दैनिक उजाला, प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 45 दिनों तक चलने वाले इस मेले में लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती के पवित्र संगम पर स्नान करने के लिए आते हैं।

बहुप्रतीक्षित महाकुंभ मेले के नजदीक आते ही प्रयागराज में आध्यात्मिक उत्साह और भक्ति का माहौल छाया है। आयोजन की तैयारी में, विभिन्न अखाड़ों ने आज, शनिवार को महाकुंभ शिविर में प्रवेश करने से पहले एक भव्य शोभा यात्रा निकाली। जुलूस भक्ति का एक जीवंत प्रदर्शन था। इसमें साधु पवित्र भस्म में लिपटे हुए, मालाओं से सजे हुए और घोड़ों पर सवार थे। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर महाकुंभ को भव्य और शानदार बनाने में जुटे हुए हैं। अगर आप भी इस पवित्र आयोजन में शामिल होने प्रयागराज जा रहे हैं तो ये खबर आपके लिए है। यहां आपको एक क्लिक पर ट्रेन टाइमिंग, मुख्य स्नान से लेकर मिलेगी यहां सारी जानकारी मिल जाएगी।

कहां से आया ‘कुंभ’ शब्द ?

‘कुम्भ’ मूल शब्द ‘कुम्भक’ (अमृत का पवित्र घड़ा) से आया है। ऋग्वेद में ‘कुम्भ’ और उससे जुड़े स्नान अनुष्ठान का उल्लेख है। इस अवधि के दौरान संगम में स्नान करने से लाभ, नकारात्मक प्रभावों के उन्मूलन तथा मन और आत्मा के कायाकल्प की बात कही गई है। अथर्ववेद और यजुर्वेद में भी ‘कुम्भ’ के लिए प्रार्थना लिखी गई है। इसमें बताया गया है कि कैसे देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन से निकले अमृत के पवित्र घड़े (कुम्भ) को लेकर युद्ध हुआ। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने ‘‘मोहिनी’’ का रूप धारण कर कुम्भ को लालची राक्षसों के चंगुल से छुड़ाया था। जब वह इसे स्वर्ग की ओर लेकर भागे तो अमृत की कुछ बूंदें चार पवित्र स्थलों पर गिरीं जिन्हें हम आज हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयाग के नाम से जानते हैं। इन्हीं चार स्थलों पर प्रत्येक तीन वर्ष पर बारी-बारी से कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है। आइए जानते हैं इस बार Mahakumbh 2025 में कितने मुख्य स्नान होगें और उनकी क्या है तारीखें-

महाकुंभ मेला दुनिया सबसे बड़ा सार्वजनिक आयोजन

महाकुंभ कुम्भ मेला दुनिया में कहीं भी होने वाला सबसे बड़ा सार्वजनिक समागम और आस्था का सामूहिक आयोजन है। लगभग 45 दिनों तक चलने वाले इस मेले में लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती के पवित्र संगम पर स्नान करने के लिए आते हैं। मुख्य रूप से इस समागम में तपस्वी, संत, साधु, साध्वियाँ, कल्पवासी और सभी क्षेत्रों के तीर्थयात्री शामिल होते हैं।

प्रयागराज शहर का इतिहास

600 ईसा पूर्व में एक राज्य था जिसका हिस्सा वर्तमान प्रयागराज जिला है। उस राज्य को पहले ‘वत्स’ के नाम से जाना जाता था और उसकी राजधानी ‘कौशाम्बी’ थी, जिसके अवशेष आज भी प्रयागराज के दक्षिण-पश्चिम में स्थित हैं। गौतम बुद्ध ने भी अपनी तीन यात्राओं से इस शहर को सम्मानित किया था। इसके बाद यह क्षेत्र मौर्य शासन के अधीन आ गया और कौशाम्बी को ‘अशोक’ के एक प्रांत का मुख्यालय बनाया गया। उनके निर्देश पर कौशाम्बी में दो अखंड स्तंभ बनाए गए जिनमें से एक को बाद में प्रयागराज में स्थानांतरित कर दिया गया। प्रयागराज राजनीति और शिक्षा का केंद्र रहा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पूरब का ऑक्सफोर्ड कहा जाता था। इस शहर ने देश को तीन प्रधानमंत्रियों सहित कई राजनीतिक हस्तियाँ दी हैं। यह शहर साहित्य और कला के साथ-साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र भी रहा है।

प्रयागराज रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध ट्रेनों की जानकारी

प्रयागराज शहर में 9 रेलवे स्टेशन हैं जहां से विभिन्न दिशाओं के यात्री मुख्य स्नान दिवसों पर अपनी दिशा के अनुसार गाड़ी पकड़ सकते हैं-

