वाराणसी : काशी में मोक्ष के लिए आए फ्रांसीसी नागरिक मिचेल का शनिवार की रात हरिश्चंद्र घाट पर विधि विधान से अंतिम संस्कार कराया गया। कबीरचौरा अस्पताल में लावारिस पड़े मिचेल के ऊपर जब अमन कबीर की नजर पड़ी तो उन्होंने उन्हें अपना घर आश्रम में एम्बेसी के थ्रू रखवाया।
धनतेरस को मिचेल ने अंतिम सांस ली तो तो अमन ने फिर एम्बेसी से संपर्क किया और उनके दाह संस्कार की अनुमति काशी में मांगी क्योंकि मिचेल यहां मोक्ष की कामना के साथ आए थे। इसपर भी एम्बेसी ने परिजनों से बात कर सहमति जताई और पोस्टमार्टम के बाद शनिवार की रात विधि विधान से हरिश्चंद्र घाट पर अमन कबीर ने बेटा बन मिचेल की अंतिम यात्रा संपन्न कराई और उनका दाह संस्कार कराया।
अमन ने बताया की धनतेरस के दिन मिचेल ने नश्वर शरीर का त्याग कर दिया। इसपर उनकी अंतिम इच्छा के अनुरूप काशी में दाह संस्कार किया जाए, के लिए हमने फिर अधिकारियों और एम्बेसी से संपर्क किया जिसपर एम्बेसी ने हमें इसकी अनुमति दे दी और शनिवार को साथियों के साथ मिलकर हरिश्चंद्र घाट पर मिचेल का विधि विधान से दाह संस्कार कराया गया। भगवान् से प्रार्थना है कि उन्हें मोक्ष मिले।
किताबों में काशी की महत्ता और मोक्ष मिलने की बात पढ़कर वाराणसी पहंचे फ्रांसीसी नागरिक मिचेल दशाश्वमेध थानाक्षेत्र की एक लॉज में रुके थे। अमन ने बताया कि कैंसर पेशेंट मिचेल की तबियत खराब हुई तो पुलिस बुलाई गई और पुलिस ने उन्हें कबीरचौरा अस्पताल में भर्ती कर दिया। यहां इनके बारे में जानकारी हुई तो उन्हें आश्रम एम् ट्रांसफर करवाने की कोशिश की पर अपना घर आश्रम ने बिना एम्बेसी की अनुमति के यह कार्य करने से मना कर दिया। इसपर एसीपी दशाश्वमेध डॉ अवधेश पांडेय ने मदद की और फिर उन्हें अपना घर आश्रम में रखा गया जहां धनतेरस के दिन उन्होंने अंतिम सांस ली।