प्रयागराज : प्रयागराज महाकुंभ 25 सेक्टर में फैला है। यह पूरा एरिया 40 वर्ग किलोमीटर में है। 10 वर्ग किलोमीटर का एरिया प्राइम लोकेशन है। इसमें संगम घाट, किला, अक्षय वट, प्रमुख अखाड़े और लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर आता है। यहां आप जिधर भी जाएंगे, आपको भीख मांगते लोग नजर आएंगे। अगले दिन आप फिर जाएंगे तो आपको भिखारी उसी जगह पर दिखाई देंगे। भिखारियों ने अपनी जगह फिक्स कर ली है। कोई भी किसी और की जगह पर बैठकर भीख नहीं मांग सकता।
पुलिस के मुताबिक, मेला शुरू होने से पहले करीब 7 हजार भिखारी थे। जैसे ही महाकुंभ मेला शुरू हुआ भिखारियों की संख्या बढ़ती चली गई। अब यह संख्या 50 हजार तक पहुंच गई है। इसमें ज्यादातर प्रयागराज जिले के ही हैं। कुछ पड़ोसी जिले प्रतापगढ़, मिर्जापुर, चित्रकूट, वाराणसी और कौशांबी के हैं। इसके अलावा बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के भिखारी भी आए हैं।
महाकुंभ में आए हर श्रद्धालु की इच्छा होती है संगम पर पहुंचे और डुबकी लगाए। इसलिए यहां सुबह से लेकर रात तक लगातार भीड़ रहती है। भीख मांगने के लिहाज से देखा जाए तो यह सबसे प्राइम लोकेशन मानी जाती है। यहां हमें एक लाइन से करीब 100 भिखारी बैठे नजर आए। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। उसके बाद बच्चियों की और फिर बुजुर्ग बैठे दिखे।

दान में मिले पैसे गिनती महिला। साथ में उसका पति, जो मदद कर रहा है।
हनुमान मंदिर पर फिक्स भिखारी
संगम के अलावा सबसे ज्यादा भिखारी लेटे हुए हनुमान मंदिर के पास दिखाई देते हैं। यहां जो भीख मांगते हैं, वह लंबे समय से हैं। कॉरिडोर बन जाने की वजह से अब इन्हें अंदर एंट्री नहीं मिलती, इसलिए यह मंदिर से निकलने वाले रास्ते पर एक कतार में बैठे दिखाई देते हैं। जो नए भिखारी आए वह यहां दूर बैठ रहे हैं। हनुमान मंदिर के आसपास करीब 500 भिखारी बैठे नजर आते हैं।
प्रमोद यहां करीब 10 साल से भीख मांग रहे हैं। उनकी दोनों आंख नहीं है। भारी भीड़ के चलते अब उन्हें भी हटा दिया गया है। वह मंदिर से 100 मीटर दूर पर खड़े होकर भीख मांगते हैं। वह कहते हैं, सुबह 8 बजे आ जाता हूं और रात में वापस जाता हूं। प्रशासन ने गेट से हटा दिया। हमने कहा भी कि हम कहां जाएं, उन्होंने कह दिया कि यहां से हटकर दूसरी तरफ चले जाओ।

देवी-देवता बनकर भीख मांग रहे बच्चे
हनुमान मंदिर के आसपास तमाम बच्चे देवी-देवताओं के गेटअप में तैयार होकर भीख मांगते हैं। इसमें ज्यादातर भगवान शिव व कृष्ण बनते हैं। कई बार ये पैर पकड़ लेते हैं, जब तक पैसा नहीं मिलता तब तक छोड़ते नहीं। ऐसी ही एक लड़की सुषमा (बदला नाम) मिली। 8 साल की सुषमा, राधा बनती है। वह बताती है कि एक हफ्ते पहले प्रयागराज के ही कोरांव से आए हैं। एक घंटा तैयार होने में लगते हैं। मम्मी भी मेरी तरह तैयार होकर यही काम करती हैं। हमने पूछा-कितना पैसा मिल जाता है? वह कहती है, 500-600 रुपए मिल जाते हैं। कल 500 रुपए मिले थे।