चमोली : उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा के पास बसे पौराणिक शहर जोशीमठ में जमीन धंसने का सिलसिला जारी है। शनिवार को यहा जमीन धंसने के कारण एक मंदिर धराशाही हो गया। जोशीमठ के 600 से अधिक मकानों में दरार आ चुकी है। मकानों में दरार और मंदिर गिरने से लोगों में दहशत का माहौल है। इधर प्रशासन ने जोशीमठ से लोगों को शिफ्ट करने का काम शुरू कर दिया है। आपदा प्रबंधन विभाग ने जोशीमठ के 50 परिवारों को रैन बसेरों और शेल्टर हाउस में भेज दिया है। जोशीमठ में जमीन धंसने की समस्या पर हुई हाईलेवल मीटिंग में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनाने का निर्देश दिया था। साथ ही उन्होंने डेंजर जोन को जल्द से जल्द खाली कराने का निर्देश दिया था।
केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम का मुख्य द्वार है जोशीमठ
जोशीमठ का पौराणिक महत्व भी है। यह शहर केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम का मुख्य द्वार माना जाता है। यहां से बद्रीनाथ 45 किलोमीटर तो केदारनाथ धाम 50 किलोमीटर दूर है। जोशीमठ में भू धंसाव अब विकराल हो चुका है। यहां कई घर गिरने की कगार पर पहुंच गए हैं। जबकि, कई टूट भी चुके हैं। आज एक मंदिर भी ढह गया है।अच्छी बात ये रही कि इसमें कोई जनहानि नहीं हुई है। खौफजदा और डरे हुए कई लोग अपने घर छोड़ चुके हैं।
अधिकारियों से CM ने जाने हालात
प्रशासन की ओर से आज सभी दरारग्रस्त वाडरें का निरीक्षण किया गया। साथ ही प्रदेश बीजेपी की ओर से गठित टीम ने प्रभावित इलाकों का जायजा लिया। इधर, जोशीमठ में दरारों को लेकर भी सरकार चिंतित है। लिहाजा, आज जोशीमठ के मौजूदा हालात की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक में सीएम धामी ने आपदा प्रबंधन सचिव, आयुक्त गढ़वाल मंडल और जिलाधिकारी से जोशीमठ की जानकारी ली।
ये बताये जा रहे कारण !
विशेषज्ञों के अनुसार जोशमठ में जमीन धंसने के निम्न 4 प्रमुख कारण है।
- तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना की एनटीपीसी की सुरंग ने जमीन को खोखला कर दिया है।
- बाईपास सड़क के लिए खुदाई पूरे शहर को नीचे से हिला रही है।
- 2021 में धौलीगंगा में आई बाढ़ से अलकनंदा के तट में कटाव ने समस्या बढ़ा दी है।
- जल निकासी की व्यवस्था न होने से प्रतिदिन लाखों लीटर पानी जमीन के अंदर समा रहा है।