- मंदिर में मेरी हेयर ड्रेसर को बाल खींचकर धकेला, ऐसा रोज हो रहा है।
वृंदावन: बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर मामले में 3 जुलाई तक यूपी सरकार हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करेगी। मंदिर के गोस्वामी परिसर का विरोध कर रहे हैं। उनके दो बड़े पॉइंट हैं। पहला- मंदिर के फंड का दुरुपयोग न हो। दूसरा- कुंज गलियों और मंदिर के स्वरूप को नुकसान नहीं होना चाहिए।
मथुरा-वृंदावन प्रशासन के अधिकारियों की 2 मीटिंग हो चुकी हैं, लेकिन गोस्वामी (पुजारी) कॉरिडोर के लिए सहमत नहीं हुए। मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी से कॉरिडोर को लेकर चर्चा की तो उन्होंने कहा- एक बार मेरी हेयर ड्रेसर बांके बिहारी के दर्शन करने गई। किसी ने बाल पकड़कर उसको पीछे धकेल दिया। ऐसे हादसे रोज होते हैं। इन्हें नहीं होना चाहिए। मंदिर के गोस्वामी के पास फंड हैं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।
विदेशी टूरिस्ट आते हैं, वह कहते हैं- गेट तक पहुंचे, मगर बांके बिहारी के दर्शन नहीं कर सके। कॉरिडोर बनने के बाद ऐसा नहीं होगा। हेमा मालिनी ने कहा- हम चाहते हैं कि जो लोग दर्शन करने आ रहे हैं, वह अच्छी यादें लेकर वापस जाएं। कोर्ट के आदेश से हमारे वृंदावन के बहुत से लोग खुश हैं। कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें टेंशन है कि जाने क्या होगा? दरअसल, उन्हें असलियत नहीं पता है। वहां 3 तरह के लोग हैं, पहले वे जिनके मकान हैं, दूसरे वे जिनकी दुकानें हैं, तीसरे वे, जो किरायेदार हैं। सर्वे के बाद सभी को सही मुआवजा मिलने वाला है।
साथ ही, कॉरिडोर बनने के बाद कैंपस में जो दुकानें बनेंगी, वह भी उन्हीं लोगों को दी जाएंगी, जिनकी दुकानें टूटी हैं। कैंपस में नई तरह की बढ़िया दुकानें बनाई जानी हैं। सब चाहते हैं कि लोग आएं। बांके जी को देखें, फिर अच्छा स्मरण करें। धक्कामुक्की न हो। अभी क्या हो रहा है, जो लोग आ रहे हैं, वो परेशान होते हैं। मैं देख सकती हूं। बच्चों के साथ महिलाएं आती हैं, उन्हें बहुत मुश्किल होती है।
मेरी हेयर ड्रेसर बांके बिहारी जी के दर्शन करने गई थी। वो बता रही थी कि किसी ने उसके बाल पकड़कर उसे पीछे धकेल दिया। वो शॉक्ड रह गई। रोज ही ऐसे हादसे होते हैं, मगर कोई बोलने वाला नहीं है। जब कोई भक्त मरता है, तभी न्यूज बनती है। वरना रोज ही छोटी-छोटी घटनाएं होती रहती हैं। कहां-कहां से लोग आते हैं, इसलिए थोड़े आते हैं।
मैं सबसे कहती हूं कि यहां सप्त देवालय (7 मंदिरों का समूह) है। सब लोग देख सकते हैं। मगर सबको बांके बिहारी आना होता है। तो बांके बिहारीजी को भी तो प्रसन्न करें न। कई सालों से वहां गोस्वामी लोग रहते हैं, वो बहुत कुछ कर सकते थे, उनके पास फंड भी है, लेकिन नहीं किया है, इसलिए हम कदम उठा रहे हैं कि लोगों को सुविधा हो जाए। वो आनंदित हो, फिर बार-बार वापस आएंगे। विदेश से आने वाले कहते हैं कि हम दरवाजे तक गए, मगर दर्शन नहीं कर सके। ये सुनकर मुझे इतना दुख हुआ कि मैं बता नहीं सकती हूं।