दैनिक उजाला, मथुरा : फरह क्षेत्र स्थित नगला दीनदयाल धाम में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के 109 वें जन्म उत्सव के उपलक्ष्य में 4 दिवसीय मेला का आयोजन किया जा रहा है। रविवार से शुरू हुए इस मेला में उत्तराखंड सरकार के पर्यटन एवं सांस्कृतिक मंत्री सतपाल महाराज ने प्रवचन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि तिरूपति का प्रसाद सनातन को नष्ट करने की कोशिश है,लेकिन ऐसे प्रयास सफल नहीं होंगे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपनों को साकार करने के लिए अंतिम व्यक्ति -अंतिम गांव का विकास करना होगा। अध्यात्म की राह पर चल कर स्वयं के अंदर मौजूद भगवान से जुड़ना होगा।
रविवार को पं.दीनदयाल उपाध्याय स्मृति महोत्सव मेला में आयोजित सद्भावना सम्मेलन में मौजूद हजारों लाेगाें को संबोधित करते हुए सतपाल महाराज ने कहा तिरूपति में जो हुआ वह गलत है। लेकिन ऐसी कोई शक्ति नहीं है जो सनातन धर्म को नष्ट कर सके। आज समाज में सद्भावना की सभी को आवश्यकता है। ऋषियों ने भी संसार के भले की सोची थी। वह अपने गांव और गोत्र के बारे में नहीं सोचते। वह तो संसार और प्राणियों का भला चाहते थे।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म उत्सव के उपलक्ष्य में लगे मेला में आयोजित सद्भावना सम्मेलन में शामिल होने के लिए सतपाल महाराज मथुरा पहुंचे।
एकात्म दर्शन पर की चर्चा
एकात्म दर्शन चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कहां कि दीनदयाल जी की सोच व्यापक थी। अंतिम व्यक्ति और अंतिम गांव का विकास उनके दर्शन में शामिल था। केंद्र और उत्तराखंड की सरकार दीनदयाल जी के दर्शन को साकार करने में जुटी है। गंगोत्री में उजड़ चुके अंतिम गांव को बसा कर पर्यटन के लिए तैयार किया जा रहा है। जब तक अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति का विकास नहीं होता है, तब तक देश और समाज का विकास नहीं होगा। आखिरी पायदान पर बैठे व्यक्ति का विकास होना चाहिए, इसलिए अंतिम गांव के विकास की सरकार योजना बना रही है। जो गांव खाली हुए हैं, उन्हें फिर विकसित कर बसाया जा रहा है, जिससे पर्यटक आ सके और आजीविका बढ़े।

सतपाल महाराज के उद्बोधन के दौरान हजारों लोग उपस्थित रहे।
गांव से पलायन रोकने को उनको पर्यटन से होगा जोड़ना
ग्रामीणों का पलायन रोकने को मोटे अनाज को आधार बनाते हुए सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में रागी, कोदो और सांबा जैसे अनाज फिर से पैदा होने लगे हैं। केंद्र सरकार के प्रयास से मोटे अनाज की खेती को अब अन्य प्रदेशों में भी बढ़ावा मिल रहा है, इससे पर्यावरण और सेहत को भी फायदा होगा। ग्रामीणों का गांव से होने वाला पलायन भी रुकेगा। सद्भावना को धर्म से जोड़ते हुए पर्यटन मंत्री ने कहा कि सद्भावना बढ़ाने के लिए लगन जरूरी है, इसलिए सद्भावना में आध्यात्मिक आवश्यक है। इसके लिए उन्होंने कृष्ण अर्जुन संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि ज्ञान हमेशा सद्गुरु से प्राप्त होता है, आध्यात्मिक को जानने के लिए आध्यात्मिक शिक्षक के पास जाना पड़ता है, प्रभु से मिलने के लिए धर्म गुरु के पास आना पड़ता है। गो सेवा और गंगा की चर्चा करते हुए सतपाल महाराज ने भक्तों का मार्गदर्शन किया।

सतपाल महाराज के पहुंचने पर शंख वादन करते आयोजक।
दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ
इससे पूर्व सद्भावना सम्मेलन का शुभारंभ अतिथियों द्वारा पंडित दीनदयाल जी के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। मुख्य वक्ता सतपाल महाराज और विहिप केंद्रीय मार्गदर्शक दिनेश जी का महोत्सव समिति की ओर से अध्यक्ष सोहन लाल, मंत्री मनीष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष नरेंद्र पाठक, सर्व व्यवस्था प्रमुख नीरज गर्ग, स्मारक समिति अध्यक्ष मधुसूदन दादू ने अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया।
भजनों की बही सरिता
सद्भावना सम्मेलन में सतपाल महाराज से पहले भजन मंडली में शामिल कलाकारों ने भजन सुनाए, जिससे श्रोता नाचते रहे। श्रद्धालुओं को संभालने का दायित्व भी मानव सेवा संस्थान के कैडर कार्यकर्ता संभालते रहेे।