बुलंदशहर : बुलंदशहर में डाककर्मी ने सुसाइड कर लिया। उप डाकपाल ढाई करोड़ के गबन के आरोप में 1 महीने से सस्पेंड चल रहा था। शनिवार को CBI ने उनसे 6 घंटे पूछताछ की थी। रविवार सुबह ट्रेन के आगे कूद गया।

28 साल के राहुल कुमार ने मरने से पहले सुसाइड नोट भी लिखा, जिसे वॉट्सऐप स्टेट्स पर भी लगाया। नोट में डाककर्मी ने खुद को बेकसूर बताया है। सीनियर अफसर राजेश पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।

नोट में लिखा है- मंडलीय कार्यालय के सीनियर अफसर का महिलाओं से संबंध थे, जिसका पता उसे चल गया था। इससे वो नाराज थे। उन्होंने मुझे जातिसूचक शब्द कहे। गालियां दीं। मामला सिटी कोतवाली के गिरधारी नगर स्थित रेलवे लाइन का है।

घटना से जुड़ी 3 तस्वीरें-

यह तस्वीर 28 साल के राहुल कुमार की है।

यह तस्वीर 28 साल के राहुल कुमार की है।

डाककर्मी के सुसाइड के बाद घरवालों को रो-रोकर बुरा हाल है।

डाककर्मी के सुसाइड के बाद घरवालों को रो-रोकर बुरा हाल है।

मरने से पहले उप डाकपाल ने सुसाइड नोट लिखा।

मरने से पहले उप डाकपाल ने सुसाइड नोट लिखा।

घर से दूध लेने निकले, रेलवे क्रॉसिंग पर जाकर जान दी

CBI ने शनिवार को उप डाकपाल को बुलंदशहर से उठाया था। उसे गाजियाबाद लेकर गई थी। वहां लंबी पूछताछ की थी। इसके बाग उसे लखावटी कार्यालय लेकर आई। यहां पर उप डाकपाल तैनात था। ऑफिस में CBI ने उससे 6 घंटे पूछताछ की। इसके बाद उसे छोड़ दिया।

घरवालों के मुताबिक, राहुल वहां से आने के बाद परेशान दिखाई पड़ रहे थे। रात खाना खाकर सो गए। सुबह दूध लेने गए। दूध वाले के घर डिब्बा रखा, फिर गिरधारी नगर के रेलवे क्रॉसिंग पर जाकर सुसाइड कर लिया। रेलकर्मी ने पुलिस को इसकी सूचना दी।

उप डाकपाल से पहले डाकघर अधीक्षक ने किया था सुसाइड

इस मामले में यह दूसरा सुसाइड है। इससे पहले, इसी साल 21 जुलाई को बुलंदशहर प्रधान डाकघर के अधीक्षक टीपी सिंह ने सुसाइड कर लिया था। उन्होंने अलीगढ़ में अपने घर पर खुद को गोली मारी थी। CBI ने एक दिन पहले यानी 20 जुलाई को करप्शन के आरोप में डाकघर पर छापेमारी की थी।

टीपी सिंह अलीगढ़ में बन्नादेवी के सुरक्षा विहार में रहते थे। इसी आवास पर इन्होंने सुसाइड किया था। (फाइल फोटो)

टीपी सिंह अलीगढ़ में बन्नादेवी के सुरक्षा विहार में रहते थे। इसी आवास पर इन्होंने सुसाइड किया था। (फाइल फोटो)

टीपी सिंह ने मरने से पहले SSP अलीगढ़ को सुसाइड नोट भेजा था। इसमें लिखा था- मैंने 16 दिसंबर, 2021 को डाकघर अधीक्षक बुलंदशहर का कार्यभार ग्रहण किया था। इसके बाद से मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है।

प्रताड़ित करने वालों में सुरेश कुमार निवासी सैदपुर बुलंदशहर, मनोज तत्कालीन उप डाकपाल (वर्तमान में उप डाकपाल नारहट, ललितपुर), योगेंद्र सिंह पूर्व मेल ओवरसियर, बनवारी लाल पूर्व मेल ओवरसियर और उनके तीन बेटे अरुण, वरुण और टेकचंद शामिल हैं।

डाककर्मी का सुसाइड नोट पढ़िए-

मुझे 26 नवंबर को मंडलीय कार्यालय की टीम ने सस्पेंड कर दिया। 23 नवंबर तक 5599 रजिस्ट्री में से 3600 रजिस्ट्री लंबित थीं, जबकि 1766 रजिस्ट्री डिस्पैच हो चुकी थीं। सभी लिफाफे पर डाक टिकट राजेश नामक व्यक्ति ने लगाए थे, मगर आरोप मुझ पर मढ़ दिया गया। राजेश ने जो डाक टिकट खरीदे थे, उसका हिसाब-किताब भी संदिग्ध था। मगर जांच में अनदेखा किया गया।

इससे पहले, डिबाई फर्जी डाक टिकट मामले में जांच हुई थी, लेकिन किसी के खिलाफ न तो FIR हुई, न ही सस्पेंड किया गया। वहीं मेरे मामले तत्काल CBI जांच कराई गई। जानबूझकर मुझे निशाना बनाया गया।

मैं जाटव समुदाय से आता हूं। सीनियर अफसर ने मेरे लिए जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया। दरअसल, मुझे मंडलीय कार्यालय की टीम के अफसर के अफेयरों के बारे में पता चल गया था, इसलिए जांच के दौरान मुझे परेशान करने लगे। जातिसूचक शब्दों को इस्तेमाल किया। गालियां दीं। जिस अफसर ने मुझे परेशान किया, उसकी पत्नी भी डाक विभाग में तैनात है।

मैंने 14 सालों तक ईमानदारी और लगन से काम किया, लेकिन मेरे खिलाफ जातीय आधार पर जांच कराई गई। मेरी मौत के जिम्मेदार मंडलीय कार्यालय के अधिकारी और राजेश हैं, लेकिन मैं उन्हें माफ कर रहा हूं।

आखिरी में पूरा मामला समझिए-

  • इस केस में पहली FIR जुलाई महीने में हुई थी। इसमें डाकपाल टीपी सिंह, उप डाकपाल राहुल कुमार, क्लर्क गोपाल और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को नामजद किया। इसमें चारों पर भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लगाए गए थे। इसके बाद केस में CBI इनवॉल्व हो गई।
  • CBI गाजियाबाद की एंटी करप्शन यूनिट ने 20 जुलाई को बुलंदशहर नगर के प्रधान डाकघर पर छापा मारा था। 10 घंटे तक डॉक्यूमेंट की जांच की थी। CBI ने प्रधान डाकघर टीपी सिंह से पूछताछ की। अगले दिन उन्होंने सुसाइड कर लिया।
  • लिखावटी डाकखाने का अधीक्षक युवराज सिंह को बनाया गया। इसी बीच नवंबर में दिल्ली का रहने वाला एक युवक 3833 लेकर लखावटी डाकखाने पहुंचा। टिकट पर शक होने पर विभागीय अफसरों ने जांच शुरू की। टिकटों को जांच के लिए भारतीय प्रतिभूति मुद्राणालय नासिक भेजा गया। इसमें डाक टिकट जाली पाए गए।
  • जांच यह भी सामने आया कि मेल (रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट एवं पार्सल) की बुकिंग में 2 करोड़, 50 लाख, 91 हजार के जाली टिकट लगाकर फर्जीवाड़ा किया गया। इसमें डाक अधीक्षक, उप डाकपाल, क्लर्क और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं। इसके बाद 26 नवंबर तीनों को सस्पेंड कर दिया गया था।

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