वाराणसी : रसोइयां और कारपेंटर के वीजा पर रूस गए आजमगढ़ और मऊ के 14 युवकों को सेना में भर्ती कराकर रूस-यूक्रेन के जंग में उतार दिया। इनमें से अब तक 3 युवकों की मौत हो गई। जबकि 2 की पैर में गोली लगने के बाद भारत वापसी हुई है। वहीं 9 परिवार को अपने बच्चों के लौटने का इंतजार है।

उधर, परिवार के लोगों ने सरकार से बच्चों को सकुशल वापस लाने की गुहार लगाई है। अब भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने इस मुद्दे को फिर से रूस के सामने सख्ती के साथ उठाया है, रूस ने अब जल्द ही भारतीयों को भेजने का आश्वासन दिया है। ऐसे में अब इन नौ परिवारों के अपनों के लौटने की उम्मीद जग गई है।

अब पढ़िए पूर्वांचल के 14 लड़के कैसे रूस तक पहुंचे?… और उनके साथ क्या हुआ? कब से घर से कनेक्शन कटा हुआ है?

यह तस्वीर रूस-यूक्रेन जंग के दौरान की है।

यह तस्वीर रूस-यूक्रेन जंग के दौरान की है।

एजेंट विनोद लेकर गया था 14 कामगार

मऊ-आजमगढ़ जिले का एजेंट विनोद पूर्वांचल के 14 लोगों को रूस ले गया था। वहां पर हर माह 2 लाख की सैलरी की बात कही गई थी। उसने सभी के पासपोर्ट बनवाए। इसके बाद सभी से रूस में कारपेंटर, कुक और सिक्योरिटी गार्ड के नाम पर वीजा बनवाया। फिर सभी को लेकर गया।

वहीं विनोद की भी आखिरी बार अप्रैल में पिता से बात हुई थी। उसके बाद से उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है। बताया जा रहा है कि कन्हैया यादव एजेंट विनोद का जीजा था।

बता दें आजमगढ़ के कन्हैया यादव और मऊ के श्यामसुंदर और सुनील यादव की रूस-यूक्रेन जंग में मौत हो गई है। जबकि आजमगढ़ के राकेश कुमार और मऊ के बृजेश यादव अपने घर लौट आए हैं।

वहीं पूर्वांचल से गए विनोद यादव, जोगिंदर यादव, अरविंद यादव, रामचंद्रा, अजहरूद्दीन खान, हुमेश्वर प्रसाद, दीपक, धीरेंद्र कुमार के आने का परिजनों को इंतजार है। हालांकि अभी तक सुनील यादव के बारे में कुछ पता नहीं चल सका है। प्रशासन इनके बारे में जानकारी जुटा रहा है।

पूर्वांचल के लोगों को वर्क वीजा पर रूस ले जाया गया और यूक्रेन के साथ जंग में भेज दिया गया।

पूर्वांचल के लोगों को वर्क वीजा पर रूस ले जाया गया और यूक्रेन के साथ जंग में भेज दिया गया।

अब पढ़िए जिन 2 युवकों की रूस-यूक्रेन जंग में मौत हो गई…

1. कन्हैया यादव, आजमगढ़

आजमगढ़ के बनकटा के रहने वाले कन्हैया यादव की रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान गोली लगने से मौत हो गई। उसका शव 23 दिसंबर को गांव लाया गया। कन्हैया (41) के पिता फौजदार यादव ने बताया- कन्हैया एक एजेंट के माध्यम से रसोइये का वीजा हासिल कर 16 जनवरी, 2024 को रूस गया था। वहां उसे रसोइये का कुछ दिन प्रशिक्षण दिया गया और बाद में उसे सैन्य प्रशिक्षण देकर रूसी सेना के साथ युद्ध के लिए भेज दिया गया।

