूरी
आपराधिक प्रवृत्ति के मतलब-परस्त लोग अपनी स्वार्थ-पूर्ति के लिए अक्सर इन प्रजातांत्रिक व्यवस्थाओं का दुरुपयोग करते हैं। लोगों को बहका कर तोड़ फोड़ और आगज़नी पर उतर आते हैं। कभी-कभी इनके तार दुश्मन देशों से भी जुड़े होते हैं। ऐसे असामाजिक तत्वों की पहचान करें। इनकी आपराधिक गतिविधियों को उजागर करें और इन्हें जेल से बाहर आने ही ना दें।
प्रोटेस्ट क्राउड मैनेजमेंट कोर्स बनवा रहे
मैंने निदेशक, पुलिस अकादमी को कहा है कि वे आपके लिए ‘प्रोटेस्ट क्राउड मैनेजमेंट पर एक शॉर्ट-टर्म कोर्स डिज़ाइन करें। इससे आप सीख पायेंगे कि ‘क्राउड’ और ‘मॉब’ में क्या फ़र्क़ है, कैसे एक उत्तेजित भीड़ को शांत किया जा सकता है।
हबीब जालिब का शेर लिखा
डीजीपी ओपी सिंह ने इस चिट्ठी में हबीबी जालिब का शेर लिखा है, तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यकीं था,। उन्होंने लिखा कि मैं चाहूंगा कि आप ये समझें कि सरकार एक तंत्र हैं जो लोगों द्वारा और लोगों के लिए बनाई गई है। आप इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पब्लिक डीलिंग में घमंड और बदजुबानी ना लायें। एप्रोच प्रॉब्लम-सॉल्विंग रखें। लोगों को शांत रखने के जुगत भिड़ायें।
ये समझें कि आपका काम विधि अनुसार व्यवस्था बनाये रखनी है ताकि गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा दूर करने और जन-कल्याण के अन्य कार्य में लगा तंत्र अपना काम निर्बाध करता रहे।

