दैनिक उजाला डेस्क : दीपावली साल का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है। दीवाली उत्सव धनतेरस से शुरू होता है और भैया दूज पर समाप्त होता है। दीपावली उत्सव पाँच दिनों की होती है, दीवाली पूजा केवल परिवारों में ही नहीं, बल्कि कार्यालयों में भी की जाती है। इस दिन स्याही की बोतल, कलम और नये बही-खातों की पूजा की जाती है। दावात और लेखनी पर देवी महाकाली की पूजा और नये बही-खातों पर देवी सरस्वती की पूजा कर बही-खातों को भी पवित्र किया जाता है।

धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस का दिन धन्वन्तरि त्रयोदशी या धन्वन्तरि जयन्ती, जो कि आयुर्वेद के देवता का जन्म दिवस है, के रूप में भी मनाया जाता है। इसी दिन परिवार के किसी भी सदस्य की असामयिक मृत्यु से बचने के लिए मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के बाहर दीपक जलाया जाता है जिसे यम दीपम के नाम से जाना जाता है और इस धार्मिक संस्कार को त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है।

धनतेरस पूजा मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि – शुक्रवार, 10 नवम्बर को 12:35, दोपहर से शनिवार, 11 नवम्बर को 13:58, दोपहर तक

धनतेरस पूजा शुक्रवार, 10 नवम्बर को हैं
धनतेरस पूजा मुहूर्त – 17:48 सायंकाल से 19:42 रात्रिकाल

यम दीपम शुक्रवार, 10 नवम्बर 2023 को
17:32 सायंकाल से 20:42 रात्रि तक

नरक चतुर्दशी पूजा मुहूर्त
रविवार, 12 नवम्बर, 2023 को
नरक चतुर्दशी : कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन सूर्य उदय से सामान्यत: 1 घंटे 34 मिनट पहले का समय, होने पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है।

नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले चंद्र उदय या फिर अरुणोदय होने पर तेल मालिश और यम तर्पण करने की परंपरा है। स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें।
इस दिन यमराज के निमित्त तेल का दीया घर के मुख्य द्वार से बाहर की ओर लगाएं।
नरक चतुर्दशी को रूप चौदस भी कहते हैं इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए ऐसा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है।

नरक चतुर्दशी रविवार, नवम्बर 12, को हैं

अभ्यंग स्नान मुहूर्त – 05:30 प्रातःकाल से 06:40 प्रातःकाल

दीपावली पूजा मुहूर्त

दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजा करने के लिए सबसे शुभ समय सूर्यास्त के बाद का होता है। सूर्यास्त के बाद के समय को प्रदोषकाल कहा जाता है। प्रदोषकाल के समय व्याप्त अमावस्या तिथि दीवाली पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है। अतः दीवाली पूजा का दिन अमावस्या और प्रदोषकाल के इस योग पर ही निर्धारित किया जाता है। इसलिए प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेस्ठ होता है और यदि यह मुहूर्त एक घटी के लिए भी उपलब्ध हो तो भी इसे पूजा के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए। दीपावली पूजा मुहूर्त दीपावली के दिन प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी जी की पूजा होती है। मान्यता है कि इस समय लक्ष्मी जी की पूजा करने से मनुष्य को कभी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिये इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। घर में सुख-समृद्धि बने रहे और मां लक्ष्मी स्थिर रहें इसके लिये दिनभर मां लक्ष्मी का उपवास रखने के उपरांत सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिये। लग्न व मुहूर्त का समय स्थान के अनुसार ही देखना चाहिये। इस वर्ष अमावस्या 12 नवम्बर को दोपहर 02:44 से 13 नवम्बर को दोपहर 02:54 हैं, अमावस्या प्रदोष काल एवम रात्रि मे 12 तारीख को होने की वजह से दीपावली 12 नवम्बर को मान्य हैं, क्यूंकी महालक्ष्मी पूजन अमावस्या तिथि मे प्रदोष काल अथवा रात्रि मे अमावस्या हो, उस समय करना चाहिए

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – रविवार, नवम्बर 12
गोधूलि मुहूर्त – 17:18 सायंकाल से 17:42 सायंकाल
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 17:40 सायंकाल से 19:34 रात्रि

