• निजी की अस्पतालों की मनमानी गरीब मरीजों की बनी परेशानी
  • जिले के चीफ मेडीकल ऑफीसर निजी अस्पतालों की मनमानी पर अंकुश लगाने से क्यों कतरा रहे?
  • बीते दिन ही बलदेव के श्री बलदेव हॉस्पीटल के संचालक ने मरीज बालिका की मौत के मामले को लेकर अमर उजाला के पत्रकार से की अभद्रता

दैनिक उजाला, मथुरा : मथुरा जिले में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं चौपट हैं। न कोई देखने वाला और न कोई सुनने वाला। यही कारण है कि निजी अस्पताल संचालक दंबगई से अपनी मनमानी पर उतारू हैं। जिले के चीफ मेड़ीकल ऑफीसर कार्यालय में बैठकर इन व्यवस्थाओं पर भी नजर नहीं रख पा रहे हैं। प्राइवेट हॉस्पीटलों की मनमानी पर भी कोई अंकुश नहीं है। समाज की सेवा करने के बजाय मुनाफा करने में जुटे हुए हैं। आखिर ऐसी स्थिति को कौन देखेगा?

प्राइवेट हॉस्पीटलों की मनमानी इस कदर हावी है कि स्वास्थ्य सेवाओं के नाम खुली लूट मचा रखी है। गरीब मरीजों के परिवारजन को घुटने टेकने तक को मजबूर कर रहे हैं। ऐसे वाकया आये दिन प्राइवेट हॉस्पीटलों में देखने को मिल रहे हैं। हालात ये हैं कि प्राइवेट हॉस्पीटल संचालक हॉस्पीटलों में दंबग लोगों को तैनात रखते हैं, जिससे मरीज के साथ होने वाली घटना के दौरान बिल भरने में आनाकानी करे तो तत्काल दंबग लोग उसे खौफ दिखा सकें।

अक्सर ऐसी स्थिति बनते हुए देखी जाती है कि मरीज की कंडीशन खराब है, लेकिन डॉक्टर मरीज के किसी परिवारजन को बताने में भी आनाकानी करते हैं। हालात ये हो जाते हैं कि मरीज के परिवार का कोई सदस्य अगर अपने मरीज के हालातों के बारे में डॉक्टर से पूछे तब भी उसके सामने हालात सामान्य का हवाला देकर अधिक समय न होने की बात कहकर चलता कर देते हैं।

स्वतंत्र पत्रकार विवेक दत्त मथुरिया कहते हैं कि सीएमओ को जिले की स्वास्थ्य सेवा को ध्यान में रखकर आगे बढ़ने की जरूरत है। माना कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरीके चौपट है, लेकिन प्राइवेट हॉस्पीटलों की मनमानी और गरीब मरीजों के परिवारजन को लूटने से बचाने की जरूरत है। इसके लिए चीफ मेड़ीकल ऑफीसर को हर प्राइवेट हॉस्पीटल की स्वास्थ्य सेवा के रेट तय करने चाहिए और यह सूची सार्वजनिक करनी चाहिए। इसके अलावा ऐसे कड़े निर्देश देने की जरूरत है, जिससे हॉस्पीटल संचालक दबंगई पर उतारू न हों।

समाजसेवी सुजीत कहते हैं कि प्राइवेट हॉस्पीटलों के अगर दबंगई वाले हालात रहे तो मरीजों के साथ आये दिन नई घटनाएं घटित होते हुए देखने को मिलेंगी और और हॉस्पीटल संचालक समाज सेवा करने के बजाय एक कॉरपोरेट सेक्टर की तरह स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन करेंगे।

मुख्य न्यायाधीश रहे एनवी रमणा ने जताई थी निजी स्वास्थ्य सेवा पर चिंता

23 अगस्त, 2022 को नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज के उद्घाटन के मौके पर देश में प्राइवेट अस्पताल की बढ़ती मनमानी के बीच मुख्य न्यायाधीश रहे एनवी रमणा ने जोर देकर कहा था कि निजी अस्पताल प्राइवेट कारपोरेट कंपनियों की तरह चलाए जा रहे हैं। समाज की सेवा करने के बजाय इनका मकसद सिर्फ मुनाफा कमाना है। अब जरूरत है कि सरकार इन निजी फर्जी और मुनाफाखोर अस्पतालों की मनमानी रोकने के लिए सख्त कानून बनाए।

बीते दिन बलदेव के श्रीबलदेव हॉस्पीटल में हुई पत्रकार से अभद्रता

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