श्रीकाकुलम : आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम स्थित काशीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर में शनिवार को एकादशी के दौरान भगदड़ मचने से 10 लोगों की मौत हो गई। इनमें 8 महिलाएं और 2 बच्चे हैं। 25 से ज्यादा लोगों का इलाज चल रहा है।
स्थानीय लोगों के अनुसार भारी भीड़ के दौरान धक्का-मुक्की की वजह से रेलिंग टूट गई। इससे भगदड़ मच गई। अधिकारियों को आशंका है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं।

हादसा सीढ़ियों पर हुआ। 20 सीढ़ी चढ़कर मंदिर तक पहुंचा जाता है।
भगदड़ के बाद कई महिलाएं बेहोश हो गईं
भगदड़ के कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें मंदिर की सीढ़ियों पर लोगों की भारी भीड़ दिखाई दी। इनमें महिलाएं, बच्चें और कई बुजुर्ग भी थे। इसी दौरान रेलिंग गिर गई और लोग भीड़ से दबने लगे। महिलाएं और बच्चे बाहर निकलने के लिए चीखते-चिल्लाते दिखे। कई तो अपनी जान बचाने के लिए लोगों के ऊपर चढ़कर निकलते दिखे।
वहीं, हादसे ही बाद के वीडियो में लोग भीड़ में दबी महिलाओं और बच्चों को बाहर निकालते दिखे। महिलाएं भगदड़ वाली जगह पर इधर-उधर बेसुध पड़ी दिखाई दीं। लोगों ने भीड़ में से महिलाओं को उनके हाथ-पैर पकड़कर खींचते दिखाई दिए।
आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री अनीता ने बताया कि मंदिर में हर हफ्ते करीब 1500 से 2000 श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। आज एकादशी होने की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या बहुत अधिक थी। उन्होंने बताया कि मंदिर पहली मंजिल पर स्थित है और यहां जाने के लिए 20 सीढ़ियां हैं। इसी दौरान धक्का-मुक्की हुई और रेलिंग टूट गई, जिससे भगदड़ मच गई।

धक्का-मुक्की हुई तो लोग गिरने लगे। अफरा-तफरी मच गई। कई बच्चे भी फंस गए।

मंदिर में लोग लाइन तोड़कर रेलिंग पार कर जबरन घुस रहे थे।

घायलों को बचाने के लिए लोगों ने सीपीआर देने की कोशिश की।

स्थानीय लोग और भक्तों ने घायलों को उठाकर अस्पताल पहुंचाया।

महिलाओं को भगदड़ से निकलने में दिक्कत हुई। लोगों ने उन्हें वहीं घेर लिया।

स्थानीय लोगों ने घायलों को उठाकर तक एम्बुलेंस तक पहुंचाया।

मंदिर भगदड़ की खबर सुनने के बाद कई लोग बिना दर्शन के लौट गए।
वेंकटेश्वर मंदिर को उत्तर का तिरुपति कहा जाता है

श्रीकाकुलम वेंकटेश्वर मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर (श्री विष्णु) की पूजा की जाती है।
श्रीकाकुलम वेंकटेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश का प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है। इसे उत्तरा तिरुपति यानी उत्तर का तिरुपति भी कहा जाता है क्योंकि इसका स्वरूप और पूजा-पद्धति तिरुपति बालाजी मंदिर से मिलती-जुलती है। यहां भगवान वेंकटेश्वर (श्री विष्णु) की पूजा की जाती है, जिन्हें स्थानीय लोग श्रीनिवास, बालाजी या गोविंदा नामों से भी पूजते हैं। यह मंदिर 11वीं–12वीं सदी में बनाया गया माना जाता है, जब चोल और चालुक्य शासकों का प्रभाव इस क्षेत्र में था।
हर साल खास अवसरों जैसे एकादशी, कार्तिक मास और अन्य पर्वों पर यहां हजारों भक्त इकट्ठा होते हैं। मंदिर परिसर में पूजा, भोग और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। माना जाता है कि यहां दर्शन करने से सुख-समृद्धि और शांति मिलती है।
27 जुलाई, 2025- हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़, 8 की मौत

हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में 27 जुलाई को सुबह 9:15 बजे भगदड़ मच गई थी। इसमें 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हुए। यह मंदिर पहाड़ के ऊपर बना हुआ है और यहां पहुंचने के लिए करीब 800 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं।
एक चश्मदीद संतोष कुमार ने बताया था कि मंदिर पहुंचने के लिए करीब 25 सीढ़ियां बची थीं, तभी हादसा हुआ। रविवार को भीड़ बहुत ज्यादा थी। इस बीच कुछ लोग वहां लगे तार को पकड़कर आगे बढ़े। इस दौरान कुछ तार छिल गए और उनमें करंट आ गया। इससे अफरा-तफरी मच गई और सीढ़ियों पर गिरने से लोग मारे गए।
2 मई, 2025ः गोवा के शिरगांव में भगदड़, 7 की मौत, 50 घायल

गोवा के शिरगांव में 2 मई को श्री लैराई जात्रा (यात्रा) के दौरान मची भगदड़ में 7 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे में 50 से ज्यादा लाेग घायल हुए थे।
श्रद्धालु बड़ी संख्या में जात्रा में शामिल होने मंदिर की ओर जा रहे थे। इसी दौरान एक दुकान के सामने बिजली के तार से करंट लगने के बाद कुछ लोग गिर गए। तभी अफरा-तफरी हुई और भगदड़ मच गई। क्राउड मैनेजमेंट के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने की वजह से हादसा हुआ।
10 जनवरी, 2025ः तिरुपति मंदिर में भगदड़, 6 की मौत और 40 घायल

आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में 10 जनवरी को देर रात 9:30 बजे वैकुंठ द्वार दर्शन टिकट काउंटर के पास भगदड़ मच गई थी। इस हादसे में एक महिला समेत 6 लोगों की मौत हो गई और 40 लोग घायल हो गए थे। घायलों को उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया है।
ट्रस्ट के सदस्य भानु प्रकाश ने बताया था कि टिकट के लिए 91 काउंटर खोले गए थे। काउंटर के पास 4 हजार से ज्यादा श्रद्धालु लाइन में खड़े थे। उन्हें बैरागी पट्टीडा पार्क में कतार लगाने को कहा गया। आगे जाने की होड़ में अफरा-तफरी मची और भागने के दौरान लोग एक-दूसरे पर चढ़ गए थे।

