- जीएलए में ‘कोहा-साॅफ्टवेयर‘ पर आयोजित हुई राष्ट्रीय कार्यशाला
दैनिक उजाला, मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के केन्द्रीय पुस्तकालय विभाग द्वारा ‘कोहा पुस्तकालय प्रबंधन साॅफ्टवेयर (एलएमएस) विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का व्यापक लक्ष्य प्रतिभागियों को कोहा प्रणाली का उपयोग करके पुस्तकालय कार्यों को कम्प्यूटरीकृत प्रणाली के माध्यम से और प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की दक्षता के साथ सशक्त बनाना था।
राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि जयपुर नेशनल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रोशन लाल रैना, जीएलए के कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता, पुस्तकालयाध्यक्ष डा. राजेश कुमार ने दीप जलाकर किया। कार्यशाला में दिल्ली, राजस्थान, प्रयागराज, लखनऊ, अलीगढ, आगरा, मथुरा और वृन्दावन से सैकड़ों प्रतिभागी शामिल हुए।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. रोशन लाल रैना ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला की विस्तार से रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय को विश्वविद्यालय का हृदय माना जाता है। पुस्तकालय में ऑनलाइन संसाधनों के प्रयोग को नवीन शिक्षा नीति में भी स्थान मिला है। उन्होंने कहा कि पूर्व में कॉमर्शिअल कंपनी की सर्विस पुस्तकालयों में मिल रही थी। अब कोहा सॉफ्टवेयर का प्रयोग होगा। वर्तमान में कोहा सॉफ्टवेयर का भारत के हजारों पुस्तकालयों में प्रयोग हो रहा है। इस सॉफ्टवेयर की सुविधाएं निशुल्क हैं। कोहा-साॅफ्टवेयर के माध्यम से आसपास के क्षेत्रिय पुस्तकालयों को भी एकीकृत किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि यह समय बेहतर आईटी का है। हमें सूचना और तकनीकों से जुड़कर लाभ लेना होगा। उन्होंने कोहा साॅफ्टवेयर के बारे में और विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि यह सूचना को आसान तरीके से उपलब्ध और सुलभ बनाता है। स्वचालन के साथ पुस्तकालय पहले की तरह बहुत अधिक भौतिक पुस्तकें न रखकर जगह बचा सकते हैं। कोहा-साॅफ्टवेयर का उपयोग करने वाले पुस्तकालयों में अधिकांश कार्य स्वचालित होंगे। पुस्तकालय अपने डेटाबेस को स्वचालित कर सकते हैं, ताकि गलतियां कम हों और डेटा की गुणवत्ता अधिक हो।
कार्यशाला के संरक्षक और जीएलए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर फाल्गुनी गुप्ता ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सटीक और प्रामाणिक जानकारी के स्रोत के रूप में पुस्तकालयों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि पुस्तकालय अपने संग्रह विकास प्रयासों को कैसे बढ़ा सकते हैं।
कार्यशाला के दौरान कोहा विशेषज्ञ प्रवीण कुमार और विक्रांत मलिक ने लाइव डेमो प्रस्तुत किया और प्रतिभागियों को ओपन-एक्सेस सॉफ्टवेयर कोहा और लिनक्स से परिचित कराया। उन्होंने बताया कि प्रतिभागियों ने नवीनतम कोहा संस्करण 23.05 के सभी मॉड्यूल का ज्ञान अर्जित किया, जिसमें पुस्तक अधिग्रहण, कैटलॉगिंग, सर्कुलेशन, सीरियल कंट्रोल और ओपेक शामिल हैं।
समापन सत्र के दौरान मुख्य अतिथि बेनेट विश्वविद्यालय नोएडा के प्रोफेसर संजय कटारिया ने बताया कि वेब-आधारित इंटरफेस कोहा के ओपेक, सर्कुलेशन, प्रबंधन और सेल्फ-चेकआउट इंटरफेस सभी मानकों के अनुरूप वल्र्ड वाइड वेब प्रौद्योगिकियों – एक्सएचटीएमएल, सीएसएस और जावास्क्रिप्ट – पर आधारित हैं, जो कोहा को वास्तव में एक स्वतंत्र समाधान प्लेटफॉर्म बनाते हैं।
जीएलए के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार ने कार्यशाला में मुख्य अतिथि एवं प्रतिभागियों का कार्यशाला के उद्देश्यों और पुस्तकालयों में ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। इस दौरान डा. राजेष ने बताया कि किस प्रकार जीएलए अपने विद्यार्थियों की लर्निंग प्रोसेस को डिजिटल पुस्तकालय के माध्यम से सरल बना रहा है। उन्होंने विभिन्न विषयों पर अतिथियों के साथ चर्चा की। कार्यशाला के अंत में डा. शिव सिंह के माध्यम से प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।
प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि ऐसे साॅफ्टवेयरों के माध्यम से तकनीकी ज्ञान तो मिलता ही है, बल्कि यह कठिन कार्यों को सरलतम बनाने के लिए एक बेहतर उपाय हैं। उन्होंने सभी अतिथियों को सम्मानित करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।