• पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग हो रही है, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई भी होगी

दैनिक उजाला, डेस्क : भारतीय न्याय संहिता के मुताबिक आर्टिकल 355 के तहत संघ का कर्तव्य होता है कि वह किसी भी राज्य में बाहरी आक्रमण या आंतरिक अशांति की स्थिति में सुरक्षा का काम करे। ऐसे में मुर्शिदाबाद जिले में हुई हिंसा और बवाल के बीच ये मांग की जा रही है कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 356 की मांग पर आज पश्चिम बंगाल में कथित हिंसा की घटनाओं के आधार पर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठी है। इस मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई होनी है।

याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया है कि वह केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत राज्यपाल से राज्य की स्थिति पर रिपोर्ट मांगने का निर्देश दे। इस याचिका पर आज सुनवाई होने की संभावना है, जिसमें पश्चिम बंगाल की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर विचार किया जा सकता है।

बता दें कि किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन भारतीय राजनीति के संघीय ढांचे को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि संकट के समय भी उस राज्य में शासन स्थिर रहे। भारतीय संविधान के भाग XVIII में अनुच्छेद 355 से 357, साथ ही भाग XIX में अनुच्छेद 365 राष्ट्रपति शासन से संबंधित हैं।

मणिपुर में लगा है राष्ट्रपति शासन

मणिपुर में सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है क्योंकि वहां की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से नए नेता के बारे में कोई फैसला नहीं किया जा सका तो ऐसी स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

कब लगाया जाता है राष्ट्रपति शासन

संविधान का अनुच्‍छेद-356 केंद्र सरकार को किसी भी राज्य सरकार को हटाकर प्रदेश का नियंत्रण अपने हाथ में लेने का अधिकार देता है। किसी भी राज्य में संवैधानिक तंत्र नाकाम होने या इसमें रुकावट पैदा होने पर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। हालांकि इसके दो आधार हैं- पहला, जब कोई राज्‍य सरकार संविधान के मुताबिक शासन चलाने में सक्षम ना हो और दूसरा, जब राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों को लागू करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई हो। ऐसे में उस राज्य में राष्‍ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य की सभी शक्तियां राष्‍ट्रपति के पास चली जाती हैं। 

साल 1950 में संविधान लागू होने के बाद से ही केंद्र सरकार ने इसका इस्‍तेमाल शुरू कर दिया था और तत्कालीन सरकार ने अनुच्‍छेद-356 का इस्‍तेमाल कर 100 से ज्‍यादा बार राज्‍यों सरकारों को बर्खास्‍त कर राष्‍ट्रपति शासन लागू किया है। 

पहली बार किस राज्य में लगा था राष्ट्रपति शासन

देश में संविधान लागू होने के करीब 17 महीने बाद ही अनुच्छेद-356 का पहली बार प्रयोग 20 जून 1951 को पंजाब सरकार के खिलाफ किया था और देश में पहली बार पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। कहा जाता है कि साल 1951 में पंजाब की कम्‍युनिस्‍ट सरकार ने अपनी अंदरूनी कलहों से निपटने के लिए खुद ही राज्‍य में राष्‍ट्रपति लागू करने की मांग की थी। 

अबतक 134 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है

1950 में संविधान के लागू होने के बाद से देश के कुल 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 134 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में सबसे ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन मणिपुर में लग चुका है। राज्य में अबतक 11 बार राष्ट्रपति शासन लगा है। दूसरा नंबर यूपी का है जहां 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। 

कैसे चलता है राज्य का प्रशासनिक कामकाज

राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट को तुरंत अपना पद छोड़ना पड़ता है यानी राज्य सरकार की महत्ता खत्म हो जाती है। राज्य में कोई भी प्रशासनिक फैसला सरकार का कोई मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं ले सकता, बल्कि राज्य का प्रशासन राज्यपाल के हाथों में चला जाता है। राज्यपाल को यह सुनिश्चित करना होता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनी रहे और प्रशासन सुचारू रूप से चले। राज्य के सभी अधिकारी और कर्मचारी भी राज्यपाल और केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार काम करते हैं और सभी योजनाओं और कार्यक्रमों को भी केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद लागू किया जाता है।

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