जयपुर : प्रदेश में चुनाव नवंबर में करवाने की संभावना है। ऐसे में चुनाव आयोग तैयारी में जुटा है। आए दिन अधिकारियों की वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग हो रही हैं। वहीं ईवीएम मशीनें भी भेजी जा रही हैं। इस बार विधानसभा चुनाव एम-3 ईवीएम से होंगे। यह मशीन एम-2 की अपेक्षा काफी अपग्रेड है। पलक झपकते ही इसके परिणाम सामने होंगे। ऐसे में इस बार चुनाव के रिजल्ट जल्दी मिल सकेंगे। इस मशीन की कई खासियत हैं। इस मशीन के साथ कोई भी छेड़छाड़ करेगा या फिर स्क्रू आदि खोलने की कोशिश करेगा तो यह बंद हो जाएगी। विधानसभा चुनाव के लिए यह अपग्रेड मशीनें बिहार से यहां भेजी जा रही हैं। दो हजार से ज्यादा मशीनें यहां आई हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक एम-2 ईवीएम की अपेक्षा एम-3 ईवीएम 30 सेकेंड पहले परिणाम देगी। इस तरह परिणाम के कुल समय में भी कमी आएगी और उम्मीदवारों व जनता को रिजल्ट भी जल्दी मिल सकेंगे। मशीन में बेहतर फीचर उपलब्ध हैं। टेंपर डिटेक्शन वाला फीचर प्रमुख है, जो छेड़छाड़ करने पर मशीन को बंद होने का संकेत देगा। सॉफ्टवेयर में कोई दिक्कत भी आ जाती है तो वह डिस्प्ले पर पहले ही संदेश दे देगा।

अपडेटेड ईवीएम थर्ड जेनरेशन की ईवीएम है। इसी कारण इसका नाम एम-3 ईवीएम पड़ा। एम-3 ईवीएम की खासियत ये है कि इसके चिप को सिर्फ एक बार ही प्रोग्राम किया जा सकता है। चिप के सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ा नहीं जा सकता है। इसको दोबारा लिखा भी नहीं जा सकता है। इस ईवीएम को इंटरनेट या किसी नेटवर्क से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। मशीन में रियल टाइम क्लाॅक और डायनेमिक कोडिंग जैसी सुविधाएं हैं।
नहीं की जा सकती हैकिंग

ईवीएम-3 की हैकिंग या री-प्रोग्रामिंग नहीं की जा सकती है। खास बात यह है कि एम-3 में 24 बैलेट यूनिट और 384 प्रत्याशियों की जानकारी होगी। पहले सिर्फ चार यूनिट और 64 प्रत्याशियों की जानकारी ही रखी जा सकती थी। इस मशीन की कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट संवाद करने में सक्षम हैं। साथ ही बाहर से कोई कंट्रोल यूनिट या बैलट यूनिट लगाई जाएगी तो इसके डिजिटल सिग्नेचर मैच नहीं होंगे और सिस्टम काम करना बंद कर देगा। सबसे पहले एम-3 मशीन का प्रयोग हिमाचल प्रदेश के उपचुनाव में किया गया था, उसके बाद के चुनावों में इसी का प्रयोग हो रहा है।

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