लखनऊ : यूपी की अफसरशाही बेलगाम हो चुकी है। इसका अंदाजा सिर्फ एक उदाहरण से लगा सकते हैं। 28 नवंबर यानी करीब एक महीने पहले ब्यूरोक्रेसी के मुखिया मनोज सिंह एक कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के आदेश देते हैं। लेकिन, अफसर उनका आदेश रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं। कंपनी लगातार अपना काम कर रही है और उसे बराबर पेमेंट भी हो रहा है। सबसे बड़ी बात तो यह है वही कंपनी मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में ब्लैकलिस्ट हो चुकी है।

दरअसल, केके स्पन कंपनी पर यूपी जल निगम के अफसर मेहरबान हैं। कंपनी प्रदेश में जिन 4 जगहों पर काम कर रही है, वो कई साल से अटके पड़े हैं। गड़बड़ियां भी सामने आई हैं। शिकायत के बाद मुख्य सचिव मनोज सिंह ने खुद कंपनी का काम देखा था। इसके बाद कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का आदेश दिया था।

अब पढ़िए पूरी कहानी

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कंपनी के काम को लेकर नाराजगी जाहिर की थी।

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कंपनी के काम को लेकर नाराजगी जाहिर की थी।

लखनऊ में 6 साल पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में सीवरेज के काम का ठेका केके स्पन कंपनी मिला था। काम 2 साल में पूरा करना था, लेकिन 6 साल में भी पूरा नहीं हो सका। लखनऊ में 208 करोड़ के प्रोजेक्ट में 200 करोड़ का पेमेंट हो चुका है। कंपनी को लखनऊ के अलावा रायबरेली, बरेली और मुरादाबाद जैसे शहरों में भी सीवर लाइन का ठेका मिला है।

50 करोड़ रुपए की शेयर कैपिटल वाली केके स्पन पर 1400 करोड़ रुपए का लोन बकाया है। सीवरेज और नाला निर्माण का काम करने वाली कंपनी के डायरेक्टर के खिलाफ कई जगहों पर FIR भी दर्ज है।

कंपनी का यूपी के 4 जिलों में चल रहा काम

यूपी के 4 जिलों में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इस कंपनी को काम दिया गया है। मुरादाबाद में 154 करोड़, बरेली में 153 करोड़, रायबरेली में 142 करोड़ और लखनऊ में 47 करोड़ रुपए के ड्रेन का काम इस कंपनी को दिया गया है।

इसके अलावा लखनऊ में सीवरेज का 208 करोड़ रुपए का काम 1 जनवरी, 2019 को मिला था। काम 31 दिसंबर, 2020 तक पूरा करना था। 4 साल बाद भी यह पूरा नहीं हुआ। इसके तहत 26 हजार घरों के कनेक्शन जोड़े जाने थे। लेकिन, अभी तक कोई भी कनेक्शन नहीं हो पाया है। इस काम के एवज में कंपनी को 200 करोड़ से ज्यादा का भुगतान भी हो चुका है।

तस्वीर कैसरबाग स्थित रिवर बैंक कॉलोनी की है। यहां सीवर काम अधूरा पड़ा है।

तस्वीर कैसरबाग स्थित रिवर बैंक कॉलोनी की है। यहां सीवर काम अधूरा पड़ा है।

घटिया काम की हुई शिकायत, तो खुद जांचने पहुंचे मुख्य सचिव

पिछले महीने 28 नवंबर को सीवर के घटिया काम की शिकायत मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह तक पहुंची थी। इसके बाद जमीनी हकीकत जानने के लिए वह खुद मौके पर पहुंचे और नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सीवर लाइन का यह प्रोजेक्ट 4 साल पहले सेंक्शन हुआ था। इसमें सीवेज पंपिंग स्टेशन, डिस्ट्रीब्यूशन लाइन का काम होना था। यह काम पूरा होने के बाद 18 हजार घरों का कनेक्शन इस सीवर लाइन से जोड़ा जाना था। लेकिन कांट्रैक्टर का काम काफी धीमा है। पहले 2-3 चेतावनी दी जा चुकी हैं। लोकल विधायक ने भी इसकी शिकायत की थी।

रायबरेली में मुख्य सचिव के दौरे के बाद आनन-फानन में काम किया गया।

रायबरेली में मुख्य सचिव के दौरे के बाद आनन-फानन में काम किया गया।

मनोज कुमार सिंह ने तब कहा था कि शिकायत सही है, काम भी स्लो चल रहा है। 4 साल से प्रोजेक्ट कम्प्लीट नहीं हुआ है। इससे लोगों को भी असुविधा हो रही है और प्रोजेक्ट को भी नुकसान हो रहा है।

अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इस प्रोजेक्ट को वाइंडअप और ब्लैक लिस्टटेड करें। 140 करोड़ रुपए में से 80 करोड़ का भुगतान हुआ है। बचे पैसे में बाकी का काम पूरा कराया जाए।

ये रायबरेली के सर्वोदय नगर की सड़क है। कंपनी ने सीवर काम करने के बाद इस तरह सड़क बनवाई कि कुछ ही दिन में गिट्‌टी उखड़ने लगी।

ये रायबरेली के सर्वोदय नगर की सड़क है। कंपनी ने सीवर काम करने के बाद इस तरह सड़क बनवाई कि कुछ ही दिन में गिट्‌टी उखड़ने लगी।

मुख्य सचिव के दौरे के बाद भी काम करती रही कंपनी

जल निगम के अधिकारियों की शह पर इस कंपनी ने मुख्य सचिव के निर्देश के बाद भी काम जारी रखा। केके स्पन ने रायबरेली के फिरोज गांधी नगर में इसी साल 12 दिसंबर को सड़क बनाई, जो चंद दिनों में उखड़ने लगी।

कई राज्यों में कंपनी हो चुकी है ब्लैकलिस्ट

  • केके स्पन कंपनी मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली समेत कई राज्यों में ब्लैक लिस्टेड हो चुकी है।
  • मध्य प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में यह कंपनी पहले काम कर चुकी है।
  • मध्य प्रदेश के सतना में इसे 191 करोड़ का काम दिसंबर, 2016 में मिला था।
  • काम 3 साल में पूरा करना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
  • नतीजा कंपनी काे टर्मिनेट कर दिया गया। बाकी बचा काम दूसरी कंपनी को दे दिया गया।
  • रीवा में 199 करोड़ का काम 2016 में मिला था। 3 साल में पूरा करना था।
  • कटनी में 96 करोड़ का काम कंपनी को 2017 में दिया गया था।
  • 2 साल में इस काम को पूरा करना था, लेकिन पूरा नहीं हुआ।
  • सिंगरौली में 110 करोड़ का काम 2017 में कंपनी को दिया गया।
  • 24 महीने में काम पूरा करना था। समय से पूरा न होने के कारण कंपनी को टर्मिनेट कर दिया गया।

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