प्रयागराज के रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध सुविधाएं

1. वेटिंग रूम और वेटिंग हॉल

2. स्लीपिंग पॉड्स

3. रिटायरिंग रूम/डॉरमेट्री

4. एग्जीक्यूटिव लाउंज

5. बुजुर्गों/दिव्यांगों के लिए प्लेटफॉर्म पर आवागमन हेतु बैटरी चालित कारें

6. व्हील चेयर

7. रेलवे स्टेशन के बाहर सार्वजनिक परिवहन

8. खानपान सुविधा

9. प्राथमिक चिकित्सा बूथ

10. पर्यटक बूथ

11. प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र

12. बहुभाषी घोषणा का प्रावधान

13. क्लॉक रूम

नोट:- मुख्य स्नान दिवसों पर आवागमन प्रतिबंध के कारण इनमें से कुछ सुविधाएं उपलब्ध नहीं भी हो सकती हैं |

मुख्य स्नान दिवसों पर प्रतिबंध

कुंभ मेले के दौरान यात्रियों की सुरक्षा और उनकी सुगम निकासी के लिए रेलवे स्टेशनों पर कुछ प्रतिबंध लगाए जाएंगे। प्रतिबंध मुख्य स्नान दिवस के एक दिन पहले से मुख्य स्नान दिवस के दो दिन बाद तक लागू रहेगा ।

प्रतिबंध अवधि के दौरान इन रेलवे स्टेशनों पर इन बातों पर रहेगा प्रतिबंध

प्रयागराज जंक्शन:-

  • -प्रवेश केवल सिटी साइड (प्लेटफोर्म नं.–1 की ओर) से दिया जाएगा।
  • -निकास केवल सिविल लाइंस साइड की ओर दिया जाएगा।
  • -अनारक्षित यात्रियों कों दिशावार यात्री आश्रय के माध्यम से प्रवेश दिया जाएगा।
  • -टिकट की व्यवस्था यात्री आश्रयों में अनारक्षित टिकट काउंटर, ए.टी.वी.एम और मोबाइल टिकटिंग के रूप में रहेगी।
  • -आरक्षित यात्रियों को सिटी साइड से गेट नंबर 5 के माध्यम से अलग से प्रवेश दिया जाएगा।
  • -आरक्षित यात्रियों को उनकी ट्रेन आने के 30 मिनट पहले ही प्लेटफॉर्म पर जाने की अनुमति दी जाएगी।

नैनी जंक्शन:-

  • -प्रवेश केवल स्टेशन रोड से दिया जाएगा।
  • -निकास केवल मालगोदाम की ओर (द्वितीय प्रवेश द्वार) की ओर दिया जाएगा।
  • -अनारक्षित यात्रियों कों दिशावार यात्री आश्रय के माध्यम से प्रवेश दिया जाएगा।
  • -आरक्षित यात्रियों को गेट नंबर – 2 से प्रवेश दिया जाएगा |
  • -टिकट की व्यवस्था यात्री आश्रयों में अनारक्षित टिकट काउंटर, ए.टी.वी.एम और मोबाइल टिकटिंग के रूप में रहेगी।

प्रयागराज छिवकी स्टेशन:-

  • -प्रवेश केवल प्रयागराज-मिर्जापुर राजमार्ग को जोड़ने वाले सीओडी मार्ग से दिया जाएगा।
  • -निकास केवल जी.ई.सी नैनी रोड (प्रथम प्रवेश) की ओर दिया जाएगा।
  • -अनारक्षित यात्रियों कों दिशावार यात्री आश्रय के माध्यम से प्रवेश दिया जाएगा।
  • -आरक्षित यात्रियों को गेट नंबर – 2 से प्रवेश दिया जाएगा |
  • -टिकट की व्यवस्था यात्री आश्रयों में अनारक्षित टिकट काउंटर, ए.टी.वी.एम और मोबाइल टिकटिंग के रूप में रहेगी।

सूबेदारगंज स्टेशन:-

  • -प्रवेश केवल झलवा (कौशाम्बी रोड) की ओर से दिया जाएगा।
  • -निकास केवल जी.टी. रोड की ओर दिया जाएगा।
  • -अनारक्षित यात्रियों के लिए यात्री आश्रय की व्यवस्था रहेगी।
  • -आरक्षित यात्रियों को गेट नंबर – 3 से प्रवेश दिया जाएगा |
  • -टिकट की व्यवस्था यात्री आश्रयों में अनारक्षित टिकट काउंटर, ए.टी.वी.एम और मोबाइल टिकटिंग के रूप में रहेगी।

