दैनिक उजाला, भोपाल : ‘बुंदेलखंड’ के नाम के साथ ही सूखा ग्रस्त इलाका, पलायन और बेरोजगारी जैसी समस्याएं जुड़ी हुई हैं। पानी के संकट से जूझते इस पूरे इलाके को पानीदार बनाने के लिए देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना केन-बेतवा रिवर लिंक प्रोजेक्ट की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो महीने पहले 25 दिसंबर को खजुराहो में किया था। इस नदी जोड़ो परियोजना के साथ ही बुंदेलखंड रीजन में दो हजार चंदेल कालीन तालाबों को पुनर्जीवित करने सरकार काम करेगी।

चंदेल कालीन तालाबों को पुनर्जीवित करने में मप्र का पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, जल संरक्षण पर काम करने वाली सामाजिक संस्थाओं (NGO), और पब्लिक की मदद से काम करेगी। जल संरक्षण पर काम कर रही गैर सरकारी संस्थाओं ने ओरछा में वर्कशॉप आयोजित की। इस कार्यशाला में जल पुरुष राजेंद्र सिंह, मप्र के पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल और जल संरक्षण पर काम करने वाले संजय सिंह तमाम एक्सपर्ट्स ने मंथन किया।

छतरपुर जिले के खजुराहो में स्थित चौपड़।

छतरपुर जिले के खजुराहो में स्थित चौपड़।

चंदेल राजाओं ने बनवाए बांध, तालाब और बावड़ियां

बुंदेलखंड मप्र और उप्र के 7-7 जिलों में बंटा हुआ है। इस इलाके में 9वीं से 16वीं शताब्दी तक चंदेलों का शासन रहा है। पानी की कमी से यह इलाका हमेशा जूझता रहा है। चंदेल राजाओं ने बरसाती पानी को सहेजने के लिए 2 पहाड़ों के बीच पत्थर और मिट्‌टी का प्रयोग करते हुए बांधों का निर्माण कराया।

पहाड़ियों के तराई इलाके में बरसाती पानी इकट्‌ठा हो सके। इन तालाबों को बनाने में ऐसी तकनीक का प्रयोग किया गया। जिसमें एक तालाब के भरने पर वेस्टवियर के जरिए उसके तराई इलाके का तालाब भर सके। इन तालाबों के साथ ही बावड़ियां भी बनवाई गई। ताकि तालाबों और बांधों के किनारे की बावड़ियां भर सकें।

पानी पर काम करना हमारी संवैधानिक जिम्मेदारी

मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा- उन तालाबों में डीसिल्टिंग की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं हैं। क्योंकि वहां का जो डेटा हमारे पुरखों ने बनाया उसमें कोई नुकसानदेह चीजें नहीं हैं। पानी की आवक को निरंतर करना। अगर कोई अतिक्रमण है तो उनको दूर करना। पानी आने के रास्तों को खोलने के लिए प्रशासनिक जरूरत पड़ती है।

ऐसी कोई जानकारियां जो वहां पर काम करने वाले लोग हैं या फिर जो जल के क्षेत्र में काम करने वाले लोग हैं उनके कोई सुझाव हैं। जो भी सुझाव विमर्श में सामने आएंगे उसके लिए सरकार कटिबद्ध है। हमें आने वाली पीढ़ी के लिए पानी पर काम करना ही होगा। ये हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है।

पानी के रास्ते में बनी सड़कों पर विभाग बनवाएगा पुलिया मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा- हमें एक बार चिह्नित करना पडे़गा कि हम शुरुआत कहां से करें। दमोह में मैने किया था बेलाताल में एसपी के सामने पुलिया थी, उसे हमने तोड़ दिया था। मुझे लगता है कि कैचमेंट खोलना हमारे नैतिक बल पर निर्भर करता है। प्रशासन की जरूरत तब पडे़गी तब वहां कोई अवरोध पैदा करे।

दूसरी बात ये है कि अगर सीसी रोड बना दिया तो वहां पुलिया बनानी पडे़गी। ऐसे निर्माण की गारंटी हम जैसे मंत्रालय के लोग ही ले सकते हैं। आप बरसात के पहले पुलिया बना दो, अन्यथा वो फिर समस्या पैदा होगी। पानी आएगा तो रास्ता रुक जाएगा। हमारी मानवीय भूलों के कारण जो अवरोध पैदा हुए हैं। उसमें किसी बदलाव की जरूरत पड़ती है। तो फिर उसे हम अपने विभाग की प्राथमिकता में शामिल करेंगे।

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