नई दिल्ली : महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही 15 राज्यों की 46 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों के परिणाम आज आएंगे। काउंटिंग सुबह 8 बजे शुरू होगी। 12 बजे तक सबकुछ साफ हो जाएगा।
इन 46 विधानसभा सीटों के साथ ही सिक्किम की 2 सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा हुई थी, लेकिन 30 अक्टूबर को ही सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) के दोनों प्रत्याशियों को निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया गया था।
चुनाव से पहले इन 46 सीटों में से 27 सीटों पर विपक्ष का कब्जा था। इनमें अकेले कांग्रेस के पास 13 सीटें थीं। वहीं, भाजपा की 11 सीटों सहित NDA के पास कुल 17 सीटें थीं। 2 सीटों पर अन्य दलों के विधायक थे। इनमें 41 विधानसभा सीटें विधायकों के सांसद बनने, 3 के निधन, 1 के जेल और 1 के दलबदल की वजह से खाली हुई थीं।
ये उपचुनाव दो चरणों में हुए थे। पहले चरण में 13 नवंबर को 10 राज्यों की 31 विधानसभा और केरल की वायनाड लोकसभा सीट जबकि दूसरे चरण में 20 नवंबर को 4 राज्यों की 15 विधानसभा और एक राज्य महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट पर वोटिंग हुई थी।
वायनाड लोकसभा सीट राहुल गांधी के इस सीट को छोड़कर रायबरेली सीट चुनने की वजह से खाली हुई थी। इस सीट से राहुल की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ रही हैं। लंबे अरसे से राजनीति में सक्रिय प्रियंका पहली बार कोई चुनाव लड़ रही हैं।
उनका मुकाबला भाजपा की नव्या हरिदास और लेफ्ट के सत्यन मोकेरी से है। वहीं, नांदेड़ लोकसभा सीट कांग्रेस सांसद वसंतराव चव्हाण के निधन से खाली हुई थी। लोकसभा चुनाव के सिर्फ दो महीने बाद ही अगस्त, 2024 में उनका देहांत हो गया था।
कहीं बम चले, कहीं SDM पीटे; पत्थरबाजी हुई तो पुलिस भागी पश्चिम बंगाल में 13 नवंबर को वोटिंग हुई थी। यहां के उत्तर 24 परगना जिले में वोटिंग के दौरान TMC नेता अशोक साहू पर बम फेंका गया और गोलीबारी हुई। इसमें उनकी मौत हो गई।
इसके अलावा राजस्थान के देवली-उनियारा सीट पर कांग्रेस से बागी और निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने SDM अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया। मीणा समरावता मतदान केंद्र जबरन घुसने की कोशिश कर रहे थे। काफी हंगामें के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।
यूपी की 9 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग हुई। यहां मीरापुर सीट पर वोटिंग के दौरान भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया तो पुलिस को जान बचाकर भागना पड़ा। इसके बाद इंस्पेक्टर ने भीड़ को खदेड़ने के लिए पिस्टल तान दी और गोली मारने की धमकी दी।
यह विवाद इतना बढ़ा कि समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने X पर वीडियो शेयर करके इंस्पेक्टर को निलंबित करने की मांग कर दी। वहीं, करहल में वोटिंग के बीच एक दलित युवती की हत्या कर दी गई। पिता ने आरोप लगाया कि सपा को वोट देने से मना करने पर युवक ने बेटी को मार डाला।
वायनाड लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उतारा है। वे पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद अटकलें थीं कि प्रियंका रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। लेकिन, राहुल ने रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों से चुनाव लड़ा और जीत के बाद रायबरेली सीट चुनी।
भाजपा ने प्रियंका के सामने नव्या हरिदास को टिकट दिया है। वे भाजपा महिला मोर्चा की राज्य महासचिव हैं। साथ ही कोझिकोड नगर निगम में दो बार की पार्षद और भाजपा पार्षद दल की नेता हैं। वे 2021 विधानसभा चुनाव में कोझिकोड दक्षिण सीट से चुनाव भी लड़ चुकी हैं, हालांकि वे हार गई थीं।
लेफ्ट गठबंधन LDF ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यानी CPI(M) नेता सत्यन मोकेरी चुनावी मैदान में हैं। वे 1987 से 2001 तक नादापुरम विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। उन्होंने 2014 में वायनाड लोकसभा सीट से LDF की ओर से चुनाव लड़ा था। हालांकि, कांग्रेस के एमआई शानवास से हार गए थे। मोकेरी इस समय पार्टी की किसान विंग के राष्ट्रीय सचिव हैं।
मराठवाड़ा क्षेत्र की नांदेड़ लोकसभा सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए साख का सवाल बन चुकी है। भाजपा के लिए चुनौती और भी कड़ी है क्योंकि लोकसभा चुनाव में पार्टी को इस इलाके में करारी हार मिली है।
