दैनिक उजाला, मथुरा : बांके बिहारी कॉरिडोर और अध्यादेश को लेकर चल रहे विरोध के बीच प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी लगातार बैठक कर रहे हैं। रविवार को बांके बिहारी मंदिर के गोस्वामियों के साथ मीटिंग की तो सोमवार को वृंदावन के अलग-अलग क्षेत्रों से बुलाए लोगों के साथ मंथन किया। इस मीटिंग में अधिकारियों ने लोगों को बताया कि कॉरिडोर समय की जरूरत है।

कमिश्नर और डीआईजी ने की मीटिंग

सोमवार को वृंदावन के पर्यटक सुविधा केंद्र पर कमिश्नर आगरा शैलेन्द्र कुमार सिंह DIG शैलेश पांडे, DM चंद्र प्रकाश सिंह, SSP श्लोक कुमार,विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह, नगर आयुक्त जग प्रवेश,एसडीएम सदर अभिनव जैन ने बांके बिहारी कॉरिडोर और न्यास बनाने के लिए लाए गए अध्यादेश को लेकर मीटिंग की। इस मीटिंग में स्थानीय भाजपा नेता, पार्षद, व्यापारी मौजूद रहे।

ढाई घंटे चली मीटिंग

पर्यटक सुविधा केंद्र के सभागार में कमिश्नर की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में कुछ स्थानीय लोगों ने कॉरिडोर के संबंध में अपनी आपत्ति जताई। वहीं कुछ ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कॉरिडोर बनाया जाए लेकिन प्रभावित लोगों का ध्यान रखा जाए। करीब ढाई घंटे तक चली मीटिंग में प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों के मन में उत्पन्न हो रही गलत फहमियां को दूर करने का प्रयास किया।

बैठक ढाई घंटे से ज्यादा समय तक चली

बैठक ढाई घंटे से ज्यादा समय तक चली

तीर्थ पुरोहित ब्रजवासी पंडा सभा ने जताई सहमति

बैठक में शामिल होने पहुंचे तीर्थ पुरोहित ब्रजवासी पंडा सभा के उपाध्यक्ष सुभाष पहलवान लाला ने कॉरिडोर बनाने पर सहमति जताते हुए कहा कि प्रभावित दुकानदार और मकान मालिकों को कॉरिडोर में दुकान दी जाए जिससे वह अपने आराध्य से जुड़े रहें। वहीं कांग्रेस नेता दीपक पाराशर ने कहा कि विकास हो लेकिन विनाश नहीं। वृंदावन की गलियां पौराणिक हैं। इनका पुराणों में वर्णन है काशी और उज्जैन की गलियों का नहीं।

कॉरिडोर को लेकर प्रभावित लोगों से कर रहे बातचीत

बैठक के बाद कमिश्नर शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कॉरिडोर बनाए जाने को लेकर ग्रीन सिग्नल दे दिया है। उसके तहत कॉरिडोर बनाए जाने का कार्य किया जाना है। इसमें जितने स्टेट होल्डर हैं उनसे लगातार पिछले एक हफ्ते से बातचीत कर रहे हैं जिससे उनकी बातें सामने आ जाएं। आज मीटिंग में शामिल सभी ने सकारात्मक रूप से बातचीत की। बांके बिहारी मंदिर पर आने वाली भीड़ को देखते हुए व्यवस्थाएं कम हैं। उनके लिए व्यवस्था बेहतर हों इसके लिए काम किया जा रहा है।

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