- एक वर्ष से मांट ब्रांच गंग नहर से निकलने वाले रजवाहा स्थित खडैरा मौजा में एक स्थाई तथा अस्थाई पैदल चलने वाले पुल की मांग कर रहे हैं किसान
- हर बार नियमों का हवाला देकर हेडक्वार्टर मेरठ के चीफ इंजीनियर कर रहे अनसुनी
- किसान बोले बलदेव के नरहौली जुन्नारदार के समीप रजवाहा पर मात्र 400 मीटर की दूरी पर बने तीन पुल, किसने बनवाये, यहां नियम कहां गए
दैनिक उजाला, बलदेव/मथुरा : मथुरा जिले के बलदेव क्षेत्र में मांट ब्रांच गंग नहर से निकलने वाले रजवाहा के खडैरा मौजा के किसान सिंचाई विभाग से पिछले एक वर्ष से एक पैदल स्थाई तथा अस्थाई पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग के चीफ इंजीनियर और एक्शियन किसानों को नियमों का हवाला देकर टहला देते हैं। हालात ये हैं कि किसान रजवाहा में बहते पानी से निकलकर चारा लाने को मजबूर हैं। ऐसी स्थिति में किसानों के साथ कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। क्या हादसे का इंतजार कर रहे हैं चीफ और एक्शियन?
विदित रहे कि किसानों ने सिंचाई विभाग के एक्शियन और चीफ इंजीनियर से बलदेव क्षेत्र के खडैरा मौजा स्थित रजवाहा पर पैदल चलने के लिए स्थाई तथा अस्थाई एक पुल की मांग की पिछले वर्ष की थी और अब भी कर रहे हैं। हालात ये हो गये हैं कि चीफ इंजीनियर ने किसानों मांगों को हर बार ठकुरा दिया है। यही हालात एक्शियन स्तर से भी देखने को मिल रहे हैं। कईयों बार चीफ इंजीनियर से किसी भी प्रकार से समस्या के समाधान की मांग की गई है, लेकिन नियमों हर बार हवाला दिया है।
किसान ब्रजेश पांडेय का कहना है कि नियम सिर्फ चीफ इंजीनियर किसानों को ही पढ़ा रहे हैं। क्या किसी अन्य के लिए यह नियम नहीं हैं। उन्होंने बताया कि चीफ इंजीनियर और एक्शियन को बलदेव के नरहौली जुन्नारदार के समीप रजवाहा पर 3 पुल मात्र 400 मी0 की दूरी पर बने हुए हैं, जिसमें से एक पुल सिर्फ एक नयी कॉलौनी के लिए बनाया गया है। किसानों को अधिकारी धता बता रहे हैं। हर रोज किसान रजवाहा में चलते पानी के बीच से सिर पर चारा लाने को मजबूर हो रहे हैं।
समाजवादी सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सचिव गौरव पांडेय कहते हैं कि इस सरकार में अधिकारी बेलगाम हो गये हैं, जो किसानों की सुन ही नहीं रहे हैं। हालात अधिकारियों ने बदतर कर रखे हैं। सरकार देख नहीं रही है। ऐसे हालात किसानों के साथ देखने को मिल रहे हैं कि किसान एक साल से किसी पैदल पुल की मांग कर रहे हैं और अधिकारी सिर्फ रसूखदारों का साथ देकर उनके पुल तो पुल के पास ही बनवा रहे हैं, लेकिन किसानों को नियमों का पाठ पढ़ा रहे हैं।