प्रदोष काल – 17:30 सायंकाल से 20:08 रात्रि
वृषभ लग्न – 17:40, सायंकाल से 19:34 रात्रि

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – महानिशा काल – 23:40 रात्रि (नवम्बर 12) से 00:30 रात्रि (नवम्बर 13)
सिंह लग्न – 00:10 मध्यरात्रि से 02:26 मध्यरात्रि, नवम्बर 13

दीपावली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त

लाभ – प्रातः 09:24 से 10:42 प्रातः
अमृत – 10:43 प्रातः से 12:04 दोपहर
शुभ – (दोपहर मुहूर्त) – 13:26 दोपहर से 14:46 दोपहर
शुभ, अमृत, चर – (सायंकाल व रात्रि मुहूर्त) – 17:30 सायंकाल से 22:24 रात्रिकाल
लाभ – (रात्रि मुहूर्त) – 01:44 रात्रिकाल से 03:24 मध्यरात्रि (नवम्बर 13)
शुभ – (उषाकाल मुहूर्त) – 05:04 प्रातःकाल, से 06:42 प्रातःकाल (नवम्बर 13)

उदय-लग्न मुहूर्त, रविवार, 12 नवम्बर 2023

निम्नलिखित चार लग्न प्रकृति में स्थिर माने जाते हैं और लक्ष्मी पूजा के लिए अच्छे माने जाते हैं।

1.वृश्चिक लग्न 2. कुंभ लग्न 3. वृषभ लग्न 4. सिंह लग्न

  • तुला – 04:44 प्रातःकाल से 07:08 प्रातःकाल
  • वृश्चिक – 07:08 प्रातःकाल से 09:24 प्रातःकाल (स्थिर लग्न)
  • धनु – 09:25 प्रातःकाल से 11:24 प्रातःकाल
  • मकर – 11:25 दोपहर से 13:08 दोपहर
  • कुम्भ – 13:09 दोपहर से 14:34 दोपहर (स्थिर लग्न)
  • मीन – 14:35 दोपहर से 16:00 दोपहर
  • मेष – 16:01 दोपहर से 17:34 सायंकाल
  • वृषभ – 17:35 सायंकाल से 19:30 रात्रिकाल (स्थिर लग्न)
  • मिथुन – 19:31 रात्रिकाल से 21:44 रात्रिकाल
  • कर्क – 21:45 रात्रिकाल से 00:10 मध्यरात्रि, 13 नवम्बर
  • सिंह – 00:10 मध्यरात्रि, 13 नवम्बर से 02:22 रात्रि, 13 नवम्बर (स्थिर लग्न)
  • कन्या – 02:23 मध्यरात्रि, 13 नवम्बर से 04:38 प्रातःकाल, 13 नवम्बर

श्री लक्ष्मी पूजा स्थिर लग्न पूजन समय

वृश्चिक लग्न मुहूर्त (प्रातः) – 07:08 प्रातःकाल से 09:24 प्रातःकाल
कुम्भ लग्न मुहूर्त (अपराह्न) – 13:12 दोपहर से 14:38 दोपहर
वृषभ लग्न मुहूर्त (सन्ध्या) – 17:40 सायंकाल से 19:34 रात्रि
सिंह लग्न मुहूर्त (मध्यरात्रि) – 12:10 मध्यरात्रि से 02:26 मध्यरात्रि, 13 नवम्बर 2023

लग्न के अनुसार मुहूर्त इस प्रकार है

अधिकांश धार्मिक पुस्तकें सूर्यास्त के बाद प्रदोष के समय दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का सुझाव देती हैं जबअमावस्या तिथि प्रबल होती है। यदि सूर्यास्त से पहले अमावस्या तिथि समाप्त हो रही है तो चतुर्दशी तिथि को लक्ष्मी पूजा की जाती है जब सूर्यास्त के बाद अमावस्या प्रबल होती है।

वैदिक ज्योतिष में, चौबीस घंटे में बारह लग्न होते हैं और जिन्हें स्थिर, चल और सामान्य के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। निम्नलिखित चार लग्न प्रकृति में स्थिर माने जाते हैं और लक्ष्मी पूजा के लिए अच्छे माने जाते हैं।

