- जीएलए बायोटेक के विद्यार्थियों को रोजगारपरक शिक्षा के लिए 42 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से हो चुका एमओयू
दैनिक उजाला, मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा का जैव प्रौद्योगिकी विभाग छात्रों के भविष्य को बुनने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। चाहे वह बेहतर तकनीकी शिक्षा हो, रोजगार हो, विशेष तैयारी के लिए अतिरिक्त क्लास हों, रिसर्च हो। प्रत्येक क्षेत्र में अपने विद्यार्थियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक सहयोग से अतिरिक्त लाभ दिलाने के लिए कार्य कर रहा है। अब तक विभाग ने 42 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय द्वि-पक्षीय समझौते (एमओयू) किए हैं।
बायोटेक विभाग में बीएससी (ऑनर्स), एमएससी जैव प्रौद्योगिकी तथा एमएससी माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी, एमएससी जैव सूचना विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी और माइक्रोबायोलॉजी में पीएचडी शामिल हैं। विभाग ने 42 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें आईसीएमआर, आईसीएआर, उद्योग और सरकारी विश्वविद्यालयों के अनुसंधान संगठन शामिल हैं, जो शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों में उत्कृष्टता रखते हैं।


प्रमुख सहयोगी आईसीएमआर संस्थानों में राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे और राष्ट्रीय जालमा कुष्ठ एवं अन्य माइकोबैक्टीरियल रोग संस्थान, आगरा शामिल हैं। मुख्य सहयोगी आईसीएआर संगठन राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल और केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा हैं। विभाग का राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी), भारत सरकार, नई दिल्ली के साथ सक्रिय सहयोग है, जिसने विभाग में प्रयोगशालाओं के लिए अनुसंधान बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अनुसंधान निधि भी प्रदान की है। इसके साथ ही उत्पाद विकास के लिए कृषि आधारित अनुसंधान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के उद्यम एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड, नई दिल्ली के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
डीन इंटरनेशनल रिलेशन प्रो. दिलीप कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि एमओयू के तहत छात्रों को ईरान के शिराज विश्वविद्यालय के प्रख्यात वैज्ञानिक प्रो. अब्दुल्ला डेरखशांदेह ने छात्रों और संकाय सदस्यों के शैक्षणिक लाभ के लिए “मानव और पशु आइसोलेट्स से साल्मोनेला, क्लेबसिएला और ई.कोली में रोगाणुरोधी प्रतिरोधी रुझान” विषय पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
कई शोधार्थी विभाग से पीएचडी के दौरान ही सहयोगी संस्थानों और विश्वविद्यालयों सीआईआरजी, मथुरा, स्टेनली ब्राउन रिसर्च लेबोरेटरी, नई दिल्ली, शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एसकेयूएएसटी), कश्मीर के शोधार्थियों के साथ मिलकर पिछले एक वर्ष से शोध में जुटे हुए हैं। पीएचडी छात्रों के लगभग 10 शोध पत्र एससीआई और स्कोपस इंडेक्स वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने बताया कि विद्यार्थियों तकनीकी ज्ञान हेतु स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों की राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल की शैक्षिक यात्रा भी कर चुके हैं। जिस दौरान छात्रों ने किसान मेले का दौरा किया और संस्थान में डेयरी माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाओं में काम कर रहे अनुसंधान छात्रों के साथ अनुभव हासिल किए।
विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. मायादत्त जोशी ने बताया कि बायोटेक्नोलॉजी विभाग वर्तमान में नियमित गतिविधियों के संचालन के माध्यम से छात्रों के पूर्ण शैक्षणिक और अनुसंधान उत्थान पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।