• अस्पताल की सफाई पर भरोसा, मरीज की पीड़ा अनसुनी — अपर निदेशक की जांच पर परिजनों का रोष
  • मौर्या ट्रॉमा सेंटर प्रकरण: अपर निदेशक की रिपोर्ट ने उठाए निष्पक्ष जांच पर प्रश्न
  • मरीज का अपेंडिक्स फटा, जांच में अस्पताल क्लीन — परिजनों ने अपर निदेशक पर पक्षपात के लगाए आरोप

दैनिक उजाला, मथुरा : ग्राम अमीरपुर, बलदेव निवासी कुलदीप कुमार को बीते माह पेट दर्द की शिकायत पर मथुरा-दिल्ली हाईवे स्थित मौर्या ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में 5 मिमी की पथरी बताई और मरीज को पेन किलर देते हुए कुछ दिनों की दवा देकर डिस्चार्ज कर दिया।

कुछ दिनों बाद जब मरीज को दोबारा तेज दर्द हुआ और स्थिति बिगड़ने लगी, तो परिजन उसे गोवर्धन चौराहा स्थित दूसरे अस्पताल में ले गए। यहाँ जांच के दौरान पता चला कि अधिक पेन किलर देने के कारण मरीज का अपेंडिक्स फट चुका है। परिजनों का कहना है कि यदि शुरू में ही सही उपचार किया गया होता, तो यह स्थिति नहीं आती।

इस घटना के बाद मरीज के परिजनों योगेश कुमार और प्रमोद कुमार ने मौर्या ट्रॉमा सेंटर पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाते हुए शिकायत जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज कराई। प्रारंभिक स्तर पर सीएमओ कार्यालय से कोई कार्यवाही न होने पर शिकायत प्रमुख सचिव स्वास्थ्य तक पहुंची। प्रमुख सचिव ने मामले की जांच अपर निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, आगरा मण्डल को सौंपी।

मौर्या ट्रॉमा सेंटर की दलीलों को सही और परिजनों के आरोपों को असत्य

अपर निदेशक कार्यालय में मरीज के परिजनों से बयान लिए गए और अस्पताल प्रबंधन से भी जवाब मांगा गया। रिपोर्ट में अपर निदेशक ने मौर्या ट्रॉमा सेंटर की दलीलों को सही और परिजनों के आरोपों को असत्य ठहराते हुए चिकित्सकीय लापरवाही से इनकार कर दिया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अस्पताल ने मरीज से कोई शुल्क नहीं लिया और यदि लिया भी जाता तो रसीद दी जाती।

गलत ठहराकर जांच को बंद कर दिया गया

इस पर परिजनों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि “मौर्या हॉस्पीटल इतना दानी नहीं है कि उसने मरीज से पैसा न लिया हो। न कोई रसीद दी गई और न ही कोई उपचार निशुल्क किया गया।
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन और अपर निदेशक कार्यालय के बीच मिलीभगत से जांच को प्रभावित किया गया है। उन्होंने कहा कि “हकीकत में मरीज को न्याय दिलाने के बजाय उसे ही गलत ठहराकर जांच को बंद कर दिया गया।”

रिपोर्ट में अपर निदेशक ने अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था को उचित बताते हुए किसी प्रकार की लापरवाही न होने की बात कही है, जबकि शिकायतकर्ता परिवार का कहना है कि जांच अधिकारी ने मरीज की स्थिति, चिकित्सकीय दस्तावेज़ों और दूसरे अस्पताल की रिपोर्टों को अनदेखा किया है।

अब मरीज के परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों से पुनः निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है, ताकि इस मामले में सच्चाई सामने आ सके और यदि लापरवाही सिद्ध होती है, तो संबंधित अस्पताल और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

मरीज को न्याय मिले, तभी चैन — परिजनों का संकल्प

ग्राम अमीरपुर, बलदेव निवासी कुलदीप के परिजनों ने कहा कि जब तक मौर्या ट्रॉमा सेंटर द्वारा की गई लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती और मरीज को न्याय नहीं मिलता, तब तक वे शांत नहीं बैठेंगे।
परिजनों योगेश कुमार और प्रमोद कुमार का कहना है कि अस्पताल प्रशासन ने इलाज में गंभीर चूक की, जिसके बाद भी जांच में उन्हें ही गलत ठहरा दिया गया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि निष्पक्ष जांच नहीं की गई, तो वे उच्च अधिकारियों से लेकर शासन तक अपनी आवाज़ उठाते रहेंगे।

इस संबंध में जानकारी के लिए ‘दैनिक उजाला लाइव’ ने अपर निदेशक स्वास्थ्य, आगरा मंडल को फोन किया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।

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