कांग्रेस ने दिवंगत सांसद वसंतराव के बेटे रवींद्र चव्हाण को टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने डॉ. संतुक हंबार्डे को मैदान में उतारा है। संतुक के भाई मोहन हंबार्डे नांदेड़ दक्षिण से कांग्रेस के निवर्तमान विधायक हैं और इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं। वे पूर्व CM अशोक चव्हाण के करीबी माने जाते हैं।
नांदेड़ कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे (अब भाजपा में हैं) अशोक चव्हाण का गढ़ है। स्थानीय निकाय से लोकसभा तक तमाम चुनावों में चव्हाण परिवार का दबदबा रहता है। फरवरी, 2024 में चव्हाण के भाजपा में जाने के बाद यहां कांग्रेस की स्थिति खराब मानी जा रही थी, लेकिन वसंतराव की जीत ने सभी को चौंका दिया था।
महाराष्ट्र चुनाव में चव्हाण की बेटी श्रीजया भी भोकर विधानसभा सीट से अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर रही हैं। यह सीट भी नांदेड़ लोकसभा में आती है। यही वजह है कि इस चुनाव में अशोक चव्हाण की प्रतिष्ठा दांव पर है।
उपचुनाव की 9 सीटें प्रदेश के कई राजनीतिक और सांस्कृतिक इलाकों का हिस्सा हैं। यही कारण है कि इसे 2027 के विधानसभा चुनाव के लिटमस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है।
सपा, लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका देते हुए 80 में से 37 सीटों पर कब्जा जमा चुकी है। जबकि भाजपा आधी होकर 62 से 33 सीटों पर सिमट गई है। इस लिहाज से यह उपचुनाव दोनों पार्टियों के लिए अहम है।
दोनों पार्टियों ने इस उपचुनाव में 2027 के जातिगत समीकरणों को भी ध्यान में रखते हुए टिकट बांटे हैं। भाजपा ने 8 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। मीरापुर सीट सहयोगी पार्टी RLD के लिए छोड़ी है।
NDA ने 5 OBC, 2 ब्राह्मण, 1 दलित और 1 क्षत्रिय को टिकट दिया है। गठबंधन ने पिछड़ा वर्ग में भी सभी जातियों को साधने की कोशिश की है। इसके लिए मौर्य, कुर्मी, पाल, निषाद और यादव समाज के नेताओं को मौका दिया है।
वहीं, सपा ने PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को दोहराते हुए 3 OBC, 2 दलित और 4 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। हालांकि, सपा के 9 में से 6 उम्मीदवार राजनीतिक घरानों से हैं, जबकि भाजपा ने नए चेहरों को भी मौका दिया है। इन 9 सीटों में सपा 4, भाजपा 3, निषाद पार्टी और RLD 1-1 सीट पर काबिज थी।
मैनपुरी जिले की करहल सीट मुलायम सिंह परिवार का गढ़ मानी जाती है। यहां से अखिलेश यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को उतारा है। वे मैनपुरी के सांसद रह चुके हैं। यह सीट अखिलेश के कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। यहां भाजपा ने सपा के परिवारवाद से मुकाबला करने के लिए रिश्ते में अखिलेश के बहनोई अनुजेश यादव को प्रत्याशी बनाया है।
मुरादाबाद की मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट से भाजपा ने रामवीर सिंह ठाकुर को टिकट दिया है। वे 2012 और 2017 में इस सीट से चुनाव लड़कर हार चुके हैं। भाजपा यहां सिर्फ एक बार 1993 में जीती है। यही कारण है कि भाजपा ने यह सीट जीतने के लिए अपने 4 मंत्रियों को मैदान में उतारा है।
इतना ही नहीं, यह सीट जीतने के लिए भाजपा ने 7000 पन्ना प्रमुख नियुक्त किए हैं। इसके साथ ही कुल 436 बूथ पर बूथ अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी भी जी-जान से जुटी हुई है। यह सीट भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह के गृह जनपद मुरादाबाद में आने की वजह से भी अहम है। दूसरी तरफ सपा ने इस सीट पर हाजी रिजवान को उतारा है। वे यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं।
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के 11 महीने के भीतर ही सात सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। इनमें से केवल सलूंबर सीट से अमृतलाल मीणा भाजपा विधायक थे, बाकी 4 पर कांग्रेस और 1-1 सीट भारतीय आदिवासी पार्टी और हनुमान बेनीवाल की RLP के पास थी।
पिछले 5 सालों के उपचुनावों में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है। करीब 89% उपचुनावों में कांग्रेस की जीत हुई है। हालांकि, हरियाणा में जीत के बाद भाजपा का आत्मविश्वास बढ़ा है। यदि नतीजे भाजपा के खिलाफ आए तो पार्टी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के सामने सियासी संकट खड़े होने तय हैं।
उपचुनाव के नतीजे सीधे तौर पर प्रदेश की भजनलाल सरकार की पहली परीक्षा के तौर पर भी देखे जाएंगे। हालांकि, विधानसभा चुनाव के करीब छह महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 25 में से 18 सीटें जीती थीं। लेकिन ये नतीजे संतोषजनक नहीं थे, क्योंकि 2019 में भाजपा ने 24 और 2014 में सभी 25 सीटें जीती थीं।