नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने शुक्रवार को कहा, ‘किसी राष्ट्र की असली ताकत उसकी सरकारों की ताकत में होती है। बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल में हाल के शासन परिवर्तन खराब गवर्नेंस के उदाहरण हैं।’

उन्होंने कहा- जब सरकारें कमजोर, स्वार्थी या भ्रमित होती हैं तो परिणाम भी वैसा ही होता है। संस्थान राष्ट्र की रीढ़ होते हैं और जो लोग उन्हें बनाते और पोषित करते हैं, वही राष्ट्र की नींव मजबूत करते हैं।

डोभाल ने कहा कि महान साम्राज्यों, लोकतंत्रों और राजतंत्रों का पतन हमेशा गलत शासन से हुआ है। जब शासन तानाशाही हो जाता है और संस्थाएं कमजोर पड़ने लगती हैं तो देश पतन की ओर बढ़ता है।

दिल्ली में राष्ट्रीय एकता दिवस पर लेक्चर के दौरान डोभाल ने कहा..

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एक सुरक्षा अधिकारी के नजरिए से मैं शासन को केवल प्रशासन नहीं, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा और विकास का तंत्र मानता हूं। सभ्यता को राष्ट्र-राज्य में बदलना एक कठिन कार्य है और यह सिर्फ मजबूत शासन व्यवस्था से संभव है। सरकार को सामान्य अपेक्षाओं से आगे जाकर काम करना चाहिए।

डोभाल ने बताए खराब शासन के कारण

  • तानाशाही प्रवृत्ति: भेदभावपूर्ण कानून, न्याय में देरी और मानवाधिकार उल्लंघन।
  • संस्थागत गिरावट: भ्रष्ट या असंवेदनशील सेना, नौकरशाही और सुरक्षा ढांचे।
  • आर्थिक असफलता: भोजन, पानी की कमी, महंगाई और करों का बोझ।

डोभाल बोले- नई चुनौतियों ने शासन को और जटिल बना दिया

एनएसए डोभाल ने कह कि अब शासन को नई परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है। सबसे बड़ा बदलाव आम आदमी की बढ़ती जागरूकता है। अब वह ज्यादा आकांक्षी है, उसकी उम्मीदें बढ़ी हैं और राज्य को जवाबदेह बनना होगा।

डोभाल ने कहा- भारत ऑर्बिट चेंज के दौर में

उन्होंने कहा कि भारत इस समय सिर्फ बदलाव नहीं, बल्कि एक ऑर्बिट चेंज के दौर में है। हम एक ऐसी स्थिति में हैं, जहां शासन प्रणाली, सामाजिक संरचना और वैश्विक व्यवस्था तीनों में तेजी से बदलवा हो रहा है। ऐसे समय में सरदार पटेल की सोच और ज्यादा प्रभावी हो जाती है।

एनएसए ने कहा कि 2025 में सरदार पटेल के विजन को नए सिरे से समझने की जरूरत है। उन्होंने दिखाया था कि कैसे एक मजबूत और निष्पक्ष शासन व्यवस्था ही विविधताओं से भरे देश को एकता में बांध सकती है।

सितंबर में नेपाल में प्रदर्शन हुए थे, पीएम को इस्तीफा देना पड़ा

नेपाल में सितंबर में Gen-Z (जेन-जी) ने प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों ने संसद, पीएम, राष्ट्रपति के निजी आवास में आग लगा दी थी। सुरक्षा बलों से उनके हथियार छीन लिए। उन्होंने 3 पूर्व पीएम के घर पर हमला भी किया था। इसके चलते केपी ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। प्रदर्शन में 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।

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