• उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में कसार देवी का मंदिर है, इस मंदिर को धरती का चुंबकीय क्षेत्र भी कहा जाता है

दैनिक उजाला, अल्मोड़ा : कसार देवी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह मंदिर आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र भी माना जाता है। कसार देवी को माता दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है। हिमालय की गोद में बसा यह मंदिर प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है और धार्मिक दृष्टि से भी यह बेहद अहम है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना हुए 1000 साल से अधिक हो चुके हैं।

देवी का यह मंदिर चुंबकीय शक्ति क्षेत्र (Van Allen Belt) में आता है। ये दुनिया के तीन खास ऊर्जा केंद्रों में से एक है। कसार देवी मंदिर के अलावा माचू पिचू, पेरू और स्टोनहेंज, इंग्लैंड वो स्थान हैं जहां चुंबकीय शक्ति का अहसास लोगों को होता है। 

कसार देवी मंदिर का इतिहास

माना जाता है कि कसार देवी का मंदिर द्वापर युग से विद्यमान है। वहीं इसकी स्थापना लगभग दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में होने की बाद कही जाती है। स्वामी विवेकानंद ने साल 1890 में इस स्थान का दौरान किया था और यहां ध्यान लगाकर उन्हें अलौकिक अनुभव की प्राप्ति हुई थी। अपनी कई पुस्तकों में विवेकानंद ने इस मंदिर का जिक्र किया है। विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस भी इस स्थान पर आए थे। 

आध्यात्मिकता का केंद्र है यह मंदिर 

कसार देवी मंदिर चुंबकीय शक्ति से भरा हुआ है। यहां ध्यान लगाने से शीघ्र समाधि की प्राप्ति भक्तों को होती है। इसलिए यह स्थान साधु-संतों के आकर्षण का केंद्र भी है। इस स्थान पर साधु संत तंत्र-मंत्र से जुड़े प्रयोग करने भी पहुंचते हैं। वहीं यहां ध्यान लगाने से भक्तों को मानसिक शांति का अनुभव भी होता है।

कसार देवी करती हैं भक्तों की मनोकामना पूरी 

इस मंदिर में कसार देवी की एक मूर्ति स्थापित है। इसका दर्शन भक्त बारह महीनों कर सकते हैं। नियमित रूप से मंदिर में मंदिर के पुजारी के द्वारा पूजा की जाती है। इस मंदिर में माता के दर्शन करने से, ध्यान लगाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो कसार देवी की पूजा और ध्यान करने से आत्मज्ञान भक्त को प्राप्त होता है। इसलिए अध्यात्म के पथ पर अग्रसर लाखों लोग हर वर्ष इस मंदिर में कसार माता के दर्शन करने आते हैं। 

नवरात्रि में भक्त आते हैं माता के दर्शन करने 

नवरात्रि के पावन पर्व के दौरान बड़ी संख्या में भक्त कसार माता के दर्शन करने आते हैं। खासकर नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन भक्तों की संख्या यहां बढ़ जाती है। इसके साथ ही हर साल कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भी यहां भव्य मेला लगता है। 

कसार देवी मंदिर के रहस्य से वैज्ञानिक भी हैरान

कसार मंदिर भू चुंबकीय शक्ति का केंद्र माना जाता है। नासा के वैज्ञानिकों ने इस मंदिर को जीपीएस 8 केंद्र चिह्नित किया है। इस मंदिर के आसपास के क्षेत्र में भू चुंबकीय पिंड धरती के अंदर होने की बात वैज्ञानिकों के द्वारा कही गयी है। चुंबकीय शक्ति के कारण ही यहां मानसिक शांति का अनुभव लोगों को होता है। 

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। दैनिक उजाला एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *