- जीएलए मैकेनिकल इंजीनियरिंग में तैयार हुआ रिजेनरेटिव ब्रेक्रिंग सिस्टम आइडिया
- जीएलए मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और टेक्निकल मैनेजर ने सुझाया गाड़ी में ब्रेक लगाने से एनर्जी स्टोर होने का आइडिया, पेटेंट पब्लिश
दैनिक उजाला, मथुरा : अब चार पहिया वाहन के लिए भीड़-भाड़ वाला इलाका भी वरदान साबित होगा। इसे वरदान बनाने के लिए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और टेक्निकल मैनेजर ने एक सुगम आइडिया सुझाया है। इस आइडिया का पेटेंट पब्लिश भी हो गया है।
‘रिजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम‘ का आइडिया जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डा. विजय कुमार द्विवेदी, वियत वरूण उपाध्याय, टेक्निकल मैनेजर रितेश दीक्षित व ब्रजमोहन अंगीरा ने सुझाया और पेटेंट पब्लिश कराया।
प्रोफेसर और टेक्निकल मैनेजर द्वारा रिजेनरेटिव ब्रेक्रिंग सिस्टम पर कार्य किया गया, जिसमें कि गाड़ी के ब्रेक ड्रम के साथ एक छोटा अल्टरनेटर लगाया गया, जो कि ब्रेक लगाते समय ब्रेक ड्रम के करीब आयेगा। साथ ही अल्टरनेटर के आर्मेटर-साफ्ट पर एक व्हील लगाया गया, जो कि ब्रेकिंग के दौरान ब्रेक ड्रम से टच होकर फ्रिक्शन (टकराव) के कारण अल्टरनेटर का व्हील घूमेगा और करंट उत्पन्न होगा। इस करंट से कार अथवा बाइक में बेटरी चार्जिंग, इंडिकेट, बैक लाइट तथा हॉर्न आदि को कार्य कराने के लिए डीसी करंट देगा।

टेक्निकल मैनेजर रितेश दीक्षित ने बताया कि ब्रेक लगाने में अब तक एनर्जी उत्पन्न नहीं होती थी, लेकिन अब ब्रेक लगाने से एनर्जी जेनरेट होगी, जो कि वाहन के कई कार्यों में बेटरी को सपोर्ट करेगी। इस तकनीक में एक डीसी अल्टरनेटर, वायरिंग व स्विच की जरूरत होगी, जो कि फ्रिक्शन से एनर्जी जनरेट करेगा। उन्होंने बताया कि यह आइडिया ईवी वाहनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
विभागाध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल ने बताया कि शोध के क्षेत्र में लगातार मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग आगे बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में नए-नए शोध ने भी कई तकनीकें तैयार की हैं। इन्हीं तकनीकों के चलते रोजगार के द्वार खुले हैं। मैकेनिकल प्रोफेसर और टेक्निकल मैनेजर द्वारा सुझाया गया आइडिया गाड़ी की ब्रेक लगने पर एनर्जी जनरेट के लिए वरदान साबित होगा।
डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने बताया कि इंजीनियरिंग के टेक्निकल मैनेजर, प्रोफेसर और छात्र मिलकर नए आइडिया खोजने में जुटे हैं। यही आइडिया पेटेंट पब्लिश और ग्रांट होकर भारत के विकास की गति में अपना योगदान दे रहे हैं।