यह तस्वीर आजमगढ़ के कन्हैया यादव की है। जिनकी रूस-यूक्रेन जंग में मौत हो गई।

यह तस्वीर आजमगढ़ के कन्हैया यादव की है। जिनकी रूस-यूक्रेन जंग में मौत हो गई।

उन्होंने बताया-युद्ध में कन्हैया घायल हो गया और इलाज के दौरान जून में उसकी मौत हो गई। कन्हैया ने 9 मई को युद्ध में घायल होने की सूचना घर पर दी थी। वह 25 मई तक परिजनों के संपर्क में था, लेकिन इसके बाद संपर्क टूट गया।

वहीं, मास्को में भारतीय दूतावास की ओर से 6 दिसंबर को फोन आया था और 17 जून को इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद 23 दिसंबर को शव उसके पैतृक गांव लाया गया।

परिजन बोले-नहीं मिली आर्थिक सहायता

कन्हैया के परिवार में पत्नी गीता यादव और दो पुत्र अजय (23) और विजय (19) हैं। अजय यादव का आरोप है कि रूस की सरकार ने 30 लाख रुपए मुआवजा के तौर पर दिया है, लेकिन परिवार को अभी तक यह मुआवजा नहीं मिला है।

2. श्यामसुंदर यादव, मऊ

यह तस्वीर मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना के रहने वाले श्यामसुंदर की है। जिसकी 3 जून 2024 को रूस-यूक्रेन जंग में मौत हो गई।

यह तस्वीर मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना के रहने वाले श्यामसुंदर की है। जिसकी 3 जून 2024 को रूस-यूक्रेन जंग में मौत हो गई।

मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना कोतवाली के गौहरपुर गांव निवासी श्यामसुंदर (24) की रूस-यूक्रेन में मौत हो गई। तीन जून को रूस की एंबेसी ने श्यामसुंदर की जंग में मौत की सूचना परिजनों को दी।

श्यामसुंदर के पिता भजुराम ने बताया- बेटा 26 जनवरी 2024 को मऊ से रूस के लिए रवाना हुआ था। उसके पुत्र के रूस जाने से पहले एजेंट ने अपने घर बुलाकर उससे कागजात ले लिए। कुछ फॉर्म और कुछ सादे कागजों पर हस्ताक्षर कराया था।

बेटा जब वहां पहुंचा था तो उसने फोन करके बताया कि सुरक्षा गार्ड में भर्ती करने की बजाय रूस की सेना के सहयोग से उसे यूक्रेन के साथ लड़ाई में लगा दिया गया है।

अब बताते हैं मऊ के युवक की जो जिंदा बचकर लौटा घर

मऊ से चार युवक गए थे जिसमें चंद्रापार निवासी सुनील यादव, कोईरियापार निवासी श्याम सुंदर और चंद्रापार निवासी विनोद के साथ दुबारी के बृजेश रूस गए थे। इसमें मऊ निवासी श्याम सुंदर और सुनील की मौत हो चुकी है।

बृजेश प्रशासन की मदद से लौट आया लेकिन विनोद अभी भी फंसा हुआ है। इन सभी के परिजनों ने एजेंट विनोद पर आरोप लगाते हुए प्रशासन से कार्रवाई की भी बात कही है।

मऊ का बृजेश अब तक जीवित लौटा, बताए हालात

मऊ जिले के मधुबन तहसील के धर्मपुर विशुनपुर निवासी बृजेश यादव ने बताया- रूस जाना जितना आसान था, वहां से लौटना उससे कहीं अधिक कठिन है। विदेश में नौकरी और मोटी कमाई के सपने के कारण वे एक एजेंट के झांसे में फंस गए थे।

रूस-यूक्रेन के युद्ध से वापस आए मऊ के बृजेश यादव ने आपबीती सुनाई

रूस-यूक्रेन के युद्ध से वापस आए मऊ के बृजेश यादव ने आपबीती सुनाई

बृजेश ने बताया- फरवरी 2024 में मऊ और आजमगढ़ के 14 युवकों को एक एजेंट ने रूस में सिक्योरिटी गार्ड, रसोइयां, कारपेंटर और अन्य कामों की नौकरी का झांसा देकर भेजा था। इसमें हर महीने ₹2 लाख वेतन मिलने वाला था लेकिन वहां पहुंचते ही सभी का सपना टूट गया। इन युवकों को महज 15 दिन का सैन्य प्रशिक्षण देकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया।

