चित्तौड़गढ़ : मेवाड़ के प्रसिद्ध कृष्णधाम श्री सांवलिया जी मंदिर में मध्यप्रदेश के धार जिले के कुक्षी कस्बे के एक व्यापारी भक्त ने चांदी से बना डंपर, 2 पोकलैन और एक चेन चढ़ाया है। यह चारों आइटम्स 1595 ग्राम चांदी से बना हुआ हैं। इस भक्त ने हाल ही में नया डंपर और 2 पोकलैन मशीन खरीदी थी। उसी खुशी में उन्होंने सांवरा सेठ के दरबार में यह भेंट अर्पित की। यह भक्त हर महीने अपने परिवार के साथ दर्शन के लिए मंदिर आते हैं और अपने हर नए काम की शुरुआत भगवान के आशीर्वाद से करते हैं।

हर महीने करते हैं सांवरा सेठ के दर्शन

यह भक्त हर महीने नियमित रूप से श्री सांवलिया सेठ के दर्शन के लिए आते हैं। उनका मानना है कि सांवरा सेठ की कृपा से ही उनका व्यवसाय निरंतर बढ़ रहा है। इस बार जब उन्होंने अपने व्यवसाय के लिए 1 डंपर और 2 पोकलैन मशीनें खरीदीं, तो सबसे पहले सांवरा सेठ के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे और चांदी के प्रतीक स्वरूप डंपर व पोकलैन भेंट कर आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने एक चांदी की चेन भी भेंट की। इस दौरान उनका पूरा परिवार भी उनके साथ था।

डंपर, पोकलैन के साथ-साथ चेन भी चढ़ाई।

डंपर, पोकलैन के साथ-साथ चेन भी चढ़ाई।

मन्नत नहीं, आस्था के भाव से चढ़ाया चढ़ावा

विशेष बात यह रही कि इस बार भक्त ने कोई मन्नत नहीं मांगी थी। बल्कि, सांवरा सेठ पर उनकी अटूट श्रद्धा और विश्वास के कारण उन्होंने यह चढ़ावा चढ़ाया। उनका कहना है कि जब भी वे लोग अपने व्यवसाय से जुड़ी कोई नई चीज खरीदते हैं, तो सबसे पहले सांवरा सेठ के दरबार में आकर आशीर्वाद लेते हैं। इस परंपरा को निभाते हुए उन्होंने इस बार 1 चांदी का डंपर, 2 पोकलैन और चेन चढ़ाए।

मंदिर मंडल ने किया स्वागत

सोमवार रात करीब 10.30 बजे जब भक्त चढ़ावा लेकर मंदिर पहुंचे, तो मंदिर मंडल के सदस्यों ने उनका स्वागत किया। उन्हें उपरना ओढ़ाकर और सांवलिया सेठ का प्रसाद देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर मंदिर परिसर में मौजूद अन्य भक्तों ने भी इस अनूठे चढ़ावे को देखकर श्रद्धा व्यक्त की और भक्त की आस्था की सराहना की।

सांवरा के प्रति लोगों में काफी आस्था है, जिसके कारण दूर-दूर से यहां भक्त आते है।

सांवरा के प्रति लोगों में काफी आस्था है, जिसके कारण दूर-दूर से यहां भक्त आते है।

हर भेंट में भक्तों का प्रेम और विश्वास

श्री सांवलिया सेठ का मंदिर मेवाड़ ही नहीं, पूरे देशभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां लाखों भक्त हर साल आते हैं। श्रद्धालु अपने जीवन से जुड़े छोटे-बड़े सुखों के लिए सांवलिया सेठ से मन्नतें मांगते हैं। मन्नत पूरी होने पर भक्त अलग-अलग तरह से अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। कोई चांदी के घोड़े चढ़ाता है, कोई सोने के छत्र, तो कोई मिठाइयों का भंडार अर्पित करता है। हर भेंट में भक्तों का प्रेम और विश्वास झलकता है।

श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक

चांदी से बना डंपर और दो पोकलैन भी इसी श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक हैं। भक्तों का मानना है कि सांवरा सेठ के दरबार में सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी खाली नहीं जाती। इसलिए जब जीवन में कोई खुशी या उपलब्धि मिलती है, तो भक्त उसे सबसे पहले सांवलिया सेठ के चरणों में समर्पित करते हैं। मुश्किल घड़ी में भी सांवरा को याद करके मन्नत करते है। किसी भी तरह की कोई भी मन्नत सांवरा के दर पर अधूरी नहीं रहती।

चित्तौड़गढ़ के मंडफिया में स्थित सांवलिया सेठ मंदिर।

चित्तौड़गढ़ के मंडफिया में स्थित सांवलिया सेठ मंदिर।

मंदिर में हर दिन उमड़ती है भीड़

श्री सांवलिया सेठ के मंदिर में हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। विशेष अवसरों पर यह संख्या लाखों तक पहुंच जाती है। भक्त घंटों कतार में खड़े रहकर प्रभु के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करते हैं। मंदिर प्रबंधन द्वारा भक्तों के लिए विभिन्न सुविधाएं भी लगातार बढ़ाई जा रही हैं, जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में किसी प्रकार की असुविधा न हो।

इस साल 4 बार खुला भंडार

साल 2025 में अभी तक मंदिर में 4 बार भंडार खुला है। जिसमे पहली बार 28 जनवरी को भंडार खोला गया, जिसमें 22 करोड़ 96 लाख 44 ​हजार 609 रूपए आए। दूसरी बार 13 मार्च फूलडोल महोत्सव में डेढ़ महीने का भंडार खुला, जिसमें 29 करोड़ 9 लाख 63 हजार 292 रूपए आए। फूलडोल महोत्सव (होली के पर्व) पर परंपरा के अनुसार डेढ़ महीने का भंडार खुला था। जिसके कारण फरवरी का भंडार मार्च में खोला गया था। उसके बाद वापस मार्च में ही 15 दिन बाद 28 मार्च को अमावस्या पर भंडार खोला गया। जिसमें 4 करोड़ 87 लाख 30 हजार 806 रूपए आए।

अप्रैल में अभी 26 तारीख शनिवार को दानपात्र खोला गया है। रविवार 27 अप्रैल को काउंटिंग नहीं हुई। सोमवार 28 अप्रैल को दूसरे राउंड की काउंटिंग हुई है, जो अभी 3 दिन और चलेगी। इसके बाद ही इस बार के भंडार का कुल आंकड़ा सामने आएगा।

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