• बांके बिहारी को सुबह चंदन का लेप लगाया गया, फिर श्रृंगार हुआ

दैनिक उजाला, मथुरा : वृंदावन में अक्षय तृतीया पर आज बांके बिहारी में श्रद्धालुओं की भीड़ है। बांके बिहारी को सुबह चंदन का लेप लगाया गया। फिर श्रृंगार हुआ। साल में केवल आज ही के दिन भगवान बांके बिहारी के सभी अंगों पर चंदन लगाया जाता है। भक्तों को उनके चरण दर्शन भी कराए जाते हैं। चरण दर्शन भी साल में सिर्फ आज ही के दिन कराए जाते हैं।

शुक्रवार को बांके बिहारी मंदिर के पट सुबह 5 बजे खुले। सबसे पहले मंदिर के पुजारी अंदर गए। देहरी पूजन किया। गर्भगृह में पहुंचकर भगवान का अभिषेक किया और फिर चंदन का लेपन कर श्रृंगार किया। आम भक्तों के लिए मंदिर के पट सुबह 7 बजे खोल दिए गए।

अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करके लिए उमड़ी भक्तों की भीड़।

अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करके लिए उमड़ी भक्तों की भीड़।

सुबह 9 बजे तक 1 लाख से ज्यादा भक्त दर्शन कर चुके हैं। मंदिर के गेट नंबर-2 और 3 से भक्तों को एंट्री दी जा रही है। गेट नंबर-2 पर एक किमी लंबी लाइन लगी है। प्रशासन को शाम तक 10 लाख भक्तों के पहुंचने का अनुमान है। 12 से 4 बजे तक मंदिर बंद रहेगा।

आज भगवान बांके बिहारी को पैरों में पायजेब और लटकनदार हार धारण कराया गया है। शाम के समय सर्वांग दर्शन होंगे। यानी भगवान के पूरे शरीर के। भगवान के शरीर पर चंदन का लेप होगा और वह धोती पहने हुए होंगे।

मथुरा बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने लिए काफी संख्या में भक्त पहुंचे हैं। वहां कि गलियां भक्तों से भरी पड़ी हैं।

मथुरा बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने लिए काफी संख्या में भक्त पहुंचे हैं। वहां कि गलियां भक्तों से भरी पड़ी हैं।

मंदिर के सेवायत आचार्य प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया- चंदन खासतौर पर दक्षिण भारत से मंगवाया गया है। चंदन के आधा-आधा किलो के 4 लड्डू सुबह, दोपहर, शाम बांके बिहारी के चरण में रखे जाते हैं। पूरे दिन भक्तों के जरिए 200 किलो चंदन चढ़ाए जाने का अनुमान है।

मैसूर से चंदन की जो लकड़ी मंगाई गई। इसे एक महीने तक पानी में भिगो कर रखा गया। इसकी घिसाई शुरू हुई। मंदिर के गोस्वामियों ने 15 दिन तक रोज 6 से 8 घंटे तक इसकी घिसाई की। इसमें 1 किलो केसर, गुलाब जल और कपूर भी मिलाया गया।

साल में एक बार चरण दर्शन के साथ बांके बिहारी पायजेब धारण करते हैं। विवाह योग्य युवतियों के बांके बिहारी को पायजेब अर्पित करने की परंपरा है।

लकड़ी रूपी चंदन को मंदिर के गोस्वामियों ने अलग-अलग समय में घिसाई की।

लकड़ी रूपी चंदन को मंदिर के गोस्वामियों ने अलग-अलग समय में घिसाई की।

भक्तों को किया जाता है प्रसाद रूप में अर्पित

बांके बिहारी मंदिर के पुजारी श्री नाथ गोस्वामी ने बताया कि भगवान की यह भाव की सेवा है। अक्षय तृतीया से भीषण गर्मी शुरू हो जाती है। भगवान को गर्मी न लगे इसके लिए शीतलता प्रदान करने के लिए चंदन का लेपन किया जाता है और उनके चरणों में चंदन के लड्डू बनाकर रखे जाते हैं।

अक्षय तृतीया बाद इस चंदन को भक्तों में वितरित कर दिया जाता है। यह वर्ष भर जड़ी बूटी के रूप में काम आता है। इस दिन भगवान का विशेष भोग लगाया जाता है। जिसमें सत्तू से बने लड्डू अर्पित किए जाते हैं।

अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी जी पैरों में पायजेब और लटकनदार हार पहने हैं। चरणों में चंदन का लड्डू रखा है। भगवान की फोटो क्लिक करना मना है। ये तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई है।

अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी जी पैरों में पायजेब और लटकनदार हार पहने हैं। चरणों में चंदन का लड्डू रखा है। भगवान की फोटो क्लिक करना मना है। ये तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई है।

पायल दान से मिलता है सुयोग्य वर

अक्षय तृतीय पर भगवान बांके बिहारी को बड़ी संख्या में कुंवारी बेटियां चांदी से बनी पायल भी अर्पित करती हैं। मंदिर के पुजारी श्री नाथ गोस्वामी ने बताया कि मान्यता है कि अक्षय तृतीय पर भगवान को पायल अर्पित करने से मन चाहा और सुयोग्य वर प्राप्त होता है। यही वजह है कि बहन बेटियां भगवान को पायल अर्पित करती हैं।

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