• जीएलए पिछले 27 वर्षों से शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में नए आयाम गढ़ रहा

दैनिक उजाला, ग्रेटर नोएडा : जीएलए विश्वविवद्यालय में पिछले 27 वर्षों से हर रोज़, हर पल, हर महीने, हर साल, नए झंडे लहराए जा रहे हैं, किसी न किसी तरह से, चाहे वो उद्योग की वृद्धि की बात हो, उद्योग से जुड़ाव की बात हो, उद्योग की आगे की सोच की बात हो, बच्चों की संख्या की बात हो या गुणवत्ता वाली प्लेसमेंट की। जीएलए के लिए उसके ब्रांड एंबेसडर दो लाख सदस्यों का परिवार है। जिनमें 40 हजार अल्यूमिनाई और उनके माता-पिता, 20 हजार वर्तमान छात्र और 40 हजार माता-पिता। इसके अलावा किसी न किसी रूप में विश्वविद्यालय सेवा में जुडे़ सदस्य।

विदित रहे कि जीएलए विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा ने पिछले वर्ष एक बैच की शुरूआत कम छात्रों से की। इसका सीधा मकसद एक ही है कि जीएलए ग्रेटर नोएडा एक ही ध्येय को लेकर अब आगे बढ़ रहा है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां से इंडस्ट्री बेस्ड कोर्स के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण छात्र तैयार हों। प्रयास यह होगा कि बीटेक और मैनेजमेंट के छात्रों को 10 लाख तक के पैकेज पर शुरूआती प्लेसमेंट मिल सके। जीएलए 3 और 5 लाख तक के पैकेज को छोड़कर 11 लाख तक के पैकेज के दायरे में जल्द पहुंचना चाहता है।

विश्वविद्यालय में सभी बड़ी कंपनियां और प्रोडक्ट कंपनियां शुरूआत से आती हैं। कई दिग्गज कंपनियां सर्विस नाउ, सेल्सफोर्स, इटोस, जेपी मॉर्गन, गूगल या माइक्रोसॉफ्ट किसी न किसी रूप में जीएलए से जुड़ी हुई हैं। इन कंपनियों के लिए अपने विद्यार्थियों को तैयार रखने की जरूरत है। तैयारी के लिए ग्रेटर नोएडा, दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद में उद्योगों से जुडे़ ट्रेनर्स, सीटीओ, सीआईओ, सीएफओ, सीएचआरओ, सीईओ या एमडी यही जीएलए ग्रेटर नोएडा के छात्रों को इंडस्ट्री बेस्ड शिक्षा प्रदान करेंगे।

जीएलए के कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल ने बताया कि यह बात विश्वास के साथ कही जा सकती है कि जब उद्योग जगत के लोग विद्यार्थियों को 2, 3 या 4 वर्ष तक पढ़ाएंगे, तो निश्चित रूप से विद्यार्थियों का सपना साकार होगा। अभी हम केवल 10 लाख तक के पैकेज की बात पर रूके हुए हैं। आने वाले वर्षों में यही पैकेज उच्चतम स्कोर पर पहुंचकर 30, 40, तथा 50 लाख तक पहुंचेगा। कुलाधिपति ने कहा कि गूगल जैसी कंपनी में हमारे विद्यार्थियों को सबसे उच्चतम पैकेज पर रोजगार मिलेगा।

उन्होंने कहा कि यूपी बोर्ड और आइसीएसई बोर्ड के रिजल्ट जारी हो चुके हैं। सफल छात्र उच्च शिक्षा की ओर रूख कर रहे हैं, लेकिन वह छोटे और बडे़ कैंपस के पशोपेश में हैं। उन्होंने कहा कि बड़े या छोटे कैंपस से क्या फर्क पड़ता है? आप उस क्लासरूम में क्या कर रहे हैं? उस लैब में क्या कर रहे हैं? कौन सा ट्रेनर और प्रैक्टिशनर उस क्लासरूम में है, जो विद्यार्थी से मिलने आ रहा है, जो विद्यार्थी को जरूरत है वह पढ़ा रहा है? कौन इनवोल्व कर रहा है? कौन सी लर्निंग टेक्नोलॉजी है? कौन से मॉडल हैं? यही सब 12वीं पास विद्यार्थियों को ट्रैक करना है। फिर एक विश्वविद्यालय चुनना है। अगर कोई यह सोचता है कि ग्रेटर नोएडा का विश्वविद्यालय नया है, तोयह नया नहीं है। यह 27 साल का अनुभव है, जो खुद चला रहे हैं, जो हम देख रहे हैं। उस 27 साल के अनुभव और नई विधियों, नई तकनीकों का एकत्रीकरण, एक अद्भुत और सुनहरा भविष्य जीएलए ग्रेटर नोएडा कैंपस देगा।

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