1. वृश्चिक लग्न 2. कुंभ लग्न 3. वृषभ लग्न 4. सिंह लग्न

चूंकि देवी लक्ष्मी गतिमान हैं और कभी भी एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं रहती हैं, इसलिए हमेशा एक निश्चित लग्न के दौरान उनकी पूजा करके उन्हें एक स्थान पर स्थिर या लंबे समय तक रहने का प्रयास किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्थिर लग्न के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा करने से वह स्थिर हो जाती हैं या कम से कम एक स्थान पर रहती हैं।

दीपावली पर्व के दौरान अमावस्या के दिन, सुबह में वृश्चिक लग्न, दोपहर के दौरान कुंभ लग्न, शाम के दौरान वृषभ लग्न और मध्यरात्रि के दौरान सिंह लग्न प्रबल होता है। इसलिए वृषभ लग्न को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह सूर्यास्त के तुरंत बाद प्रदोष के साथ आच्छादित हो जाता है। हालाँकि कुछ अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण, कोई व्यक्ति प्रदोष के दौरान लक्ष्मी पूजा करने में सक्षम नहीं होता है, वह अमावस्या के दौरान उपलब्ध निश्चित लग्न मुहूर्त चुन सकता है।

वृश्चिक लग्न मुहूर्त (प्रातः) – 07:08 प्रातःकाल से 09:24 प्रातःकाल, 12 नवम्बर – दीपावली के दिन प्रातःकाल में वृषभ लग्न प्रबल होता है। वृश्चिक लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा मंदिरों, अस्पतालों, होटलों, स्कूलों और कॉलेजों के लिए सबसे उपयुक्त है। जो लोग सार्वजनिक मामलों, राजनीति, विभिन्न टीवी और फिल्म कलाकारों, शो एंकर, बीमा एजेंटों से जुड़े हैं, उन्हें भी वृश्चिक लग्न के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।

कुम्भ लग्न मुहूर्त (अपराह्न) – 13:12 दोपहर से 14:38 दोपहर, 12 नवम्बर ) – कुंभ लग्न दिवाली के दिन दोपहर के समय प्रबल होता है। कुंभ लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा बीमार लोगों, कर्ज में डूबे लोगों के लिए उपयुक्त है, जो बुरे प्रभाव से छुटकारा पाना चाहते हैं, जो व्यापार में पैसा खो रहे हैं और व्यापार में भारी कर्ज अर्जित किया है।

वृषभ लग्न मुहूर्त (सन्ध्या) – 17:40 सायंकाल से 19:34 रात्रिकाल, 12 नवम्बर ) – दीपावली के दिन शाम के समय वृषभ लग्न प्रबल होता है। वृषभ लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त समय है जो परिवार में रहते हैं, विवाहित हैं, बच्चे हैं, मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग, ग्रामीण लोग, किसान, वेतनभोगी लोग और सभी प्रकार के काम में लगे व्यवसायी हैं। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण मुहूर्त है।

सिंह लग्न मुहूर्त (मध्यरात्रि) – 12:10 मध्यरात्रि से 02:26 मध्यरात्रि, 13 नवम्बर ) – सिंह लग्न दिवाली की मध्यरात्रि में प्रबल होता है। सिंह लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा, साधुओं, संतों, विश्व त्यागियों और तांत्रिक समुदाय के लिए देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सबसे उपयुक्त समय है।

दीपावली की महनिशा पूजन, जो कि दीपावली की रात्रि 13 नवम्बर 2023 से दूसरे दिन 13 नवम्बर 2023 सुबह होने से पहले तक की जाती हे, उसका समय सुबह 04:38 तक ही रहेगा ||

अन्नकूट पूजा /गोवर्धन पूजा 2023 के शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा मंगलवार, नवम्बर 14, 2023 को
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:43 से 08:52 तक

नवम्बर 14, प्रातः काल 10:45 से 12:05 दोपहर
नवम्बर 14, दोपहर 12:05 से 13:26 दोपहर

भाई दूज पूजा व तिलक मुहूर्त नवम्बर 15 को है

शुभ मुहूर्त
प्रातः 06:00 से 09:30 तक
सुबह 10:44 से 12:00 दोपहर तक
दोपहर 15:00 से 17:30 शाम तक
रात्रि 19:30 रात्रिकाल से 22:40 रात्रि तक

डा. आशीष शर्मा “कोविद”, “ज्योतिष् रत्न “
https://mystarswill.com/

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