नई दिल्ली : ईमानदारी कानूनी पेशे का मुख्य स्तंभ है। यह एक आंधी से नहीं मिटती है, यह छोटी-छोटी रियायतों और समझौतों से मिटती है जो एडवोकेट और जज कई बार अपने क्लाइंट को देते हैं।
चंद्रचूड़ ने ये बातें नागपुर स्थित महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय में बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच और बॉम्बे हाईकोर्ट के एडवोकेट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक प्रोग्राम में कहीं।

CJI ने कहा- हम सभी अपने विवेक के साथ सोते हैं। यह हर रात सवाल पूछता रहता है। हम या तो ईमानदारी के साथ जिंदा रहेंगे या खुद का आत्म-विनाश कर लेंगे।
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि वकीलों को तब सम्मान मिलता है जब वे न्यायाधीशों का सम्मान करते हैं और न्यायाधीशों को तब सम्मान मिलता है जब वे वकीलों का सम्मान करते हैं। यह तब होता है जब दोनों को लगता है कि दोनों न्याय के एक ही पहिए के हिस्से हैं।