दैनिक उजाला, मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की अद्भुत घड़ी का इंतजार कर रहे भक्तों में उस वक्त उल्लास छा गया जब श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर रात 12 बजते ही ढोल-नगाड़े और घंटे घड़ियाल गूंज उठे। झांझ-मंजीरे, मृदंग और शंख की मंगलध्वनि की बीच कान्हा के बधाई गीत गुंजायमान हो उठे। हर जुबां पर राधे-कृष्ण, राधे-राधे के बोल थे। उधर, गोकुल सहित पूरे ब्रज के मंदिरों में प्रगट भये गोपाला…और बधाई गीतों से माहौल भक्तिमय हो गया। आराध्य बाल गोपाल के दर्शन कर भक्त भाव विभोर होकर नाचने लगे।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन में महंत नृत्य गोपालदास महाराज सहित श्रीकृष्ण जन्मस्थान के ट्रस्टी अनुराग डालमिया, सचिव कपिल शर्मा और सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने सोने/चांदी से निर्मित 100 किग्रा की कामधेनु गाय की प्रतिमा में हरिद्वार के गंगाजल सहित पंचामृत को भरकर लल्ला का आभिषेक किया।

अजन्मे के जन्म के साक्षी बनने के लिए सुबह से ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान और उसके आसपास देश-विदेश से लाखों भक्त पहुंच गए। भक्तों में कान्हा के दर्शन का उत्साह देखते ही बन रहा था। रात 12 बजने को हुए तो जन्मस्थान स्थित भागवत भवन में श्री कृष्ण के श्रीविग्रह को श्रीराधाकृष्ण की प्रतिमा के समक्ष लाया गया। यहां रजत कमल पुष्प में विराजमान भगवान श्रीकृष्ण का श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास महाराज ने सवा मन दूध, दही, शहद, घी, बूरा आदि दिव्य औषधियों से बनाए पंचामृत से अभिषेक किया।

इस दौरान गुलाब और चमेली-बेला के पुष्पों की वर्षा होने लगी और यह क्रम अनवरत चलता रहा। भक्त हरिबोल-राधे कृष्ण के जयकारे लगाते हुए दर्शन कर भाव विभोर हो रहे थे। भागवत भवन में विराजमान श्रीराधाकृष्ण की मनोहारी छवि की आभा देखते ही बन रही थी। दर्शन का यह दौर 1.30 बजे तक ऐसे ही चलता रहा।

बांके बिहारी मंदिर में रात 12 बजे भगवान का दूध, दही, बूरा, शहद और घी से अभिषेक हुआ। इसके बाद ठाकुर जी को विशेष शृंगार हुआ। यह अभिषेक एकांत में किया जाता है। बांकेबिहारी के कपाट नहीं खोले जाते हैं।
मथुरा के राजाधिराज श्री द्वारिकाधीश मंदिर में भगवान का भव्य जन्मोत्सव हुआ। आरती के बाद छप्पन भोग लगाया गया और उसे प्रसाद स्वरूप भक्तों को बांटा गया।