अलग-अलग गन, ग्रेनेड चलाने की दी ट्रेनिंग

बृजेश ने बताया- रूस पहुंचने पर पहला सप्ताह सामान्य रहा। रोज परिवार से बातचीत कर रहे थे। लेकिन एक सप्ताह बाद ट्रेन से दूसरी जगह भेज दिया गया। साथ में एक रूसी सेना का अधिकारी भी मौजूद था, जो हमें एक प्रशिक्षण केंद्र पर ले गया। जहां पर हम लोगों को अलग-अलग गन, ग्रेनेड चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। वहां पर हमारी कोई नहीं सुन रहा था।

प्रशिक्षण के बाद हमें चार-चार के ग्रुप में बांट कर युद्ध में उतार दिया गया। युद्ध में सबसे पहले घोसी तहसील के चंदापार निवासी सुनील यादव की जान चली गई। सुनील, श्यामसुंदर और दो लोगों के ग्रुप को हमारे ग्रुप से दूर भेजा गया था।

यह तस्वीर बृजेश के गांव जाने वाले रास्ते की है।

यह तस्वीर बृजेश के गांव जाने वाले रास्ते की है।

बृजेश ने बताया कि मेरे ग्रुप का एक सदस्य बम के हमले में शहीद हो गया था। मेरे बांये पैर में गोली लगी थी। इसके बाद वहां पर मेरा उपचार हुआ। एक स्थानीय अधिकारी को अपनी आपबीती बताई। इसका नतीजा यह हुआ कि उसके जरिए दूतावास से संपर्क हो सका। इसी बीच दूतावास के दबाव के चलते स्वदेश भेज दिया गया। वहां हालात यह हैं कि किसी से किसी को बात तक नहीं करने दी जा रही है। हम अपनी मर्जी से भारतीय दूतावास से भी संपर्क नहीं कर सकते।

आजमगढ़ के परिवार वाले कैसे कर रहे हैं प्रयास

यह तस्वीर आजमगढ़ के निवासी धीरेंद्र कुमार की है जो रूस की ओर से युद्ध लड़ रहे हैं।

यह तस्वीर आजमगढ़ के निवासी धीरेंद्र कुमार की है जो रूस की ओर से युद्ध लड़ रहे हैं।

रूस में गार्ड की नौकरी के लिए आजमगढ़ से कन्हैया यादव, रामचंद्र, राकेश यादव, दीपक, धीरेंद्र कुमार, योगेंद्र, अजहरूदीन खान सहित 10 लोग गए थे। इसमें आजमगढ़ निवासी राकेश यादव सुरक्षित आ गए हैं। बाकी लोगों के परिवार वाले अपने पिता, भाई और बेटे को वापस लाने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं।

धीरेंद्र कुमार के परिजनों ने बताया- अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक चक्कर काटे हैं। विदेश मंत्रालय तक दरवाजा खटखटाया है लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। हमारे साथ और भी लोग हैं जिन्होंने सांसद धर्मेंद्र, एडीजी जोन पीयूष मोर्डिया, वाराणसी में पीएम के संसदीय कार्यालय पर आकर पीड़ा बताई। रजिस्टर्ड पत्र और मेल, ट्विटर के जरिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर तक गुहार लगाई है।

प्रशासनिक अफसरों की माने तो 14 लोगों में से सिर्फ 2 वापस लौटे हैं। 3 की मौत होने सूचना मिली है जिसमें एक शव पिछले दिनों आजमगढ़ लाया गया था। वहीं जबकि 9 का कोई अता-पता नहीं है, उनके परिवार भी बात नहीं होने के चलते परिजनों ने उनके लौटने की उम्मीद खो दी थी, भारत के बढ़ते प्रयास से आस फिर बढ़ी है।

यह तस्वीर आजमगढ़ के निवासी जोगेंद्र कुमार की है, ये फरवरी से रूस में फंसे हैं।

यह तस्वीर आजमगढ़ के निवासी जोगेंद्र कुमार की है, ये फरवरी से रूस में फंसे हैं।

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