- जीएलए के बायोटेक विभाग में तैयार होगी वर्मीकंपोस्ट खाद, मिला अनुदान
दैनिक उजाला, मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के बायोटेक विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डा. आलोक भारद्वाज को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से जयगोपाल केंचुए के स्ट्रेन का उपयोग करके वर्मीकम्पोस्ट तैयार करने पर एक शोध परियोजना मिली है।
किसानों को जैविक खेती अपनाने तथा उससे संबंधित जागरूक करने के लिए डा. आलोक को भारत सरकार से पांच लाख रुपये का अनुदान मिला है। इस अनुदान के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार कर किसानों को प्रेरित किया जायेगा। इस तकनीक के प्रयोग से न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी, बल्कि फसल की पैदावार में भी काफी वृद्धि देखने को मिलेगी।

प्रोफेसर ने बताया कि वर्तमान में रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के कारण मिट्टी के स्वास्थ्य में भारी गिरावट आई है। जिसका सीधा असर फसल उत्पादकता और पैदावार पर पड़ता है। वर्मीकम्पोस्ट तकनीक इन प्रमुख मुद्दों को दूर करने की क्षमता रखती है। यह केंचुआ मल यानी वर्मीकम्पोस्ट पोषक तत्वों से भरपूर है, जिससे मिट्टी की भौतिक स्थिति (मिट्टी का पीएच, जल धारण क्षमता, मिट्टी की बनावट, मिट्टी की सरंध्रता) के साथ-साथ पोषक तत्व मिट्टी का कार्बन, कुल नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व) स्वास्थ्य में सुधार होता है।
मिट्टी में वर्मीकम्पोस्ट मिलाने से पौधों को स्वस्थ विकास के लिए पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं और उपज भी बढ़ती है। वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन में ’जयगोपाल’ केंचुआ प्रजाति (पेरियोनिक्स सीलेनेसिस) का उपयोग किया गया है, जो 5डिग्री सेल्सियस से 43डिग्री सेल्सियस तक के तापमान की एक विस्तृत श्रृंखला का सामना कर सकता है। साथ ही गाय के गोबर और जंगली वनस्पति दोनों को बहुत तेजी से खाने तथा जैविक उर्वरक में बदलने की क्षमता रखता है। अब हम कह सकते हैं कि आने वाला भविष्य जैविक खेती का है।
बायोटेक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह कहते हैं कि “हमारी ज्ञान अनुभूतियों की अस्त-व्यस्त विभिन्नता को एक तर्कपूर्ण विचार प्रणाली निर्मित करने के प्रयास को विज्ञान कहते हैं। इसी तर्कपूर्ण प्रणाली के निर्माण हेतु बायोटेक विभाग के प्रोफेसर तेजी से जुटे हुए हैं। विभाग का उद्देश्य हमेशां यही रहता है कि प्रोफेसरों के द्वारा किए जा रहे रिसर्च में प्रत्येक विद्यार्थी अपना योगदान दे, जिसके लिए विद्यार्थी को प्रेरित किया जाता है।