दैनिक उजाला डेस्क : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की तरफ से चुनाव आयोग को सौंपे गए चुनावी बॉन्ड के ब्योरे में यूनिक कोड शामिल नहीं किए जाने पर शुक्रवार को नाराजगी जताई। शीर्ष अदालत ने एसबीआइ को नोटिस जारी कर इस पर सोमवार तक जवाब तलब किया और आदेश दिया कि शनिवार शाम पांच बजे तक राजनीतिक चंदे का पूरा डेटा चुनाव आयोग को सौंपा जाए। यूनिक (अल्फान्यूमेरिक) कोड के जरिए ही पता चलेगा कि किस कंपनी या व्यक्ति ने किस पार्टी को चुनावी चंदे के रूप में कितनी रकम दी। इसी के साथ कोर्ट में पहले सौंपे गए सीलबंद लिफाफे चुनाव आयोग को लौटाए जाएंगे और आयोग इनका डेटा 17 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा।
सीजेआइ डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ चुनाव आयोग के आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि एसबीआइ की ओर से दिया गया जो डेटा 14 मार्च को प्रकाशित किया गया, उसमें बॉन्ड के अल्फान्यूमेरिक नंबर नहीं हैं। कोर्ट के आदेश के मुताबिक एसबीआइ को ये नंबर बताने थे। इनके नहीं होने से कई बातों का पता नहीं चल पाएगा। इस पर पीठ ने कहा, हमने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी अहम जानकारी सार्वजनिक करने को कहा था। इनमें बॉन्ड के खरीदार, रकम, खरीदने की तारीख और पाने वालों के नाम शामिल हैं।
बॉन्ड के सीरियल नंबर क्यों नहीं बताए गए? चुनाव आयोग ने आवेदन में कोर्ट में पहले पेश सीलबंद कवर दस्तावेजों को वापस करने की मांग की थी। आयोग का कहना था कि उसने गोपनीयता बनाए रखने के लिए इन दस्तावेजों की कोई प्रति अपने पास नहीं रखी। आवश्यक कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए सीलबंद लिफाफे वापस किए जाने चाहिए। पीठ ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि सीलबंद लिफाफे के डेटा को शनिवार शाम पांच बजे तक स्कैन और डिजिटलीकृत कर मूल प्रति आयोग को लौटा दी जाए। स्कैन और डिजीटल फाइलों की एक प्रति भी आयोग को उपलब्ध कराई जाए।
क्या है यूनिक कोड (What is Unique Code)
यूनिक कोड हर चुनावी बॉन्ड पर अंकित होता है। यह हर बॉन्ड पर अलग-अलग होता है। एसबीआइ जो चुनावी बॉन्ड जारी करता है, उस पर दर्ज नंबर आंखों से सीधे नहीं दिखता। उसे अल्ट्रावायलेट किरणों (यूवी लाइट्स) में देखा जा सकता है। ये नंबर अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों और संख्याओं (अल्फान्यूमेरिक) से मिलकर बने होते हैं। यूनिक कोड को मैचिंग कोड भी कहा जाता है।
अल्फान्यूमेरिक कोड से क्या-क्या पता चलेगा
यूनिक कोड से पता चलेगा कि कोई खास बॉन्ड किसने किसके लिए खरीदा। यानी यह साफ होगा कि किस कंपनी, संस्था या व्यक्ति ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया। अभी एसबीआइ ने जो जानकारियां चुनाव आयोग को दी हैं, उससे यह पता नहीं चल पा रहा है कि किस पार्टी को किससे कितना चंदा मिला। फिलहाल इतना पता चला है कि किस कंपनी ने कितनी कीमत के बॉन्ड्स खरीदे और किस-किस पार्टी को बॉन्ड्स से कितनी रकम मिली।