• हिम्मत और मेहनत की मिसाल अब इंडिगो की फ्लाइट उड़ायेंगे जीएलए बीफार्मा के अल्यूमनस प्रशांत

दैनिक उजाला, मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान प्रशांत अक्सर आसमान में उड़ते जहाज देखते और मन में सोचते कि इसे कौन उड़ाता होगा। अपने माता-पिता से पायलट बनने की इच्छा जाहिर करने पर उसके पिता राजेन्द्र सिंह एडवोकेट ने उसे सलाह दी कि पहले उच्च शिक्षा में पढ़ाई करनी होगी, फिर पायलट बनने का सपना पूरा हो सकता है।

मथुरा निवासी प्रशांत सिंह ने जीएलए विश्वविद्यालय से वर्ष 2021 में बीफार्मा करने के बाद ही ने डायरेक्टोरेट जनरल आफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) परीक्षा की तैयारी शुरू की और सभी एग्जाम चरणबद्ध पास किए। इसके बाद मध्यप्रदेश के रीवा में फ्लाइंग स्कूल से 200 घंटे पूरे करने पर सीपीएल लाइसेंस प्राप्त किया। परीक्षा पास करना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन हार नहीं मानी।

इंडोनेशिया के जकारता में एयर बस की टाइप रेटिंग पूरी की और बड़े विमान को चलाने में पारंगत हुए। इसी दौरान प्रशांत को बेस्ट टेक्निकल अवार्ड मिला। बीते दिनों गुरूग्राम के इंडिगो ट्रेनिंग सेंटर में सेरेमनी आयोजित हुई। इस दौरान प्रशांत के माता-पिता ने पायलट बेज लगाया।

अल्यूमनस प्रशांत ने बताया कि कहना है कि सपनों की ऊंचाई जितनी बड़ी होती है, मेहनत भी उतनी ही बड़ी होती है। उसकी यह यात्रा प्रेरणादायक है और बताती है कि सच्ची लगन और मेहनत से हर सपना पूरा किया जा सकता है। जीएलए विश्वविद्यालय में बीफार्मा की पढ़ाई के दौरान उनको केयर हेल्थ इंश्यारेंस कंपनी गुरूग्राम में प्लेसमेंट मिला। पढ़ाई के बाद डीजीसीए परीक्षा की तैयारी में जुट गए। सभी परीक्षा में सफलता हाथ लगी, तो फ्लाइंग स्कूल एमपी में तैयारी की। इसके बाद इंडिगो में चयन हुआ। अब वह जल्द ही पहली उड़ान कोलकाता एययरपोर्ट से भरेंगे।

अल्यूमनस के पिता व्यवसायी तथा सदस्य पर्यटन एवं संस्कृति परिषद ठा. राजेन्द्र सिंह एडवोकेट, ने बताया कि वह अपने दोनों बेटों को जीएलए से शिक्षा ग्रहण कराकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उनका बड़ा बेटा निशांत सिंह जीएलए से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में उत्कृष्ट शिक्षा हासिल कर इंडियन नेवी में लेफ्टिनेंट कमांडर के पद पर कोची में तैनात है और प्रशांत ने इंडिगो में पायलट के पद पर चयन पाया है। यही सफलता उनका सिर गर्व से ऊंचा करती है।

कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि लगनशील होने के साथ दृढ़ निश्चय एक सफलता की सीढ़ी की ओर खींच ले जाता है। अगर छात्र दृढ़ निश्चय कर ले कि उसे किसी न किसी में सफलता हासिल करनी ही है, तो वह विश्वास के साथ कह सकते हैं कि सफलता अवश्य हाथ लगेगी।

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