प्रयाग जंक्शन:-

  • -प्रवेश केवल चैथम लाइन (प्लेटफोर्म नं.-1) की ओर से दिया जाएगा।
  • -निकास केवल रामप्रिया रोड (प्लेटफोर्म नं.- 4) की ओर से होगा।
  • -अनारक्षित यात्रियों कों दिशावार यात्री आश्रय के माध्यम से प्रवेश दिया जाएगा।
  • -टिकट की व्यवस्था यात्री आश्रयों में अनारक्षित टिकट काउंटर, ए.टी.वी.एम और मोबाइल टिकटिंग के रूप में रहेगी।

फाफामऊ स्टेशन:-

  • -प्रवेश केवल द्वितीय प्रवेश द्वार (प्लेटफोर्म नं.-4) की ओर से दिया जाएगा।
  • -निकास केवल फाफामऊ बाजार (प्लेटफोर्म नं.-1) की ओर दिया जाएगा।
  • -अनारक्षित यात्रियों कों दिशावार यात्री आश्रय के माध्यम से प्रवेश दिया जाएगा।
  • -टिकट व्यवस्था बाड़ों में अनारक्षित टिकट काउंटर, ए.टी.वी.एम और मोबाइल टिकटिंग के रूप में हैं।
  • -आरक्षित यात्रियों को सहसों मार्ग से द्वितीय प्रवेश द्वार की ओर से ले जाकर द्वितीय प्रवेश द्वार से ही प्रवेश दिया जायेगा।

प्रयागराज रामबाग स्टेशन:-

  • -प्रवेश केवल हनुमान मंदिर चौराहा की ओर से मुख्य प्रवेश द्वार से दिया जाएगा।
  • -निकास केवल लाउदर रोड की ओर दिया जाएगा।
  • -टिकट की व्यवस्था यात्री आश्रयों में अनारक्षित टिकट काउंटर, ए.टी.वी.एम और मोबाइल टिकटिंग के रूप में रहेगी।

झूसी स्टेशन:-

  • -प्रवेश और निकास की सुविधा स्टेशन के दोनों ओर से दी जाएगी।
  • -टिकट की व्यवस्था यात्री आश्रयों में अनारक्षित टिकट काउंटर, ए.टी.वी.एम और मोबाइल टिकटिंग के रूप में रहेगी।

नोट:– प्रयागराज संगम स्टेशन मुख्य स्नान दिवसों पर (मुख्य स्नान दिवस के एक दिन पहले से दो दिन बाद तक) बंद रहेगा।

ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बिंदु

1-जेबकतरों से सावधान रहें।

2-जहरखुरानों से सावधान रहें।

3-किसी अनजान व्यक्ति द्वारा दी गई कोई भी चीज़ न खाएँ।

4-अपने आस-पास नज़र रखें और अगर आपको अपने आस-पास कोई लावारिस वस्तु पड़ी दिखे तो ऑनबोर्ड स्टाफ़, सुरक्षा कर्मचारियों और स्वयंसेवकों को सूचित करें।

5-अधिकृत काउंटर/कर्मियों से ही टिकट खरीदें।

6-घबराएँ नहीं।

7-कतार में चलें और अपने आगे लोगों को धक्का देने से बचें।

8-रेलवे स्टेशनों पर तैनात सुरक्षा/टिकट जाँच कर्मचारियों और स्वयंसेवकों के मार्गदर्शन का पालन करें।

9-रसोई गैस सिलेंडर, केरोसिन, केरोसिन स्टोव, पुवाल आदि जैसी ज्वलनशील सामग्रियाँ अपने साथ लेकर न चलें।

10-स्टेशन परिसर में न अलाव जलायें न खाना पकायें।

11-गाड़ी के अन्दर एवं स्टेशन परिसर में न थूकें और न ही कूड़ा फैलाएं।

12-ट्रेन और स्टेशन परिसर में धूम्रपान न करें।

13-टिकट-जाँच कर्मचारियों द्वारा मांगे जाने पर अपना टिकट दिखाएँ।

14-ट्रेन के छत पर अथवा पायदान पर यात्रा न करें।

15-छोटे बच्चों को अकेले न छोड़े।

16-संदिग्ध वस्तुओं के सम्बन्ध में रेल कर्मियों/पुलिस को तत्काल सूचना दें।

17-एफओबी पर न बैठे और न खड़े हों।

18-एफओबी की सीढ़ियों पर न बैठें।

19-अत्यधिक भीड़ में सावधानी बरतें तथा रेल प्रशाशन द्वारा दिए जा रहे निर्देशों का पालन करें।

20-चलती गाड़ी से न उतरें एवं न चढ़ें।

21-अपना निजी सामान लावारिस न छोड़ें।

22- रेलवे लाइन को पार न करें।

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